आज भी बिहार से जुड़ी हैं रतन राजपूत, साधारण घर से निकलकर ऐसे बन गईं टीवी की बड़ी स्टार
पटना (Bihar) । टेलीविजन की जानी मानी अभिनेत्री हैं रतन राजपूत का बिहार से सीधा कनेक्शन आज भी है। वे हाल ही में लॉकडाउन के दौरान बिहार के एक गांव में थी। जहां से रोज वीडियो अपलोड करने के कारण काफी सुर्खियों में रहीं हैं, बता दें कि वीडियो उनके फैंस को खूब पसंद आया। ऐसे में आज हम आपको रतन राजपूत के जीवन से जुड़ी बातें बता रहे हैं, जिसे बहुत कम लोग ही जानते हैं कि वह कैसे साधारण घर से निकलकर टीवी की बड़ी स्टार बनीं।
(बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनावी हलचल के बीच हम अपने पाठकों को 'बिहार के लाल' सीरीज में कई हस्तियों से रूबरू करा रहे हैं। इस सीरीज में राजनीति से अलग राज्य की उन हस्तियों के संघर्ष और उपलब्धि के बारे में जानकारी दी जाएगी जिन्होंने न सिर्फ बिहार बल्कि देश दुनिया में भारत का नाम रोशन किया। ये हस्तियां खेल, सिनेमा, कारोबार, किसानी और ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र से जुड़ी होंगी। बिहार के चुनाव और उसके आसपास की खबरों के लिए हमें पढ़ते रहें।)
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रतन राजपूत का जन्म 20 अप्रैल 1987 को हुआ था। रतन की चार बहनें और एक भाई शशांक हैं। सुनीता, किरण, सीमा, रागिनी उनसे बड़ी हैं। रतन की पढ़ाई मेरठ (यूपी) से हुई है।
रतन राजपूत पढ़ाई पूरी करने के बाद अपनी दीदी सीमा चौहान, जो कि फैशन डिजाइनर हैं, के पास दिल्ली चली गई। बचपन से एक्टिंग का शौक था, लेकिन एक्टिंग में करियर बनाने के बारे में उन्होंने कभी सोचा नहीं था।
रतन राजपूत 2008 में मुंबई घुमने गई। शुरूआत में एक महीने के लिए मुंबई में रहने का प्लान बनाया था। लेकिन, सौभाग्य से एक्टिंग करने का मौका मिल गया।
रतन राजपूत ने कुछ दिन बाद परिवार के लोगों को बताया कि मुंबई में जॉब मिल गई है। लेकिन, कुछ महीनों बाद उन्हें एक्टिंग के बारे में पता चली तो वे दुःखी हुए। हालांकि बाद में सबकुछ ठीक हो गया।
रतन राजपूत टेलीविजन की जानी मानी अभिनेत्री हैं। उन्होंने कई टेलीविजन सीरियल्स जैसे, राधा की बेटियां कुछ कर दिखाएंगी, अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो, स्वयंवर, जय संतोषी मां आदि में नजर आ चुकी हैं। इस समय रतन इंडस्ट्री से दूर हैं।
रतन राजपूत हर साल जब छठ पर अपने घर आती हैं तो भगवान सूर्य को अर्घ्य देना नहीं भूलतीं। मूल रूप से रतन समस्तीपुर जिले के बशिनपुर बेरी गांव की रहने वाली हैं। उनका पटना में भी घर है।
रतन राजपूत हिंदी की कहानियां और उपन्यास बेहद पसंद करती है। मुंशी प्रेमचंद उनके पसंदीदा रचनाकार है। वह नियमित रूप से डायरी लिखती हैं।
रतन राजपूत चुनाव में वोट देने जरूर आती हैं। वह बताती हैं कि वे शुरू से ही वोटर रही हैं। एक जागरूक नागरिक होने के नाते मतदाता सूची में नाम दर्ज होने के बाद सही नेता चुनने के लिए वोट जरूर डालती हैं।