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इस 1 वजह से पाई-पाई को मोहताज हो गए थे अनुपम खेर, कंगाली की हालत में करना पड़ा था ये काम
मुंबई। अनुपम खेर (Anupam Kher) 66 साल के हो गए हैं। 7 मार्च, 1955 को शिमला में पैदा हुए अनुपम खेर ने बतौर लीड एक्टर करियर की शुरुआत महेश भट्ट की फिल्म ‘सारांश’ (1984) से की थी। वैसे, उनकी डेब्यू फिल्म 'आगमन' (1982) को माना जाता है। हालांकि उन्हें सही मायनों में पहचान भी 'सारांश' से ही मिली। इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला था। फिल्म में 28 साल के अनुपम ने एक बुजुर्ग शख्स का किरदार निभाकर खूब तारीफ पाई थी। वैसे, अनुपम खेर ने खुद अपनी लाइफ में एक ऐसी फिल्म भी बनाई है, जिसके चलते वो न सिर्फ दिवालिया बल्कि पाई-पाई को मोहताज हो गए थे। एक इंटरव्यू में अनुपम खेर ने खुद इस दर्द को बयां किया था।
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2005 में अनुपम खेर ने अपने प्रोडक्शन हाउस से फिल्म 'मैंने गांधी को नहीं मारा' बनाई। इस फिल्म के बाद एक इंटरव्यू में अनुपम खेर ने बताया था कि वे इस फिल्म से टाइकून बनना चाहते थे लेकिन फिल्म ने उन्हें पूरी तरह कंगाल बना कर रख दिया।
अनुपम खेर के मुताबिक, मैं अपना स्टूडियो बनाना चाहता था लेकिन इस फिल्म ने मुझे दिवालिया बना कर छोड़ा। यहां तक कि मेरे पास 5 हजार रुपए भी नहीं बचे थे। इसके बाद मैंने अपना प्ले 'कुछ भी हो सकता है' किया, जिससे मुझे कुछ आमदनी हुई।
2015 में मलेशिया में आयोजित आइफा अवॉर्ड फंक्शन के दौरान अनुपम खेर ने अपने एक्टिंग स्कूल खोलने के पीछे की कहानी बताई थी। उनके मुताबिक, 2005 में दिवालिया होने का ही नतीजा है कि उन्हें अपना एक्टिंग इंस्टीट्यूट 'द एक्टर प्रीपेयर्स' खोलना पड़ा।
अनुपम खेर के मुताबिक, जब वो फिल्ममेकिंग के सभी पहलुओं पर फेल हो गए तो फाइनली एक्टिंग इंस्टीट्यूट खोलने का ही मन बनाया। बता दें, खेर ने अपना एक्टिंग स्कूल एक छोटे से रूम में महज 12 स्टूडेंट्स के साथ शुरू किया था। धीरे-धीरे उनका ये इंस्टिट्यूट चल निकला और अनुपम को इस कंगाली से निकलने में मदद मिली।
अनुपम खेर अपने 36 साल लंबे करियर में अब तक 500 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। लोगों ने उन्हें कहा था कि 'सारांश' में 65 साल के बुजुर्ग का किरदार निभाना उनके जीवन की सबसे बड़ी गलती हो सकती है लेकिन बाद में वही फिल्म उनके करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई।
अनुपम खेर ने फिल्म 'देवदास' में ऐश्वर्या राय यानी 'पारो' की मां का रोल निभाने वाली एक्ट्रेस किरण खेर से 1985 में की थी। बता दें, इस फिल्म से किरण को नेम और फेम दोनों ही मिला था।
किरण और अनुपम खेर की मुलाकात चंडीगढ़ में एक थियेटर के दौरान हुई थी। दोनों तब अच्छे दोस्त हुआ करते थे। उस वक्त ये रिश्ता मोहब्बत के आस-पास भी नहीं भटकता था। किरण और अनुपम के बीच इतनी पक्की दोस्ती थी कि उनके दरमियां प्यार जैसा कुछ भी नहीं था।
अनुपम और किरण दोनों कोलकाता में एक प्ले करने गए थे, जब उन्हें पहली बार प्यार का एहसास हुआ। किरण खेर ने इस किस्से को लेकर एक बार कहा था कि अनुपम तब कुछ अलग लग रहे थे। उन्होंने किसी फिल्म के लिए सिर मुंडवाया हुआ था। वो उनके कमरे से जब लौटने लगे तो अनुपम ने किरण को देखा। उस पल में कुछ खास था, जो दोनों ने ही महसूस किया था।