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शहाबुद्दीन की हिमाकत; दबोचने गई पुलिस पर अंधाधुंध फायरिंग, घर में मिला था पाकिस्तानी हथियारों का जखीरा
पटना (Bihar) । बिहार में सफेदपोश आतंक का दूसरा नाम मोहम्मद शहाबुद्दीन को माना जाता है। हो भी क्यों न, उसके कई कारनामे रोंगटे खड़े करने वाले हैं जिन्हें यादकर आज भी लोग खौफ से कांप जाते हैं। शहाबुद्दीन को हमेशा से लालू प्रसाद यादव का राजनीतिक संरक्षण प्राप्त रहा। हालांकि वो इस समय जेल की सलाखों के पीछे अपनी करतूतों की सजा काट रहा है। मगर उसके घर से पुलिस ने एक रेड के दौरान पाकिस्तानी हथियारों को बरामद किया था। ये ऐसे हथियार थे जिनका इस्तेमाल पाकिस्तान की सेना करती थी।
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16 अगस्त 2004 को रंगदारी के लिए व्यवसायी चंद्रेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के दो बेटों राजीव और सतीश की तेजाब से नहालकर हत्या कर दी गई थी। उस वक्त राज्य में आरजेडी की सरकार थी और शहाबुद्दीन उसी पार्टी का बाहुबली नेता। आरजेडी के सरकार की वजह से पुलिसवाले भी उसकी गिरेबां पर हाथ डालने से बच रहे थे। लेकिन, बाद में इसी मामले में उसे उम्र कैद की सजा मिली।
(फाइल फोटो)
तेजाब कांड की वारदात के बाद सिवान के तत्कालीन डीएम सीके अनिल और एसपी एस रत्न संजय कटियार ने तय किया कि वह शहाबुद्दीन के खौफ को खत्म कर के ही मानेंगे। दोनों अफसरों ने मिलकर प्लानिंग की और भारी पुलिस बल के साथ शहाबुद्दीन के प्रतापपुर वाले घर से दबोचने की कार्रवाई शुरू की। इसके उसके घर की घेराबंदी भी कर दी गई थी।
(फाइल फोटो)
बताते हैं कि शहाबुद्दीन के समर्थक पहले से ही तैयार बैठे थे। उन्होंने पुलिस के पहुंचते ही ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। हालांकि पुलिस तैयारी के साथ गई थी और जबरदस्त तरीके से पलटवार किया था।
(फाइल फोटो)
पुलिस का दावा है कि गोलीबारी थमने के बाद जब शहाबुद्दीन के प्रतापपुर वाले घर के अंदर दाखिल हुई तो उसके होश उड़ गए। घर में भारी मात्रा में पाकिस्तानी हथियार बरामद हुए थे। घर से पाकिस्तानी आर्डिनेंस कंपनी की मुहर लगी एके-47 राइफल भी बरामद हुई थी। कई ऐसे हथियार मिले जिसे केवल पाकिस्तानी सेना प्रयोग करती है।
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(फाइल फोटो)
पुलिस का उस समय दावा था कि छापेमारी में शहाबुद्दीन के घर से बहुमूल्य जेवरात और नकदी के अलावा जंगली जानवर जैसे शेर और हिरण की खाल भी बरामद हुई थी। इससे पहले साल 2001 में भी बिहार पुलिस शहाबुद्दीन को गिरफ्तार करने उनके प्रतापपुर वाले आवास पर छापेमारी करने पहुंची थी। इस दौरान शहाबुद्दीन के गुर्गों और पुलिस के बीच करीब 3 घंटे फायरिंग चली थी। इस दौरान 3 पुलिसकर्मी मारे गए थे।
(फाइल फोटो)
2001 में ही पुलिस जब आरजेडी के स्थानीय अध्यक्ष मनोज कुमार पप्पू के खिलाफ एक वारंट लेकर पहुंची थी तो शहाबुद्दीन ने गिरफ्तारी करने आए पुलिस अधिकारी संजीव कुमार को थप्पड़ मार दिया था। शहाबुद्दीन के सहयोगियों ने पुलिस वालों की जमकर पिटाई कर दी थी। इसके बाद पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा था।
(फाइल फोटो)