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आपका बिहेवियर बच्चों की मेंटल हेल्थ पर नहीं पड़ने देगा असर, इन 5 बातों का रखें ख्याल
करियर डेस्क. बीते एक साल से भी अधिक समय से कोरोना महामारी का गाइड लाइन का पालन करते हुए छोटे बच्चे अपने घरों में हैं। कोरोना के कारण स्कूल भी बंद हैं और ऑनलाइन पढ़ाई हो रही हैं। ऐसे में बच्चे मेंटल और इमोशनल रूप से अपने आपको कमजोर महसूस करने लगे हैं। बच्चों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। पैरेंट्स घर में ही अपने बच्चों को कैसा माहौल दें कि बच्चे खुश रहें और उनके मेंटल हेल्थ पर भी असर नहीं पड़े। आइए जानते हैं बच्चों का कैसे ध्यान रखें।
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बच्चों के साथ खेल खेलें
बच्चे के साथ खेल खेलें। उसे उन तरीकों की पेंटिग को बनाने या इकट्ठा करने की बात कहें जिनसे आपकी फैमली कोरोना से सुरक्षित है। एक कोलाज बनाएं और सभी को याद दिलाने के लिए इसे ऐसी जगह लगाएं जहां कई बार सब की नजर जाए। खाली समय में बच्चों के साथ खेल खेलें। इनडोर खेल को अधिक फोकस करें।
एक्सरसाइज और खाना
एक्सरसाइज करने से शरीर कई रसायन छोड़ता है। ये रसायन हमें खुश रखने में हेल्प करते हैं। अच्छा करने में मदद करते हैं। विशेषकर आप इन दिनों घर में रहकर ही एक्सरसाइज करें तो अच्छा है। इसके अलावा परिवार में भी ऐसी गतिविधियों या खेल से बचने की कोशिश करें, जिनमें गेंद और खेल के उपकरण एक हाथ से दूसरे हाथ में जाते हों। संतुलित और संपूर्ण आहार बच्चों को दें। बच्चे शारीरिक और भावनात्मक दोनों तरह की सुरक्षा के लिए माता-पिता पर भरोसा करते हैं। अपने बच्चे को आश्वस्त करें कि आप उनके लिए वहां हैं। उसे गले लगाएं और दिन मे कई बार प्यार का अहसास दिलाएं।
मोबाइल में सीमित वक्त दें
टीवी और मोबाइल फोन के समय को सीमित करें। बच्चों और परिवार के सदस्यों के साथ कोई किताब पढ़ें। गाना गाएं, वीडियो साझा करें, एक साथ खाना बनाना आदि कर घर में अच्छा माहौल बना सकते हैं।
धूप और रोशनी में रखें
धूप आपके स्वभाव में प्रसन्नता लाने में मदद करती है। बच्चों व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ लगभग आधा या एक घंटे का समय खुले में बिताएं। जैसे, छत, बालकनी या घर में बागीचा है तो वहां घूमें। अपने और बच्चों के सोने का समय तय रखें। इससे आप पर्याप्त आराम भी कर सकेंगे। बिस्तर पर जाने से पहले अच्छा संगीत सुनें, मनपसंद साहित्य पढ़ें। सोने के वक्त फोन या टीवी का उपयोग न करें।
थैक्स कहना सीखाएं
अपने बच्चे को थैक्स कहना सीखाएं। इससे बच्चों में खुशी बढ़ती है। इससे तनाव दूर होता है। अपने बच्चे को हर दिन कम से कम तीन लोगों, स्थानों, घटनाओं या चीजों को लिखने में मदद करें जिनके प्रति वे थैक्स महसूस करते हैं। दूसरों में पॉजिटिव लक्षणों के बारे में सोचें जो हमें सुरक्षा का एहसास दिलाते हैं। सोते समय कुछ मिनट के लिए लिखें या कम से कम उस एक चीज के बारे में बात करें, चाहे वह कितनी भी छोटी हो या बड़ी।
आपस में बात करें
बच्चों से नियमित रूप से बात करें। उनकी चिंताओं और स्ट्रेस पर पॉजिटिव रूप से चर्चा करें। टेलीफोन के माध्यम से उन्हें उनके दोस्तों के संपर्क में बनाए रखें। अपने फैमली से भी फोन वीडियो कॉल या अन्य माध्यमों से जुड़े रहें।