सार

सामाजिक कार्यकर्ता सुल्तान सिंह बताते हैं कि पढ़े-लिखे लोगों का चुनाव प्रचार करने का तरीका एकदम अलग होता है। वह सीधे जनता से बात करते हैं। पारंपरिक नेता की तरह मतदाता के साथ पेश नहीं आते, बल्कि आत्मीयता से बातचीत करते हैं। 

चंडीगढ़ : पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Chunav 2022) में कांग्रेस (Congress) ने जहां अपने खांटी नेताओं पर दांव लगाया है तो वहीं उम्मीदवारों के चयन में कुछ प्रयोग भी किए हैं। कांग्रेस ने इस बार जिन उम्मीदवारों को पहली बार टिकट दिया, उनमें सॉफ्टवेयर इंजीनियर, शिक्षक और कई विशेषज्ञों भी शामिल हैं। कांग्रेस का यह प्रयोग कितना सफल होगा यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन पार्टी को भरोसा है कि जनता पढ़े-लिखों को चुनकर विधानसभा भेजेगी।

कृषि क्षेत्र में जबरदस्त पकड़ रखते हैं संदीप जाखड़ 
पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील कुमार जाखड़ (Sunil Kumar Jakhar) के भतीजे 45 वर्षीय संदीप जाखड़ अब अबोहर क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। कृषि क्षेत्र पर उनकी जरदस्त पकड़ है। न सिर्फ वह अच्छे किसान हैं, बल्कि कृषि से जुड़े इश्यू की भी अच्छी खासी जानकारी रखते हैं। मेयो कॉलेज, अजमेर और फ्लोरिडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र संदीप जाखड़ राजनीतिक में अच्छा अनुभव रखते हैं। 

साफ्टवेयर इंजीनियर हैं मालविका सूद
अभिनेता सोनू सूदल (Sonu Sood) की 38 साल की बहन मालविका सूद (Malvika Sood) मोगा से चुनाव लड़ रही हैं। वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। इसके साथ ही अपने क्षेत्र में सामाजिक कामों में बढ़-चढ़कर भाग लेती हैं। 

कोई डॉक्टर, कोई इंजीनियर तो कोई एमबीए
बुढलाढा (एससी) खंड से, 30 वर्षीय रणवीर कौर मियां, जो एक निजी कॉलेज में लैक्चरर हैं। अंग्रेजी में पीएचडी रणवीर कौर मियां की अंग्रेजी साहित्य पर अच्छी पकड़ है। पंजाब के मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा के बेटे 32 वर्षीय मोहित मोहिंद्रा पटियाला ग्रामीण सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। युवा कांग्रेस के नेता मोहित मोहिंद्रा कानून में स्नातक और खेल प्रेमी हैं। रायकोट (एससी) खंड से चुनाव लड़ रहे 34 वर्षीय कामिल अमर सिंह के पास ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री है। वह प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता हैं। कामिल के पिता डॉ. अमर सिंह फतेहगढ़ साहिब से पार्टी सांसद हैं। वहीं शिक्षक से नेता बनी राजिंदर कौर बलुआना (एससी) क्षेत्र से चुनाव लड़ रही हैं।

पहली बार चुनावी मैदान में
कांग्रेस ने जो पहली बार चुनाव लड़े हैं उनमें मनसा से 28 वर्षीय पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला भी शामिल हैं। जिनकी युवाओं में बहुत बड़ी फैन फॉलोइंग है। सामाजिक कार्यकर्ता सुल्तान सिंह का कहना है कि यदि राजनीति में कुछ बदलाव लाना है तो निश्चित ही पढ़े लिखे और अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों को भी चुनाव मैदान में आना चाहिए। दिक्कत यह रहती है कि ज्यादातर विशेषज्ञ चुनाव की राजनीति में पिछड़ जाते हैं। क्योंकि मतदाता को अपने साथ जोड़ने के लिए वह लच्छेदार भाषा और झूठे वादे नहीं कर पाते। यदि मतदाता भी जागरूक हो, वह भी विशेषज्ञ और पढ़े लिखे उम्मीदवारों को पसंद करें तो एक बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। इस दिशा में काम होना चाहिए।

कहां आती है दिक्कत
सामाजिक कार्यकर्ता सुल्तान सिंह बताते हैं कि पढ़े-लिखे लोगों का चुनाव प्रचार करने का तरीका एकदम अलग होता है। वह सीधे जनता से बात करते हैं। पारंपरिक नेता की तरह मतदाता के साथ पेश नहीं आते, बल्कि आत्मीयता से बातचीत करते हैं। मतदाता की बात और उसकी दिक्कत समझते हैं।  इसलिए इस तरह के प्रयोग होते रहने चाहिए। लेकिन दिक्कत यह है कि ज्यादातर दल अपने पारंपरिक और खांटी नेताओं को ही मौका देते हैं। इसके बाद नेताओं के बच्चों को टिकट दिए जाते हैं। यह सही नहीं है। इसमें भी बदलाव आने चाहिए। इससे न सिर्फ समाज बल्कि राजनीतिक पार्टियों को भी लाभ होगा। क्योंकि वह सीधे पॉलिसी बनाने से लेकर इसे लागू करने तक में अहम भूमिका नेताओं की होती है। उन्हें विष्य की जितनी ज्यादा समझ होगी, उतनी ही बेहतर पॉलिसी बन सकती है।

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