सार
Gujarat Assembly Election 2022: गांधीनगर को नए शहर के तौर पर बसाने की तैयारी 1966 में शुरू हो गई थी। 1970 में इसे राजधानी घोषित किया गया। विधानसभा के लिए भी जमीन अधिग्रहित किया गया और किसानों की खेती भूमि ली गई।
गांधीनगर। Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव में नामांकन का दौर समाप्त हो चुका है। नाम वापसी की तारीख भी बीत चुकी है और अब दोनों ही चरणों के प्रत्याशी चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे हैं और अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। हालांकि, हर सीट पर जीतेगा कोई एक ही और पूरे राज्य की कुल 182 विधानसभा सीटों से चुनकर 182 विधायक विधानसभा में शपथ लेने पहुंचेंगे। इनमें कोई पहली बार जीत कर विधानसभा पहुंचेगा, तो कोई दूसरी, तीसरी, चौथी या पांचवी बार या कुछ इससे भी अधिक।
कुछ ऐसे भी होंगे, जो मौजूदा विधानसभा में विधायक पद पर हैं, मगर इस बार शायक वे विधानसभा में नहीं पहुंच सके। मगर एक शख्स ऐसा है, जो कोई भी विधायक विधानसभा में आए या जाए, वो यहीं रहते हैं और यहां आने वालों को चाय पिलाते हैं। वैसे तो कई लोगों की चाय की दुकान होगी यहां, कुछ और भी तरह की दुकानें होंगी, मगर हम जिस शख्स की बात कर रहे हैं, दरअसल यह उनकी ही जमीन थी, या कहें है, जिस पर विधानसभा बनी है। है इसलिए कहना पड़ रहा क्योंकि जिनकी जमीन पर यह बना है, उनका दावा है कि तीन में से एक का मुआवजा तो मिल गया, मगर अफसरों की लापरवाही और मनमानी से दो का मुआवजा आज तक नहीं मिला। एक जो मुआवजा मिला, उसकी रकम आपको हैरान कर देगी। दरअसल, यह रकम थी 1450 रुपए मात्र। जमीन का क्षेत्र आपको आगे बताते हैं। इससे पहले कुछ और जरूरी चीजें जानते हैं।
गांधीजी की याद में बसा है शहर, मंजूरी के लिए मोरारजी खुद विभागों में गए
दरअसल, विधानसभा स्वर्णिम संकुल जिस जमीन पर बना है, उसके मूल मालिक भीमाजी ठाकोर थे। वे इंद्रोडा गांव के रहने वाले थे और खेती-किसानी करते थे। यह जमीन बोरीज गांव के सर्वे में आती थी। गुजरात की राजधानी पहले अहमदाबाद थी, बाद में इसे बदला गया और नए तरीके से नए शहर को बसाया गया। गांधीनगर को गुजरात की राजधानी आज से करीब 57 साल पहले 2 अगस्त 1965 को बनाया गया। यह शहर साबरमती नदी के किनारे बसा है और महात्मा गांधी की याद में इसे गांधीनगर नाम दिया गया। खास बात यह है कि गांधीनगर देश का दूसरा ऐसा शहर है, जिसे योजनाबद्ध तरीके से बसाया गया है। पहला शहर चंडीगढ़ है। मोरारजी देसाई तब तत्कालीन वित्त मंत्री थे, वे खुद कई विभागों में गए और इसकी पूरी योजनाओं को जल्द से जल्द मंजूरी दिलवाते रहे। करीब पांच साल बाद यानी वर्ष 1970 में इसे नई राजधानी का तमगा दे दिया गया।
3 में से 2 सर्वे का पैसा आज तक नहीं मिला, एक का मिला वो भी 17 साल बाद
अब बात भीमाजी ठाकोर और उनकी जमीन की। विधानसभा संकुल जहां है, वह बोरीज गांव के सर्वे की थी। इसके मालिक तब इंद्रोडा गांव के भीमाजी थे। उनकी तीन सर्वे की जमीन जिसका क्षेत्रफल करीब 6.11 एकड़ था, को अधिग्रहित किया गया। यह अधिग्रहण 1966 में हुआ था, मगर भुगतान अब तक सिर्फ एक सर्वे का हुआ और उसकी कीमत लगाई गई 1449.90 रुपए मात्र। इसका पैसा उन्हें 1983 में मिला। मगर दो सर्वे का मुआवजा उन्हें आज तक नहीं मिला।
चाय बेचने के साथ मुआवजे के लिए अफसरों के चक्कर काटना भी रोज का काम
भीमाजी के पड़पोते यानी चौथी पीढ़ी के बलदेवजी ठाकोर अब यहां सचिवालय के गेट नंबर तीन से कुछ दूरी पर चाय बेचते हैं और परिवार चला रहे हैं। चाय बेचने के साथ-साथ उनका काफी समय मुआवजा लेने के लिए अधिकारियों के चक्कर काटने में भी लग जाता है। बलदेव के अनुसार, बेटा प्रभात अधिकारियों के पास मुआवजे के लिए जाता है, मगर मायूस होकर लौटता है। वैसे यह भावुक कर देने वाली रियल स्टोरी अकेले बलदेव के परिवार की नहीं है, कई और किसान परिवार आज भी इसी स्थिति से गुजर रहे हैं। खैर, गुजरात विधानसभा चुनाव नए विधायकों के स्वागत के लिए तैयार है।
8 दिसंबर को आएगा रिजल्ट, सामन आएंगे 182 विधायकों के नाम
इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव में दोनों चरणों के लिए नामांकन का दौर समाप्त हो चुका है। राज्य में पहले चरण की वोटिंग 1 दिसंबर को होगी, जबकि दूसरे चरण की वोटिंग 5 दिसंबर को होगी। वहीं, मतगणना दोनों चरणों की 8 दिसंबर को होगी। पहले चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया 14 नवंबर अंतिम तारीख थी। दूसरे चरण के लिए नामाकंन प्रक्रिया की अंतिम तारीख 17 नवंबर थी। पहले चरण की वोटिंग प्रक्रिया के लिए गजट नोटिफिकेशन 5 नवंबर को और दूसरे चरण की वोटिंग प्रक्रिया के लिए 10 नवंबर को जारी हुआ था। स्क्रूटनी पहले चरण के लिए 15 नवंबर को हुई, जबकि दूसरे चरण के लिए 18 नवंबर की तारीख तय थी। नाम वापसी की अंतिम तारीख पहले चरण के लिए 17 नवंबर और दूसरे चरण के लिए 21 नवंबर को हुई।
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