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देश का हर युवा गांठ बांध ले श्रीराम के इन शक्तिशाली वचनों की सीख, यूं ही नहीं पुरषोत्तम कहे जाते हैं भगवान
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श्रीराम के प्रेराणात्मक विचार जीवन की कुंजी हैं। ये दुख-सुख में धैर्य से काम लेने की प्रेरणा देते हैं। साथ ही मनुष्य को क्रोध पर काबू पाने की सीख भी।
श्रीराम वचन: केवल डरपोक और कमजोर ही चीजों को भाग्य पर छोड़ते हैं लेकिन जो मजबूत और खुद पर भरोसा करने वाले होते हैं वे कभी भी नियति या भाग्य पर निर्भर नही करते।
श्रीराम वचन: सर्वनाश के प्रमुख 3 कारण इस प्रकार हैं : दूसरों के धन की चोरी, दूसरे की पत्नी पर बुरी नजर और अपने ही मित्रों के चरित्र व अखंडता पर शक।
श्रीराम वचन: पिता, गुरु व ज्येष्ठ भ्राता, जो धर्म पालन का ज्ञान देते हैं, वे सभी पिता सामान होते हैं।
श्रीराम वचन: क्रोध हमारा शत्रु है, और हमारे जीवन का अंत करने में समर्थ है, क्रोध हमारा ऐसा शत्रु है जिसका चेहरा हमारे मित्र जैसा लगता हैं। क्रोध एक तलवार की तेज धार की भांति है। क्रोध हमारा सबकुछ नष्ट कर सकता है।
श्रीराम वचन: सत्यवादी व्यक्ति कभी झूठे वचन नहीं देते। दिए हुए वचन का पालन करना ही उनकी महानता का चिंह होता है।
श्रीराम वचन: अभिमानी व्यक्ति, चाहे वह आपका गुरु, पिता व उम्र अथवा ज्ञान में बड़ा भी हो, उसे सही दिशा दिखाना अति आवश्यक होता हैं।
श्रीराम वचन: चाहे चंद्रमा की सुंदरता चली जाए, हिमालय हिम रहित हो जाये, और सागर जल रहित हो जाए, तो भी मैं अपने पिता को दिया हुआ वचन नहीं तोडूंगा।
श्रीराम वचन: दुःख हो या सुख, मित्र ही मित्र के काम आता है।
श्रीराम वचन: अपनी बातों को हमेशा ध्यानपूर्वक कहे, क्योंकि हम तो कहकर भूल जाते हैं, लेकिन लोग उसे याद रखते हैं।
श्रीराम वचन: नदी में गिरने से कभी भी किसी की मौत नहीं होती है। मौत तो तब होती है जब उसे तैरना नहीं आता है।
श्रीराम वचन: मित्रता या शत्रुता बराबर वालों से करनी चाहिए।
श्रीराम वचन: माता-पिता की सेवा और उनकी आज्ञा का पालन जैसा दूसरा धर्म कोई भी नहीं है।