सार
अमृतसर ईस्ट सीट से चुनाव लड़ रहे नवजोत सिंह सिद्धू और बिक्रमजीत सिंह मजीठिया कभी चुनाव नहीं हारे। इस बार दोनों में से एक की हार पक्की है। आप के अंडर करंट से दोनों को खतरा है। पढ़ें हॉट सीट अमृतसर ईस्ट से खास रिपोर्ट...
अमृतसर (मनोज ठाकुर)। जगह अमृतसर की होली सिटी। यहां कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और अमृतसर ईस्ट सीट से प्रत्याशी नवजोत सिंह सिद्धू की आलिशान कोठी है। कोठी में चार दरवाजे, चारो बंद हैं। सुरक्षाकर्मी से पूछा कि अंदर कैसे जाएं? वह साइड की गली में भेज देता है। बड़ा सा दरवाजा जोर लगा कर धकेलना पड़ता है। अंदर सिद्धू की कोठी की भव्यता नजर आती है। लॉन में स्वीमिंग पुल। पेड़ और पौधों के साथ-साथ पत्थरों की तराशी मूर्तियां रखी है। सामने बड़ा गेट। समर्थकों से ज्यादा सुरक्षाकर्मी। जो कैमरा बाहर निकालने की इजाजत नहीं देते।
बड़े से दरवाजे से होकर सिद्धू की कोठी के अंदर जाते ही सामने डाइनिंग टेबल। साइड में ड्राइंग रूम। यहां 14 समर्थक बैठे हुए हैं। दोपहर 12 बजे का वक्त है, लेकिन सिद्धू अभी नहां रहे हैं। हम काफी देर इंतजार करते रहे। सिद्धू नीचे नहीं आए। आम तौर पर चुनाव प्रचार में जहां नेता सुबह ही अपने विधानसभा क्षेत्र में निकल जाते हैं। इसके विपरीत सिद्धू आधा दिन बीत जाने के बाद भी प्रचार के लिए तैयार नहीं हुए। समर्थक भी फिल्ड में जाने के बजाय चैन से बैठे हैं। जब नेता को जल्दी नहीं तो फिर समर्थक क्यों उतावला हो।
अब यदि समर्थक किसी नेता की लोकप्रियता का पैमाना है तो कम से कम इस पैमाने पर सिद्धू खरे नहीं उतरते। फिर भी सिद्धू निश्चित हैं। हो भी क्यों न...। आखिर अमृतसर ईस्ट पर उनका एक छत्र राज है। 18 साल से कभी वह तो कभी उनकी पत्नी यहां से विधायक बनते रहे हैं। वह भी इसी तरह के लाइफ स्टाइल और पॉलिटिकल से।
सिद्धू कभी हारे नहीं,... लेकिन हारे तो कभी बिक्रमजीत सिंह मजीठिया भी नहीं
तो यह मान लीजिए, इस बार इन दो राजनीतिक दिग्गजों में कोई एक तो हर हालत मे हार का स्वाद चखने वाला है। वैसे अगर दोनों भी मतदाता से मात खा जाएं तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्योंकि जिस तरह से दोनों के बीच कड़ा मुकाबला है, ऐसे में तीसरे की किस्मत खुल भी सकती है। यूं भी अमृतसर ईस्ट में इस बार आप के प्रति भी मतदाता का अच्छा खासा रुझान देखने को मिल रहा है।
दरअसल 18 साल से सियासत कर रहे सिद्धू को कभी कड़ी टक्कर मिली ही नहीं, मगर इस बार वोटिंग से 10 दिन पहले तक सिद्धू बुरी तरह फंसे नजर आ रहे हैं। रही-सही कसर आम आदमी पार्टी (AAP) पूरी कर रही है। AAP कैंडिडेट जीवनजोत कौर बेशक बहुत बड़ा नाम नहीं हों, मगर लोग झाड़ू को पसंद कर रहे हैं। इनके बीच BJP ने अकाली दल से अलग होने के बाद अमृतसर ईस्ट सीट पर उपस्थिति दर्ज कराने के मकसद से रिटायर्ड IAS अफसर जगमोहन राजू पर दांव खेला है। यह सभी मिलकर सिद्धू के वोट काट रहे हैं, जिससे उनकी परेशानियां बढ़ रही हैं।
विकल्प बढ़ने से वोटर भी कंफ्यूज
कांग्रेस की परंपरागत सीट समझी जाने वाली अमृतसर ईस्ट का वोटर इस बार यूं तो AAP के गुण गाता है, लेकिन कुछ देर साथ बैठकर चर्चा करने पर वह कभी मजीठिया तो कभी BJP की ओर झुकने लगता है। यानी वोटर भी अभी कंफ्यूज है और काफी हद तक यह स्वाभाविक भी है। दरअसल आज से पहले उसके पास इतने विकल्प कभी रहे ही नहीं। इस बार वह दुविधा में हैं, किसे छोड़े और किसे पसंद करें?
सिद्धू से लोग नाराज इसलिए
- सेलिब्रिटी वाली छवि से बाहर नहीं निकले। विधानसभा हलके में विकास नहीं हुआ।
- सिद्धू दंपती लोगों को आसानी से उपलब्ध नहीं हैं। वह कुछ लोगों तक सीमित रहे।
- रही-सही कसर कांग्रेस की ओर से सीएम फेस न बनाए जाने से पूरी हो गई।
- सिद्धू के पास एरिया में प्रचार के लिए न टीम है और न रणनीति बनाने वाले लोग।
- इलाके का वोटर भी समझ रहा है कि ये लोग 5 साल बाद सिर्फ वोट मांगने आते हैं।
ये बातें जा रहीं सिद्धू के पक्ष में
- अमृतसर ईस्ट कांग्रेसी सीट है। पार्टी का प्रदर्शन यहां लगातार अच्छा रहा है।
- सिद्धू कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। इसका लाभ उन्हें मिल रहा है।
- अच्छे वक्ता हैं। उनका अंदाज पसंद किया जाता है। वह लोगों को अपनी ओर मोड़ सकते हैं।
- आक्रामक स्टाइल और ईमानदार छवि भी उनके प्लस पॉइंट हैं। भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है।
- अकाली दल के बिक्रम सिंह मजीठिया को इस सीट पर जीरो से शुरुआत करनी पड़ रही है।
मजीठिया के सामने सबसे बड़ा चैलेंज
- सियासी जीवन में पहली बार शहरी सीट से उतरे। शहरी वोटर उनकी दबंग छवि से हिचक रहा।
- सिद्धू से सीधी टक्कर है। नया इलाका होने की वजह से जीरो से शुरुआत करनी पड़ रही।
- अमृतसर ईस्ट सीट पहले BJP के पास रही। इसलिए यहां अकाली दल का खास वोटबैंक नहीं है।
- कैंपेन संभालने के लिए रूरल टीम पर निर्भर जिसके लिए शहरी मतदाता से कनेक्ट करना मुश्किल।
- 2-2 सीटों पर प्रचार का जिम्मा। मजीठा सीट से पत्नी गुनीव कौर अपना पहला चुनाव लड़ रहीं।
मजीठिया इन वजहों के चलते रेस में
- अकाली दल का मजबूत कैडर जो मददगार साबित हो रहा। धुआंधार प्रचार से हवा बनाने की कोशिश।
- पंजाब के वोटरों में उन्हें लेकर एक खास तरह का क्रेज। सिद्धू के मुकाबले ग्राउंड पर बेहतर पकड़।
- इलाके के मुद्दों पर लगातार बात ताकि वोटरों में यह भरोसा जागे कि वह समस्याओं को हल कराएंगे।
- सियासी समीकरण साधने में महारत। सिद्धू की टीम में लगातार सेंध। कई पार्षद भी संपर्क में।
- पार्टी का सीनियर लीडर होने के नाते अपनी एक खास टीम भी है जो दिन-रात लगातार काम कर रही।
AAP के लिए बड़ा चैलेंज
- ग्राउंड पर खास एक्टिविटी नहीं। शहरी इलाका होने के कारण पार्टी का संगठन मजबूत नहीं।
- सिद्धू-मजीठिया के बीच सीधा मुकाबला होने से पार्टी कैंडिडेट फिलहाल चर्चा से बाहर।
झाड़ू को लेकर अंडर करंट
- ग्रामीण इलाके और शहर के स्लम एरिया में AAP की पकड़। लोगों के बीच पार्टी की बात।
- वोटरों में ‘बदलाव’ के प्रति अंडर करंट। कैंडिडेट नया है लेकिन पार्टी पर लोगों को भरोसा।
भाजपा: खुद को स्थापित करने की चुनौती
- 2017 में भाजपा के राजेश हनी को महज 17668 वोट मिले। सिद्धू 42809 वोटों से जीते।
- पार्टी ने रिटायर्ड IAS अफसर जगमोहन राजू को टिकट दी। उनकी इलाके में पहचान ही नहीं।
BJP की नजर हिंदू वोट बैंक पर
- शहरी क्षेत्र होने की वजह से पार्टी का प्रभाव। अमृतसर ईस्ट में हिंदू वोटर 32% और 38% दलित वोटर।
- आरएसएस का अच्छा संगठन जिसका फायदा पार्टी उम्मीदवार को मिल रहा। पार्टी के प्रति लॉयल वोट बैंक।
क्या कहते हैं वोटर
गुरप्रीत क्लॉथ हाउस के मालिक हरप्रीत सिंह ने कहा कि हर दूसरा ग्राहक AAP का नाम ले रहा है। मेरी दुकान पर रोज कई ग्राहक आते हैं। इनमें से अधिकतर की जुबान पर इस बार आम आदमी पार्टी का नाम हैं। मेरे बच्चे भी ऑस्ट्रेलिया में सैटल हैं। वह भी AAP को सपोर्ट करते हैं और कर रहे हैं कि इस बार वोट उसे ही देना चाहिए। हर कोई इस बार रिवायती पार्टियों से उठकर वोट देना चाहता है।
युवाओं का समय पढ़ाई की जगह नशे में जा रहा
वोट डालने से पहले हर कोई सोचता है। AAP ने स्ट्रॉन्ग उम्मीदवार नहीं उतारा। अगर उतारते तो उसके बारे में सोचते। फिलहाल सिद्धू और मजीठिया के बारे में ही सोच रहे हैं। अमृतसर ईस्ट में नशा बड़ी समस्या है। 60% यूथ बाहर जा चुका है। जो 40% यहां है वो नशे में फंस रहा है। यूथ का समय पढ़ाई की जगह नशा करने में जा रहा है।- रोहित शर्मा
लोग चुप, सच कोई नहीं बताता
चुनाव की बातें होती रहती हैं, लेकिन कोई भी सच नहीं बता रहा। इस इलाके के लोग अभी चुप हैं। सिद्धू अधिक बोलते हैं, लेकिन बोलते सच ही हैं। बिक्रम मजीठिया कहेंगे कुछ और करेंगे कुछ। इसलिए असली सीन तो मतदान से दो-चार दिन पहले ही साफ होगा।- लखबीर सिंह
हलके में विकास नहीं हुआ
सिद्धू के पंजाब मॉडल का क्या कहें, अमृतसर ईस्ट में तो काम ही नहीं हुए। पहले सिद्धू की पत्नी MLA थी और 5 साल से वह विधायक हैं। लोग इस बार बदलाव चाहते हैं। AAP ने कोई स्ट्रॉन्ग कैंडिडेट नहीं उतारा। इसलिए इस बार मजीठिया को चुनना चाहेंगे।- कुलजीत सिंह
अमृतसर ईस्ट सीट का इतिहास
- अमृतसर ईस्ट सीट पर 2017 में सिद्धू ने BJP कैंडिडेट राजेश हनी को 42809 वोटों से हराया।
- अमृतसर ईस्ट विधानसभा सीट पर पहला चुनाव 1951 में हुआ, जिसमें सरूप सिंह ने जीत दर्ज की।
- 1957, 1962 और 1967 में लगातार 3 बार भारतीय जनसंघ के बलदेव प्रकाश यहां से MLA बने।
- 1969 और 1972 में यह सीट कांग्रेस के कब्जे में चली गई।
- 2012 में इस विधानसभा क्षेत्र में वेरका और शहर के कुछ इलाके मिला दिए गए।
- 2012 में BJP ने अकाली दल से यह सीट लेते हुए सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर को टिकट दिया जो जीतीं।
2017 में यह रहा अमृतसर ईस्ट का रिजल्ट
- कुल मतदाता : 1,53,288
- वोट पोल हुए : 99306 (64.78%)
- नवजोत सिद्धू (कांग्रेस) को वोट मिले : 60447
- राजेश हनी (BJP) को वोट मिले : 17668
- सर्बजोत सिंह धांजल (AAP) को वोट मिले : 14715
- सिद्धू ने जीत दर्ज की : 42809
2022 में बढ़ गए 14725 वोट
- कुल वोटर : 168013
- पोलिंग स्टेशन : 171
- पोलिंग लोकेशंस : 64
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