- Home
- States
- Bihar
- बिहार की ये बेटी बनी प्रदेश की पहली मुस्लिम DSP, पिता की मौत के बाद भी नहीं मानी हार और रच दिया इतिहास
बिहार की ये बेटी बनी प्रदेश की पहली मुस्लिम DSP, पिता की मौत के बाद भी नहीं मानी हार और रच दिया इतिहास
- FB
- TW
- Linkdin
दरअसल, हाल ही में बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC)की 64वीं परीक्षा के परिणामा का ऐलान किया है। जिसमें कई स्टूडेंट्स ने अपनी सफलता का परचम लहराया है। लेकिन मुस्लिम महिला डीएसपी बनना अपने आप में एक बड़ी बात है। इससे पहले कोई महिला इस समुदाय से राज्य में इस पद तक नहीं पहुंच सकी है। लेकिन रजिया ने वह कर दिखाया जो अभी तक कोई नहीं कर पाया था। वह उन 40 अभ्यर्थियों में से एक हैं, जो बिहार पुलिस में डीएसपी बनेंगी।
बता दें कि रजिया का परिवार अब झारखंड के बोकारो में रहता है। वह अपने सात भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं, उनकी सभी 5 बड़ी बहनों की शादी हो चुकी है। घरवाले रजिया की भी शादी करने वाले थे, लेकिन उन्होंने कह दिया था कि जब तक वह कुछ बन नहीं जाती वह शादी नहीं करेंगी। रजिया के इकलौते भाई ने पढ़ाई में एमबीए किया हुआ है और उत्तर प्रदेश के झांसी में एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं।
रजिया ने अपनी स्कूली पढ़ाई बोकारो से पूरी की हुई है। इसके बाद वह धपुर चली गईं, जहां से उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बी. टेक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वह बिहार विद्युत विभाग में उनकी नौकरी लग गई और वह असिस्टेंट इंजीनियर के तौर पर सेवाएं देने लगीं। इसके बावजूद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और बिहार लोक सेवा आयोग परीक्षा पास कर डीएसपी बन गईं।
बेटी की सफलता पर रजिया की मां कहना है कि बेटी ने वह कमाल कर दिखाया जिसका सपना उसने बचपन में देखा था। उसकी कामयाबी हमारी कामयाबी है। आज उसने हमारा सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है। उन्हें जिंदगी में पहली सबसे बड़ी खुशी मिली है।
मिली जानकारी के मुताबिक, रजिया के पिता मोहम्मद असलम अंसारी स्टील प्लांट में नौकरी करते थे। लेकिन साल 2016 में उनकी मौत हो गई। पूरा परिवार टूट गया, लेकिन रजिया ने हिम्मत नहीं हारी, बल्कि उसने सोच लिया कि अब जल्द से जल्द सरकारी नौकरी करना है। जिससे परिवार का खर्चा चला संकू। इसके बाद एक साल बाद ही 2017 में बिहार सरकार में बिजली विभाग में नौकरी लग गई। इस दौरान भी वह बीपीएससी की तैयारी करती रही।
रजिया ने अपनी सफलता के बाद मीडिया से बात करते हुए बताया कि उन्होंने बचपन से ही वह लोक सेवा आयोग में नौकरी करने का सपना देखा। इस चाहत को उन्होंने कभी समाप्त नहीं होने दिया। सरकारी नौकरी भी मिल गई, लेकिन कामयाबी की आग को हमेशा जलाए रखा। जैसे पहले तैयारी करती थी, अब नौकरी लगने के बाद ज्यादा तैयारी करने लगी और सफलता मिल गई।