सार

कहते हैं खेल-खेल में कठिनतम सवाल भी सरलता से समझ आ जाते हैं। यह साबित किया है राजनांदगांव के स्कूल ने। यहां टीचर ने मैथ्स के कठिन फॉर्मूलों को आसान से समझाने कबाड़ से जुगाड़ के मॉडल बना दिए।

राजनांदगांव, छत्तीसगढ़. 'जहां चाह-वहां राह!' अगर कुछ करने की इच्छाशक्ति हो, तो कुछ भी असंभव नहीं है। अगर बात पढ़ाई-लिखाई की हो, तो बच्चों और टीचर के बीच बड़ा गहरा रिश्ता होता है। एक अच्छा टीचर बच्चों के सवालों का अपने ही सरल अंदाज में जवाब देता है। उनकी समस्याएं सुलझाता है। यानी पढ़ाने को सिर्फ नौकरी तक सीमित नहीं रखता। ऐसा ही अनूठा रिश्ता बघेरा गांव के स्कूल में देखने को मिलता है।

इस स्कूल में करीब 4 साल पहले प्रीति शर्मा का ट्रांसफर हुआ था। वे क्लास 6th के बच्चों को मैथ्स पढ़ाती हैं। एक दिन उन्होंने महसूस किया कि बच्चे मैथ्स से घबराते हैं। वे टीचर की नजरों से बचने की कोशिश करते हैं। तब प्रीति ने निश्चय किया कि वे कुछ ऐसे प्रयो करेंगी, जिससे बच्चों के मन से मैथ्स का भूत काफूर हो जाए।

पहले खुद की तैयारी..
प्रीति ने इसके लिए इंटरनेट पर वीडियो खंगाले। उन्होंने ऐसे कई वीडियो देखे, जिनमें खेल-खेल में मैथ्स को सरलता से समझाया जा रहा था। प्रीति ने यह प्रयोग अपने स्कूल में भी किया। उन्होंने कबाड़ से जुगाड़ के कुछ मॉडल तैयार किए। इनकी मदद से बच्चे अब सरलता से बीज गणित (Algebra) जैसे जटिल फॉर्मूले आसानी से समझने लगे हैं। इस स्कूल के एक कमरे में लैब बनाई गई है। इसमें जगह-जगह ये मॉडल रखे गए हैं। यानी हर दीवार-खिड़की को मॉडल्स का रूप दे दिया गया है। यानी जैसे ही लैब का गेट खोलते हैं, आपके सामने मॉडल आ जाते हैं। दीवार-फर्श हर जगह मॉडल बनाए गए हैं। प्रीति बताती हैं कि सुआ छत्तीसगढ़ का पारंपरिक नृत्य है। इस नृत्य के जरिये बच्चे गाते हुए पहाड़ा याद करते हैं।