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Chamoli Tragedy: जानिए क्यों टूटता है ग्लेशियर? कैसे हिमखंड टूटने पर बाढ़ से मचती है तबाही?
करियर डेस्क. उत्तराखंड के चमोली में रविवार 7 फरवरी 2021 को बेहद भयानक श्रासदी हुई। यहां चमोली के पास ग्लेशियर टूटने से भारी हिमस्खलन हुआ है। तबाही की तस्वीरें सामने आ चुकी हैं जिसमें पानी के सैलाब ने जोशीमठ डैम और तपोवन बैराज बांध को भी ध्वस्त कर दिया। 70 से ज्यादा लोगों के लापता होने की खबर है। राज्य में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है और रेस्क्यू टीम्स को मौके पर भेजा गया है। ग्लेशियर टूटना से ये आपदा आई है दोस्तों क्या आपने पहले कभी ऐसी आपदा या ग्लेशियर के विषय में सुना है? नहीं सुना तो आपको भूगोल से जुड़े ये सवाल जरूर जानना चाहिए। यहां हम आपको ग्लेशियर, ग्लेशियर कैसे टूटता और इससे बाढ़ आने की स्तिथियों के बारे में बताएंगे-
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क्या है ग्लेशियर ?
ग्लेशियर (Glacier) या हिमानी या हिमनद एक विशाल आकार के बर्फीले पहाड़ों कहते हैं। ये पर्वतों से नीचे की ओर गतिशील होते हैं। जैसे-जैसे ग्लेशियर के ऊपरी हिस्से पर बर्फ का भार बढ़ता जाता है, उसकी निचले हिस्से पर दबाव पड़ने लगता है।
एक तो गुरुत्वाकर्षण की वजह से और दूसरा ग्लेशियर के किनारों पर टेंशन बढ़ने की वजह से। ग्लोबल वार्मिंग के चलते बर्फ पिघलने से भी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटकर अलग हो सकता है। जब ग्लेशियर से बर्फ का कोई टुकड़ा अलग होता है तो उसे काल्विंग कहते हैं।
कैसे आती है ग्लेशियर बाढ़?
ग्लेशियर फटने या टूटने से आने वाली बाढ़ का नतीजा बेहद भयानक हो सकता है। ऐसा आमतौर पर तब होता है जब ग्लेशियर के भीतर ड्रेनेज ब्लॉक होती है। पानी अपना रास्ता ढूंढ लेता है और जब वह ग्लेशियर के बीच से बहता है तो बर्फ पिघलने का रेट बढ़ जाता है।
इससे उसका रास्ता बड़ा होता जाता है और साथ में बर्फ भी पिघलकर बहने लगती है। इंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका के अनुसार, इसे आउटबर्स्ट फ्लड (Outburst flood) कहते हैं।
ये आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में आती हैं। कुछ ग्लेशियर हर साल टूटते हैं, कुछ दो या तीन साल के अंतर पर। कुछ कब टूटेंगे, इसका अंदाजा लगा पाना लगभग नामुमकिन होता है।
यहां ये बताना भी जरूरी है कि हिमस्खलन और ग्लेशियर पिघलना दोनों अलग चीजें हैं। हिमस्खलन में बर्फ टूट जाती है या अपने स्थान पर धंस जाती है इससे हादसे होते हैं। ज्यादातर पर्वतीय इलाकों में गश्त कर रहे जवान हिमस्खलन से हुए हादसों का शिकार होते हैं। वहीं ग्लेशियर टूटना, कहीं बहुत ज्यादा मात्रा में जमी बर्फ का पिछला और टूटना है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर पिघलना एक वैश्विक क्लाइमेट चेंज का बड़ा गंभीर मुद्दा है।
उत्तराखंड के चमोली में इसी कारण त्रासदी मची है। इस आपदा में बड़े जान-मान के नुकसान होने की आशंका है। अभी तक करीब 50 से 75 लोगों के बहने की खबर है। वहीं इस आपदा में देश के जवानों को जोड़ने वाला एक पुल भी बह गया है। ग्लेशियर फटने से आए लबालबा पानी के सैलाब से यहां मलारी को जोड़ने वाला पुल बह गया है।
तपोवन इलाके में एक ग्लेशियर के टूटने से ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट क्षतिग्रस्त हो गया है। अलकनंदा नदी के किनारे रहने वाले लोगों को जल्द से जल्द सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है। नदी में अचानक पानी आने से अलकनंदा के निचले क्षेत्रों में भी बाढ़ की आशंका है। तटीय क्षेत्रों में लोगों को अलर्ट किया गया है। नदी किनारे बसे लोगों को हटाया जा रहा है।
राज्य में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है और रेस्क्यू टीम्स को मौके पर भेजा गया है। ऋषिगंगा पावर प्रॉजेक्ट को भी नुकसान की खबर है। अलकनंदा नदी के किनारे रहने वालों को फौरन सुरक्षित स्थानों की ओर जाने के निर्देश दिए गए हैं। ऐहतियात के तौर पर भागीरथी नदी का पानी रोक दिया गया है। श्रीनगर डैम और ऋषिकेश डैम को खाली करा लिया गया है।