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नाली खोद रहा था मजदूर, तभी जमीन में कुदाल टकराने से आई टन्न की आवाज, देखा...तो हैरान रह गया

भागलपुर, बिहार. जिले के शाहकुंड ब्लॉक के खेरीही कस्बा स्थित मिश्रा टोली में नाली की खुदाई के दौरान पुरातात्विक महत्व की गौतम बुद्ध की मूर्ति और चिलमनुमा वस्तु मिलने का मामला सामने आया है। यह जगह जिला मुख्यालय से करीब 24 किमी दूर है। हालांकि अभी साफतौर पर यह नहीं कहा जा सकता है कि आदमकद मूर्ति गौतम बुद्ध की ही है या कुछ और। यहां रहने वाले मोतीलाल मिश्रा नाली का निर्माण करा रहे थे। तभी मजदूर की कुदाली जमीन से टकराई और टन्न की आवाज आई। नीचे कोई पत्थर था। इसके बाद सावधानी से खुदाई की गई, तो मूर्ति मिली। इसके बाद मोहल्ले में भीड़ लग गई और लोग मूर्ति के साथ सेल्फी लेने लगे। मूर्ति के गले में कंठहार, सिर पर योद्धाओं जैसे सुरक्षा कवच और अन्य श्रंगार को उकेरा गया है। आगे पढ़ें यही कहानी... 

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Asianet News Hindi
Published : Dec 12 2020, 09:36 AM IST
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इस बारे में पुरातत्वविद कहते हैं कि मूर्ति पालकालीन लगती है। यह यक्ष जैसी लगती है। लेकिन सही मूल्यांकन पुरातत्वविद अपनी जांच में ही बता पाएंगे। मूर्ति के साथ एक मिट्टी की चिलमनुमा वस्तु भी मिली है। माना जा रहा है कि इसे तांत्रिक क्रियाओं में इस्तेमाल किया जाता होगा। आगे पढ़ें इसी के बारे में...

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भागलपुर के आसपास पहले भी मूर्तियां मिलती रही हैं। माना जाता है कि यहां पाल काल के उपरांत राजा शशांक की उप राजधानी थी। आगे पढ़ें-20 करोड़ वर्ष पुरानी इस चीज से खुलेगा डायनासोर का रहस्य, एक चौंकाने वाली खोज

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साहिबगंज, झारखंड.  पिछले कई सालों से भूवैज्ञानिक (Geologist) यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि 15-20 करोड़ वर्ष पहले की दुनिया कैसी रही होगी, डायनासोर का जीवन कैसा होगा? भूवैज्ञानिकों को समय-समय पर उस कालखंड के ऐसे जीवाश्म मिलते रहे हैं, जिनसे डायनासोर के बारे में थोड़ा-बहुत पता चलता है। कुछ समय पहले साहिबगंज में पुरातत्व विभाग को 15-20 करोड़ वर्ष पुरानी जीवाश्म पत्तियां (Fossil leaves) मिली हैं। माना जा रहा है कि ऐसी पत्तियां शाकाहारी डायनासोर खाते होंगे। इस इलाके में लगातार जीवाश्म मिल रहे हैं। इन पर देवी-देवताओं की आकृतियां दिखाई देने से आदिवासी उन्हें पूजने लगे हैं। इन जीवाश्म पत्तियों के मिलने के बाद संभावना है कि यहां से डायनासोर के अंडों के जीवाश्म भी मिल सकते हैं। आगे पढ़ें इसी खबर के बारे में...

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दुधकोल गांव के लोग इन जीवाश्मों को देवी-देवताओं का अवतार मानकर पूजा-अर्चना करने लगे हैं। आगे पढ़ें इसी खबर के बारे में..

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इन जीवाश्म की आकृतियां देवी-देवताओं के चित्रों की तरह होने से गांववाले इन्हें पुराने देवी-देवता मान रहे हैं। आगे पढ़ें इसी खबर के बारे में..
 

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तालझारी प्रखंड के सीमलजोड़ी, हरिजनटोला, झरनाटोला, निर्मघुट्टू और अन्य गांवों में ऐसे जीवाश्म लगातार मिल रहे हैं। आगे पढ़ें इसी खबर के बारे में..

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इसी जगह पर गांववालों को एक गड्डे में भगवान शिव और पार्वती की मूर्ति भी मिली। आगे पढ़ें इसी खबर के बारे में..
 

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भूगर्भ वैज्ञानिक डॉ. रणजीत कुमार बताते हैं कि यहां की पहाड़ियां आम लोगों के लिए तीर्थ स्थल से कम नहीं हैं। यहां पुराने जीवाश्म मिलते रहते हैं।

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