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कभी अक्षय कुमार से भी ऊंचा स्टारडम रखने वाला यह एक्टर आज गुमनामी में बिता रहा है अपना जीवन
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फिल्मी मैगजीन में काम करते हुए थिएटर तक पहुंचे
मुंबई में अपनी पढाई पूरी करने बाद दीपक सिनैब्लिट्ज मैगजीन में काम करने लगे। इस मैगजीन में काम करते-करते उनकी मुलाकात फिल्मों में काम करने वाले लोगों से होता रहा। कई लोगों के बोलने के बाद वे थियेटर ग्रुप का हिस्सा बन गए। इस ग्रुप में पहले से ही आमिर खान, आशुतोष गोवारिकर, परेश रावल और विपुल शाह जैसे लोग थे। उनकी एक्टिंग की जब दोस्तों ने तारीफ की तो वे इसी फील्ड में करियर बनाने को लेकर सीरियस हो गए। करियर की शुरुआत में दीपक तीन साल तक प्रोड्यूसर्स के ऑफिस के चक्कर काटते रहे। इसके साथ ही उन्होंने होटल मैनेजर की नौकरी भी की।
'आशिकी' से मिली पहचान
कुछ वक्त बाद दीपक ने निर्माताओं के ऑफिस के चक्कर लगाना शुरू कर दिए। एक इंटरव्यू में खुद दीपक ने बताया है कि उन्हें किसी भी फिल्म निर्माता से मिलने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता। तीन साल तक यूं ही छोटे-मोटे रोल किए। काम तो नहीं था पर धीरे-धीरे दोस्त काफी बना लिए थे। इसी दौरान एक दोस्त ने बताया कि निर्देशक महेश भट्ट एक फिल्म बना रहे हैं जिसमें उन्हें एक सेकेंड लीड की जरूरत है। दीपक ने इस फिल्म के लिए अपना ऑडिशन दिया और वे हीरो के दोस्त के किरदार में फाइनल हो गए। यह फिल्म थी 'आशिकी'। फिल्म सुपरहिट रही और दीपक को भी फिल्म इंडस्ट्री में पहचान मिल गई। इसके बाद महेश ने दीपक को 'सड़क' और 'दिल है कि मानता नहीं' में भी दीपक को काम दिया।
अक्षय को छोड़कर दीपक को दिया गया रोल
यह किस्सा मंसूर खान की फिल्म 'जो जीता वही सिकंदर' का है। मंसूर खान अपनी इस फिल्म के लिए ऑडिशन ले रहे थे। फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने के लिए तो आमिर खान का चुनाव हो चुका था। अब उन्हें इसमें एक सेकेंड लीड की जरूरत थी। इस किरदार के लिए भी बहुत से लोगों ने ऑडिशन दिया जिसमें अभिनेता अक्षय कुमार भी शामिल थे। इसके लिए दीपक तिजोरी ने भी अपना ऑडिशन दिया। जब मंसूर ने सबके ऑडिशन देखे तो उन्होंने फैसला किया कि फिल्म में इस भूमिका के लिए दीपक तिजोरी ही फिट हैं, अक्षय कुमार का ऑडिशन उन्हें अच्छा नहीं लगा। यही दीपक तिजोरी बाद में अक्षय कुमार की फिल्म 'खिलाड़ी' में भी सेकेंड लीड करते नजर आए।
हीरोइन से पहले हो जाती थी दीपक की कास्टिंग
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में जब अक्षय कुमार, अजय देवगन और सुनील शेट्टी जैसे कलाकार अपनी जगह बनाने में लगे हुए थे तब उससे पहले दीपक एक कलाकार के रूप में स्थापित हो चुके थे। एक समय तो ऐसा था जब दीपक फिल्मों का जाना माना चेहरा हुआ करते थे। आलम ये था कि फिल्मों में हीरो की हीरोइन से पहले दीपक तिजोरी को हीरो के दोस्त के रूप में चुन लिया जाया करता था।
अक्षय की 'खिलाड़ी' में निभाया साइड रोल
फिल्म 'खिलाड़ी' के मुख्य अभिनेता बेशक अक्षय कुमार थे लेकिन फिर भी उस समय दीपक तिजोरी की लोकप्रियता अक्षय से ज्यादा थी। इस फिल्म की शूटिंग एक बार मुंबई के चेंबूर में चल रही थी तो शूटिंग देखने के लिए वहां लोगों का मजमा लग गया। लोगों को जब पता चला कि शूटिंग करने के लिए दीपक तिजोरी आए हैं तो लोग उनसे मिलने के लिए बेताब होने लगे। जब उन्हें दीपक से मिलने का मौका मिला तो वह उन पर टूट पड़े। यह सारा दृश्य फिल्म के मुख्य अभिनेता अक्षय कुमार एक ओर बैठे अपनी आंखों से देख रहे थे। वह समय ही ऐसा था जब दीपक के सामने आज के बड़े बड़े कलाकार भी कुछ नहीं थे।
और टूट गया लीड हीरो बनने का सपना
थियेटर के दिनों में उनके सबसे अच्छे दोस्त रहे आशुतोष गोवारिकर अपने जीवन की पहली फिल्म बनाने जा रहे थे। वह फिल्म थी 'पहला नशा'। उस समय दीपक की लोकप्रियता तो बहुत थी लेकिन निर्माता उन्हें सिर्फ सेकेंड लीड के लिए चुनते थे। आशुतोष ने दीपक को अपनी इस फिल्म में मुख्य भूमिका में चुना। जब यह थ्रिलर फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हुई तो फ्लॉप साबित हुई। इस फिल्म में दीपक के साथ पूजा भट्ट और रवीना टंडन मुख्य भूमिकाओं में थीं। हालांकि, इस फिल्म की एक छोटी सी क्लिप खूब वायरल हुई। दरअसल, यही एक ऐसी फिल्म है जिसमें शाहरुख और आमिर एक साथ नजर आए हैं। खैर, इस फिल्म के फ्लॉप होने के साथ ही दीपक का फिल्मों में मुख्य अभिनेता बनने का सपना भी टूट गया।
इस कारण काम मिलना हुआ बंद
कुछ वक्त बाद जब फिल्मों में सहायक अभिनेताओं की भूमिकाएं भी मशहूर अभिनेता ही करने लगे तो दीपक को फिल्में मिलना कम हो गईं। यहां से उनके पास काम की कमी रहने लगी। फिर तो ऐसा हो गया था कि दीपक के पास कोई भी ऑफर आता तो वह उसे कर लेते थे। हालांकि, इसके बावजूद भी उन्हें कुछ ज्यादा काम नहीं मिला। इस बुरे वक्त में उनके काम आए उनके पुराने दोस्त आमिर खान और महेश भट्ट। महेश उस समय फिल्म 'गुलाम' बना रहे थे। इसमें उन्होंने एक भूमिका निभाने के लिए दीपक को चुना। दीपक एक अच्छे कलाकार तो थे ही, इसलिए उन्होंने फिल्म में अपना काम अच्छे से किया और फिल्म तो सुपरहिट ही रही। इसके बाद इस फिल्म की वजह से ही उन्हें संजय दत्त की फिल्म 'वास्तव' में भी एक छोटा किरदार मिला।
विवदों में उलझी बतौर निर्देशक पहली फिल्म
दीपक को अब भी फिल्मों में कुछ छोटे-मोटे किरदार तो मिल रहे थे लेकिन वे उन्हें पसंद नहीं आ रहे थे। इसके बाद उन्होंने फैसला लिया कि वे फिल्म निर्देशक बनेंगे। उन्होंने एक एडल्ट ड्रामा फिल्म 'ऊप्स' बनाई। इस फिल्म का विषय थोड़ा बोल्ड था इसलिए फिल्म सेंसर बोर्ड में ही अटकी रही। फिल्म के लेखक, निर्देशक और निर्माता सभी कुछ दीपक ही थे। जब यह फिल्म फ्लॉप हुई तो दीपक का दिवाला भी निकल गया। इसके बाद उन्होंने 'टॉम डिक एंड हैरी', 'खामोश- खौफ की रात' जैसी कुछ और फिल्में भी निर्देशित कीं लेकिन कुछ भी हाथ नहीं लगा। 2016 में दीपक ने एक बार फिर से कमबैक करने की कोशिश की और बतौर निर्देशक 'दो लफ्जों की कहानी' बनाई। इस फिल्म ने ठीक-ठाक प्रदर्शन किया।
पत्नी ने घर से निकाला तो पीजी में रहे
प्रोफेशनल लाइफ में फ्लॉप होने का असर दीपक की पर्सनल लाइफ पर भी पड़ा। दीपक का किसी बात पर पत्नी शिवानी से झगड़ा हो गया। दरअसल, शिवानी को शक था कि दीपक का किसी योगा इंस्ट्रक्टर से एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर चल रहा है। शिवानी ने तलाक का नोटिस भेज दिया और उन्हें घर से निकालकर मुआवजा देने की भी मांग की। दीपक बताते हैं कि उन दिनों उनकी तो हालत पतली हो चुकी थी इसलिए उनके पास कुछ देने को था ही नहीं। उन्होंने सीधे-सीधे मना कर दिया। दीपक इसके बाद अपने माता-पिता के साथ वापस जाकर रहने लगे। उन्होंने वहां से निकलकर दूसरे लोगों के साथ वह पेईंग गेस्ट (पीजी) में भी रहना शुरू कर दिया।
बेटी भी कर रही फिल्मों में काम
दीपक और शिवानी की बेटी समारा तिजोरी भी इन दिनों बतौर एक्ट्रेस बॉलीवुड में अपना मुकाम हासिल करने की कोशिश कर रही हैं। वे हाल ही में रिलीज हुई अभिषेक बच्चन की फिल्म 'बॉब बिसवास' में नजर आई थी।
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