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शिक्षा के लिए किसी पर पड़े पत्थर तो किसी ने झेला जातिवाद, ये हैं देश में शिक्षा की क्रांति लाने वाले 6 टीचर्स

करियर डेस्क. Indias top 6 best teachers: टीचर्स डे सभी टीचर्स के प्रति श्रद्धा भाव से मनाया जाता है जिन्होंने हमें कुछ महत्त्वपूर्ण पाठ पढ़ाया। भारत में टीचर्स डे 5 सितंबर को मनाया जाता है। आज पूरा देश टीचर्स डे सेलेब्रेट कर रहा है बच्चे अपने फेवरेट शिक्षकों को शुभकामनाएं दे रहे हैं। टीचर्स डे भारत के पहले उप राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधा कृष्णन के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। हमारे जीवन को सही दिशा देने में टीचर्स का काफी योगदान होता है और टीचर्स डे हमें उनके प्रति शुक्रिया अदा करने का मौका देता है। ऐसे में हम आपको कुछ उन शिक्षकों के बारे में बताते हैं जो कि काफी अच्छे नेता भी रहे थे। न सिर्फ देश में बल्कि पूरी दुनिया ने इनका लोहा माना और इनके विचारों का अनुसरण किया। ये 6 शिक्षक आज भी युवाओं के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं- 

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Asianet News Hindi
Published : Sep 05 2020, 10:03 AM IST| Updated : Sep 05 2020, 11:20 AM IST
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आज 5 सितंबर को देशभर में मनाए जा रहे शिक्षक दिवस के मौके पर हम आपके ऐसे शिक्षक और लीडर्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने शिक्षा के महत्व को लोगों तक पहुंचाने बहुत संघर्ष किए। न सिर्फ देश बल्कि पूरी दुनिया ने इनके विचारों को स्वीकारा और सम्मानित किया। किसी ने महिला शिक्षा के लिए पत्थर खाए तो किसी ने स्कूल के बाहर बैठ जातिवाद झेलकर भी देश का संविधान लिख दिया। 

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1. डॉ. सर्वपल्ली राधा कृष्णन

 

इस सूची में सबसे ऊपर तो डॉ. सर्वपल्ली राधा कृष्णन का आता है। इनके छात्र इनको काफी पसंद करते थे। इसका सबसे बड़ा उदारण ये है कि जब वे कलकत्ता यूनिवर्सिटी में ज्वाइन करने के लिए जा रहे थे तो उनके रेलवे स्टेशन तक जाने के लिए उनके लिए जो बग्गी मंगाई गई थी उसे फूलों से सजाया गया था और घोड़े की जगह उसे उनके छात्र खींचकर ले गए थे।

 

जब वे राज्य सभा की गतिविथियों में के दौरान सभापति के रूप में कार्यरत होते थे तो सांसदों को शांत कराने के लिए संस्कृत के श्लोक बोला करते थे। उन्हें काफी अवॉर्ड भी मिले थे। साल 1954 में उन्हें भारत रत्न दिया गया था।

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2 बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर. 

 

भारत रत्न बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने बचपन से ही बहुत मेधावी थे। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 मध्यप्रांत जिसे अब मध्य प्रदेश कहा जाता है के महू नगर स्थित सैन्य छावनी में हुआ था। डॉक्टर अंबेडकर ने बॉम्बे विश्वविद्यालय से स्नातक किया। इसके बाद उन्होने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से भी उच्च शिक्षा प्राप्त की थी।

 

भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपने जीवन के 65 सालों में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, औद्योगिक, संवैधानिक आदि क्षेत्रों में अनगिनत कार्य करके राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने कई ऐसे काम किए, जिन्हें आज भी हिंदुस्तान याद रखता है। मानवाधिकार जैसे दलितों एवं दलित आदिवासियों के मंदिर प्रवेश, पानी पीने, छुआछूत, जातिपाति, ऊंच-नीच जैसी सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए कार्य किए। 

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3. स्वामी विवेकानंद

 

स्वामी विवेकानंद की बुद्धिमत्ता और समाज के प्रति उनके योगदान के बारे में कौन नहीं जानता है। उनका जन्म साल 1863 मे हुआ था। उन्होंने पूरी दुनिया को भारतीय संस्कृति का ज्ञान कराया। 1893 में शिकागो में दिए गए उनके स्पीच को आज भी सराहा जाता है। उन्होंने वेदांत की शिक्षा देने के लिए राम कृष्ण मिशन की स्थापना की। वे गुरुकुल प्रणाली के काफी बड़े समर्थक थे। गुरुकुल शिक्षा में स्टूडेंट और टीचर एक साथ रहते हैं।

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4. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम

 

भारत के मिसाइल मैन और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम हमेशा चाहते थे कि वे एक बेहतर टीचर के रूप में जाने जाएं। बच्चों से उन्हें खास प्रेम था। पढ़ाना उनका शौक था और उनका निधन भी शिलॉन्ग के आईआईएम में पढ़ाते हुए ही हुई। वे बच्चों से काफी तेजी से जुड़ जाते थे।

 

डॉ. कलाम शुरू से ही काफी मेहनती थे। उन्होंने तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से फिजिक्स की पढ़ाई की और मद्रास इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पढ़ाई की। कलाम ने साइंस, आध्यात्मिकता और मोटीवेशनल किताबें लिखीं। कलाम के कोट्स और सफलता के मंत्र आज भी युवाओं के बीच खास पसंद किए जाते हैं। 

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5 सावित्रीबाई फुले.

 

19वीं सदी में स्त्रियों के अधिकारों, अशिक्षा, छुआछूत, सतीप्रथा, बाल या विधवा-विवाह जैसी कुरीतियों पर आवाज उठाने वाली देश की पहली महिला शिक्षिका को जानते हैं? ये थीं महाराष्ट्र में जन्मीं सावित्री बाई फुले जिन्होंने अपने पति दलित चिंतक समाज सुधारक ज्योति राव फुले से पढ़कर सामाजिक चेतना फैलाई। उन्होंने अंधविश्वास और रूढ़ियों की बेड़ियां तोड़ने के लिए लंबा संघर्ष किया। उन्होंने खुद पढ़कर अपने पति ज्योतिबा राव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए 18 स्कूल खोले।

 

बता दें, साल 1848 में महाराष्ट्र के पुणे में देश का सबसे पहले बालिका स्कूल की स्थापना की थी। वहीं, अठारहवां स्कूल भी पुणे में ही खोला गया था। उन्‍होंने 28 जनवरी, 1853 को गर्भवती बलात्‍कार पीड़ितों के लिए बाल हत्‍या प्रतिबंधक गृह की स्‍थापना की। बताते हैं कि ये वो दौर था कि सावित्रीबाई फुले स्कूल जाती थीं, तो लोग पत्थर मारते थे। उन पर गंदगी फेंक देते थे. सावित्रीबाई ने उस दौर में लड़कियों के लिए स्कूल खोला जब बालिकाओं को पढ़ाना-लिखाना सही नहीं माना जाता था। सावित्रीबाई फुले एक कवियत्री भी थीं। उन्हें मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था।

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6. राजा राम मोहान राय

 

राजा राम मोहन राय काफी बड़े सामाजिक कार्यकर्ता थे. उन्होंने समाज में व्याप्त तमाम कुरीतियों जैसे सती प्रथा, दहेज प्रथा इत्यादि के खिलाफ आवाज़ उठाई। साल 1828 में उन्होंने ब्रह्मो समाज की स्थापना की।

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