- Home
- States
- Bihar
- 12वीं पास डिप्टी सीएम के पास है वित्त मंत्रालय, 8 पास मंत्री को पशुपालन,जानिए किस मंत्री के पास है कौन विभाग
12वीं पास डिप्टी सीएम के पास है वित्त मंत्रालय, 8 पास मंत्री को पशुपालन,जानिए किस मंत्री के पास है कौन विभाग
- FB
- TW
- Linkdin
बिहार में पहली बार सात दिन के सीएम बनने वाले नीतीश कुमार सातवीं बार मुख्यमंत्री बने हैं। इसके साथ ही वो लगातार चार बार मुख्यमंत्री बनने का भी रिकार्ड बनाए। बताते चले कि नीतीश कुमार राष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा बार मुख्यमंत्री बनने के रिकार्ड की बराबरी कर लिए हैं। ये रिकार्ड अभी तक सिर्फ गोवा के मुख्यमंत्री रहे प्रताप सिंह राणे के पास है, जो 1980 से 2007 के बीच अलग-अलग समय में सात बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल चुके हैं। इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई करने वाले सीएम ने अपने पास गृह मंत्रालय, सामान्य प्रशासन जैसे विभाग रखे हैं।
डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद के पास वित्त मंत्रालय, वाणिज्यिक कर,पर्यावरण और जंगल, सूचना प्रौद्योगिकी, आपदा प्रबंधन और शहरी विकास विभाग की जिम्मेदारी है। इनके शिक्षा की बात करें तो वे 12वीं पास हैं। चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे में दी गई जानकारी के अनुसार, वे व्यापार और कृषि भी संभालते हैं। इनके पास कुल संपत्ति 1.9 करोड़ रुपए है। इनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से पुराना रिश्ता रहा है।
12वीं पास डिप्टी सीएम रेणु देवी को पंचायती राज विभाग का जिम्मा सौंपा गया है। इसके अतिरिक्त उन्हें पिछड़ी जाति का उत्थान और ईबीसी कल्याण उद्योग विभाग की भी जिम्मेदारी है। वो इस बार बेतिया से पांचवीं बार विधायक बनी हैं। चुनाव के पहले तक भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थी। बताते चले की रेणु देवी बिहार सरकार में पहली महिला डिप्टी सीएम बनी हैं।
पिछली सरकार में विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी इस बार कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। इन्हें नीतीश कुमार की सरकार में ग्रामीण विकास, सूचना-प्रसारण मंत्रालय और संसदीय कार्य मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। इस बार इन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आरजेडी नेता अरविंद सहनी को हरा कर जीत की हैट्रिक लगाई है। 1982 में राजनीति शुरू करने वाले चौधरी नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार में जल संसाधन मंत्री, प्रभारी गृहमंत्री रह चुके हैं। विजय चौधरी नीतीश सरकार में कृषि, सूचना और जनसंपर्क मंत्री भी रह चुके हैं।
कैबिनेट मंत्री व बीजेपी नेता अमरेन्द्र प्रताप सिंह को कृषि, सहकारिता, गन्ना विकास मंत्रालय दिया गया है। वह आरा से विधायक चुने गए हैं। इस बार उन्होंने चौथी बार जीत दर्ज की है। साल 2012 और 2015 में विधानसभा के डिप्टी स्पीकर रह चुके हैं। अमरेंद्र प्रताप की शिक्षा स्नातक है और इस बार चुनाव हलफनामे में दी गई जानकारी के मुताबिक उनकी कुल संपत्ति 2.08 करोड़ रुपए है।
वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी पशुपालन, मत्स्य विभाग के कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। आठवीं पास मुकेश सहनी इस बार चुनाव में बीजेपी ने अपने कोटे से वीआईपी को 11 सीटें दी थीं, जिसमें 4 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। मुकेश सहनी खुद सिमरी बख्तियारपुर से चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए। वह सहनी निषाद समुदाय से आते हैं, जिसकी बिहार में अच्छी-खासी तादाद है।
बीजेपी के नेता मंगल पांडेय इस बार भी स्वास्थ्य विभाग के कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। इनके पास कला-संस्कृति विभाग की अतिरिक्त जिम्मेदारी है। मंगल पांडेय बिहार बीजेपी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 1989 में बीजेपी में शामिल हुए थे। मंगल पांडेय अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् और आरएसएस से जुड़े रहे हैं। बिहार के कद्दावर नेताओं में उनका नाम है।
जेडीयू नेता बिजेंद्र यादव को फिर एक बार ऊर्जा विभाग के साथ निषेध योजना खाद्य और उपभोक्ता मामले के देख रेख की जिम्मेदारी सौंपी गई है। साल 1990 में सुपौल सीट से जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े विजेंद्र यादव लगातार जीत हासिल करते रहे हैं। 2005 में विजेंद्र यादव जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनकी कमान में ही 2005 में आरजेडी की बिहार की सत्ता से विदाई हुई थी और बीजेपी-जेडीयू की सरकार बनी थी।
डाक्टर अशोक चौधरी की जेडीयू के वर्चुअल आयोजनों में महत्वपूर्ण भूमिका रही। वर्ष 2017 में जब नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हुए तो 1 मार्च, 2018 को अशोक चौधरी ने जदयू की सदस्यता ली। पिछले साल उन्हें भवन निर्माण मंत्री बनाया गया था। वो बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे चुके हैं। जदयू, राजद और कांग्रेस के महागठबंधन में वर्ष 2015 के विधान सभा चुनाव में अशोक चौधरी के नेतृत्व में ही कांग्रेस को 27 सीटों पर विजय मिली थी। वर्ष 2014 में अशोक चौधरी बिहार विधान परिषद के सदस्य बने थे। इस बार उन्हें भवन निर्माण और समाज कल्याण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
मेवालाल चौधरी शिक्षा विभाग के कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। वो मेवालाल चौधरी मुंगेर के तारापुर से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। इससे पहले 2010-15 में उनकी पत्नी स्व. नीता चौधरी यहां से विधायक चुनी गई थीं। राजनीति में आने से पहले 2015 तक वे भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति थे। उन पर असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में गड़बड़ी का आरोप लगा था और उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी हुआ था।असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति घोटाले का मामला सबौर थाने में 2017 में दर्ज किया गया था। इस मामले में विधायक ने कोर्ट से अंतरिम जमानत ले ली थी।
कैबिनेट मंत्री व बीजेपी नेता जीवेश कुमार को पर्यटन, श्रम और खदान विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने दरभंगा की जाले सीट से जीत मिली है। उनके सामने कांग्रेस से मस्कूर उस्मानी उम्मीदवार थे, जिनका नाम जिन्ना विवाद में सामने आया था। जीवेश मिश्रा ने मैथिली भाषा में शपथ ग्रहण किए थे।
कैबिनेट मंत्री बीजेपी नेता रामसूरत राय को राजस्व और विधि मंत्रालय का जिम्मा दिया गया है। इन्होंने औराई से इस बार जीत दर्ज की है। रामसूरत राय ने बीकॉम किए हैं और उन्हें पहली बार बीजेपी के कोटे से मंत्री बनाया गया है। इससे पहले रामसूरत राय ने पहली बार 2010 में चुनाव जीता था।
कैबिनेट मंत्री और बीजेपी नेता रामप्रीत पासवान को पीएचईडी मंत्रालय दिया गया है। वो राजनगर सीट से चुनाव जीते हैं। रामप्रीत पासवान के पास डॉक्टरेट की उपाधि है। इस चुनाव में आरजेडी नेता रामअवतार पासवान को हराया था। इन्होंने मैथिली भाषा में शपथ ग्रहण किया था।
शीला कुमारी परिवहन विभाग की कैबिनेट मंत्री बनाई गई है। वो पहली बार फुलपरास से जेडीयू के टिकट पर विधायक बनी हैं। वो ग्रेजुएट है। 50 साल की शीला कुमारी की कुल घोषित संपत्ति 6.1 करोड़ है, जिसमें 39.1 लाख रुपये चल संपत्ति और 5.7 करोड़ अचल संपत्ति शामिल है।
संतोष सुमन मांझी नीतीश सरकार में लघु सिंचाई, एससी-एसटी कल्याण विभाग के कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। वो वो हम पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बेटे हैं। संतोष मांझी इस बार चुनाव नहीं लड़े थे। वे फिलहाल बिहार विधानसभा परिषद के सदस्य हैं। संतोष मांझी हम पार्टी के प्रधान महासचिव और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं। उनकी पढ़ाई-लिखाई राजनीति शास्त्र में एमए तक हुई है।