सार

हर पार्टी ने अपने अपने प्रचार में ताकत झौंक दी है। इसके बाद भी कुछ ऐसे नेता है, जिनके पहले वाले तेवर इस चुनाव प्रचार में नजर नहीं आ रहे हैं। या फिर यूं कहें कि वह उनके तेवर ढीले पड़ चुके हैं। बात करें कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह की जो बहुत ही कम दिखाई दे रहे हैं।

चंडीगढ़. पंजाब विधानसा चुनाव में सिर्फ दो दिन और राजनीतिक पार्टियां प्रचार कर सकेंगी। क्योंकि 19 फरवरी बाद दोपहर प्रचार का शोर थम जाएगा। इससे पहले हर पार्टी ने अपने अपने प्रचार में ताकत झौंक दी है। इसके बाद भी कुछ ऐसे नेता है, जिनके पहले वाले तेवर इस चुनाव प्रचार में नजर नहीं आ रहे हैं। या फिर यूं कहें कि वह उनके तेवर ढीले पड़ चुके हैं। बात करें कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) की, वह अपने व्यंग्य भाषा, चुटकुले, तानों और उलाहनों में बात करते हैं। जब से वह सीएम पद की रेस से चन्नी से पिछड़े तब से उनके यह तेवर नरम पड़े हुए हैं। अब वह दो टूक बात कर रहे हैं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) भी कूल दिखाई दे रहे हैं।

शुरूआत में सिद्धू पुराने तेवर में दिखे, लेकिन फिर गायब 
अमृतसर के स्थानीय पत्रकार अनुज शर्मा ने बताया कि बीच बीच में जरूर सिद्धू अपने पुराने तेवर में आते नजर आए। लेकिन ज्यादा समय वह अपेक्षाकृत शांत से ही बने रहे। अनुज शर्मा ने बताया कि कैप्टन के कांग्रेस छोड़ने के बाद से सिद्धू खासे मुखर रहे। उन्होंने अकाली दल पर जोरदार हमला भी बोला। इसका कांग्रेस को फायदे की बजाय नुकसान होता चला गया। 

मजीठिया के चलते भी शांत हो गए सिद्धू
अकाली दल जो चुनाव की घोषणा से पहले तक रेस में सबसे पिछड़े हुए थे, अब सिद्धू के हमले से चर्चा में आने शुरू हो गए। अकाली दल के प्रति पंजाब के वोटर का सॉफ्ट कार्नर बना। रही सही कसर बिक्रमजीत सिंह मजीठिया के खिलाफ पर्चा दर्ज करा कर पूरी कर दी। इसका अकाली दल ने पूरा लाभ हुआ।  

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सिद्धू के सारे दांव पड़ गए उल्टे
अनुज शर्मा ने बताया कि सिद्धू के सारे दांव इस बार उलटे पड़ गए। आखिर में पार्टी ने उन्हें सीएम चेहरा भी नहीं बनाया। अब शायद वह समझ गए कि उनका बड़बोलापन ही परेशानी की वजह बन गया है। अब वह अपनी सीट छोड़ कर प्रचार के लिए दूसरी जगह पर नहीं जा रहे हैं। वह अमृतसर में ही ज्यादा वक्त देने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में उनकी प्रचार के लिए  काफी डिमांड रही। उन्होंने कई जगह पार्टी का जोरदार तरीके से प्रचार किया। इस बार वह ऐसा नहीं कर रहे हैं।  

कैप्टन भी महाराजा से आम नेता बन गए 
चुनाव ही क्यों न हो, अपने विधानसभा क्षेत्र पटियाला में कैप्टन कम ही सक्रिय रहते है। वह आम तौर पर एक रोड शो और एक दो बड़ी रैली करते थे। इस बार ऐसा नहीं है। वह नुक्कड़ सभा कर रहे हैं। रूठों को मनाने की कोशिश कर रहे हैं। पटियाला की गलियों में वोट मांग रहे हैं। पटियाला के सामाजिक कार्यकर्ता हरमन सिंह ग्रेवाल ने बताया कि कैप्टन ेके हालात बदल रहे हैं। कांग्रेस पार्टी से वह बाहर हो गए हैं। अब उन्हें अपनी सियासी पारी दोबारा से जमानी है। इसलिए वह अब लगातार लोगों के बीच में रह रहे हैं। अन्यथा आम दिन तो क्या वह चुनाव के दिनों में भी पटियाला में कम नजर आते रहे हैं। उनसे मिलना आम आदमी के लिए बहुत मुश्किल होता था। महल के अंदर ऐंट्री लेने में ही कई कई दिन लग जाते थे।  

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कैप्टन भी हुए कूल..पहले की तरह दहाड़ नहीं रहे
इस बार चुनाव प्रचार में भी कैप्टन पहले की तरह दहाड़ नहीं रहे हैं। वह बहुत ही सॉफ्ट तरीके से बात रख रहे हैं। वह पंजाब के सीमावर्ती राज्य होने का मुद्दा उठाते हैं और सुरक्षा की बात करते हैं। हालांकि पिछली बार के विधानसभा चुनाव में वह काफी आक्रामक रहे थे। इसका उन्हें लाभ भी मिला था, कांग्रेस 117 में से 77 सीट जीतने में कामयाब रही थी। लेकिन इस बार वह आम नेता की तरह प्रचार कर रहे हैं। वह न तो अकाली दल पर बरसने की बजाय कांग्रेस और सिद्धू पर ज्यादा बोल रहे हैं।  कैप्टन प्रचार के लिए इस बार दूसरी सीटों पर कम जा रहे हैं। वह सिर्फ तभी जाते हैं, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रचार के लिए आते हैं। इसके अलावा वह अपने विधानसभा क्षेत्र में भी प्रचार कर रहे हैं। 

कॉमेडियन से सीरियस नेता बनने की कोशिश में भगवंत मान 
भगवंत मान पिछले विधानसभा चुनाव में आम नेता की तरह प्रचार कर रहे थे। वह कहीं कहीं ताश खेल लेते थे। चुटकुले सुनाते थे। इस बार जब से उन्हें सीएम चेहरा घोषित किया, अब वह सीरियस नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं। अब वह विरोधियों पर हमला करने के लिए चुटकुले व व्यंग्य से ज्यादा तथ्यों पर ध्यान रहे हैं। वह मुद्दों की बात कर रहे हैं। इस बात का पूरा ध्यान रख रहे हैं कि कोई ऐसी बात न बोल दें, जिससे बवाल मच जाए। वह अपनी सीट के साथ साथ दूसरी सीटों पर भी प्रचार के काम में लगे हुए हैं। हालांकि उनका ज्यादा फोकस दिल्ली के विकास कार्य पर है। वह दिल्ली के विकास का मॉडल यहां दिखा कर इसी तरह का विकास पंजाब में कराने की बात कर रहे हैं। 

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 केजरीवाल और भगवंत मान के इर्द गिर्द आप
आम आदमी पार्टी का प्रचार  केजरीवाल और भगवंत मान के इर्द गिर्द ही घूम रहा है। वह माफिया भगाने, विकास और बुनियादी सुविधाओं में इजाफा करने की बात कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी के यह दोनों नेता आक्रमक होने की बजाय लोगों की सहानुभूति बटोरने की कोशिश में हैं। इसका उन्हें लाभ भी मिल रहा है। कम से कम एक बड़ा वोट बैंक आम आदमी पार्टी ने पंजाब में खड़ा कर लिया है। वह आम आदमी और सामान्य मुद्दों पर ही बातचीत को तवज्जो दे रहे हैं। 

सीएम पद को वीवीआईपी कल्चर से बाहर निकाल बनाया आम  
इस पूरे परिपेक्ष में कांग्रेस के सीएम फेस चरणजीत सिंह चन्नी ने सीएम पद की वीवीआईपी छवि को तोड़ा है। वह बहुत ही साधारण तरीके से अपनी बात रखते हैं। आम बोलचाल की भाषा में बात करते हैं।  सुरक्षाकर्मियों के तामझाम से दूर प्रचार के वक्त जगह जगह गाड़ी रोक कर लोगों से बात करते हैं। इसका उन्हें लाभ मिलता भी नजर आ रहा हैं। इस वक्त वह कांग्रेस के प्रचार का बड़ा भार अपने कंधों पर उठाए हुए हैं। लोग उनकी बात सुन रहे हैं। उनके बारे में बात भी कर रहे हैं। उन्होंने मात्र तीन माह में खुद को आम आदमी से कनेक्ट करते हुए खुद को सीएम चेहरे के तौर पर पार्टी में स्थापित किया। इसके साथ ही प्रदेश के मतदाता के बीच अपनी अलग छवि बनाई है। 

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चन्नी प्रकाश सिंह बादल की तरह लोगों से हो रहे कनेक्ट
पंजाब के सीनियर पत्रकार बलविंदर सिंह ने बताया कि इससे पहले पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल के बाद इस तरह से आम आदमी के साथ कनेक्ट रहते थे, अब  चरणजीत सिंह चन्नी ऐसे नेता है, जो लोगों के साथ सीधे कनेक्ट हो रहे हैं। लोगों को लगता है कि चन्नी उनके बीच का आदमी है। उनकी बात कर रहा है।

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