सार
बारिश में नदी उफान पर होती है और गांव वाले जान का जोखिम उठाकर उसे पार करते है। हादसों के बाद भी अभी तक नहीं बना है नदी को पार करने के लिए पुल।
संगम: कोयलीबेड़ा ब्लॉक की मेंढकी नदी सरकार के दावों को खोखला साबित कर रही है। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा ब्लॉक में आदिवासी छात्रों में पढ़ने की ऐसी ललक है कि बच्चे उफनती नदी को पार कर स्कूल जा रहे हैं। पुल न होने की वजह बारिश के दिनों पर नदी उफान पर होती है। मां-बाप में बच्चों को पढ़ाने कि कसक साफ दिखती है। वे सारे काम-काज छोड़कर, बच्चों को नदी पार करा कर स्कूल तक पहुंचाते हैं।
प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान
पहले भी नदी को पार करने के दौरान, पानी का स्तर अचानक बढ़ने से संबलपुर के एक निवासी की बहने से मौत हो गई थी। इसके अलावा नदी में बहने से और भी मौतें हो चुकी हैं लेकिन प्रशासन कोई सुध नहीं ले रहा है। हर हादसे के बाद यहां पुल बनाने का आश्वासन अफसर देते हैं लेकिन पुल अब तक नहीं बन पाया है।
5वीं के बाद नदी पार कर पढ़ने जाते हैं बच्चे
गांवों के बच्चों को 5वीं के बाद पढ़ने के लिए कोयलीबेड़ा जाना पड़ता है। नदी के एक तरफ ब्लॉक के आधा दर्जन गांव हैं तो कुछ दूरी पर दूसरे गांव बसे हैं। सामान्य दिनों में तो लोग आसानी से नदी पार कर कोयलीबेड़ा पहुंच जाते हैं लेकिन बारिश के दिनों में नदी उफान पर रहती है। गांव वाले अपनी जान की बाजी लगाकर बारिश के दिनों में नदी पार करते हैं।