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Abhishek Bachchan The Big Bull: कहानी उस शख्स की इसकी वजह से 29 साल पहले मची थी शेयर मार्केट में खलबली
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हर्षद मेहता 1980-90 के दशक में स्टॉक मार्केट के गॉड फादर माने जाते थे। शेयर होल्डर उन्हें अपनी किस्मत की चाभी समझते हैं और वे जिस शेयर पर हाथ रखते उसका भाव आसमान छू जाता था।
उनका जन्म 29 जुलाई, 1954 को पनेल मोटी, राजकोट गुजरात में एक छोटे से परिवार में हुआ था। बचपन मुंबई के कांदिवली में गुजरा और मुंबई के होली क्रॉस बेरोन बाजार सेकेंडरी स्कूल से उन्होंने स्कूली पढ़ाई की। बारहवीं पास करने के बाद उन्होंने लाजपत राय कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई की।
ग्रैजुएट होने के बाद उन्होंने 8 साल तक छोटी-मोटी नौकरियां की। उन्होंने पहली नौकरी न्यू इंडिया इश्योरेंस कंपनी लिमिटेड में बतौर सेल्स पर्सन की और उसी वक्त उनका इंटरेस्ट शेयर मार्केट की तरफ बढ़ा।
नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने हरिजीवनदास नेमीदास सिक्योरिटीज नाम की ब्रोक्रेज फर्म ज्वॉइन कर ली और प्रसन्न परिजीवनदास को अपना गुरु मान लिया। उनके साथ काम करते हुए हर्षद ने स्टॉक मार्केट के हर दांव-पेंज सीखे और 1984 में खुद की ग्रो मोर रीसर्स एंड असेट मैनेजमेंट नाम की कंपनी की शुरू की और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में ब्रोकर मेंबरशिप ली।
बस यहीं से शुरू हुआ हर्षद का स्टॉक मार्केट के बादशाह का सफर, उन्हें आगे चलकर स्टॉक मार्केट का अमिताभ बच्चन और रेजिंग बुल कहा भी जाने लगा था। 90 के दशक में हर्षद की कंपनी में बड़े इन्वेस्टर पैसा लगाने लगे थे, मगर जिस वजह से उनका नाम स्टॉक मार्केट में छाया वो एसोसिएटेड सीमेंट कंपनी (ACC) में उनका पैसा लगाना था।
हर्षद मेहता के एसीसी के पैसा लगाने के बाद उसकी किस्मत ही बदल गई क्योंकि एसीसी का जो शेयर 200 रुपए का था उसकी कीमत कुछ ही वक्त में 9000 हो गई। 1990 तक हर्षद का नाम हर बड़े अखबार, मैगजीन के कवर पर आने लगा।
मेहता दो बैंकों के बीच बिचौलिया बनकर 15 दिन के लिए लोन लेकर बैंकों से पैसा उठाते थे और फिर मुनाफा कमाकर बैंकों को पैसा लौटा देते थे। यह बात जब सामने आई तो शेयर मार्केट में तेज गिरावट आनी शुरू हो गई। मेहता एक बैंक से फेक बैंक समाधान विवरण (बीआर) बनावाते थे, जिसके बाद उन्हें दूसरे बैंक से आसानी से पैसा मिल जाता था।
हालांकि, इसका खुलासा होने के बाद सभी बैंक ने उनसे अपने पैसे वापस मांगने शुरू कर दिए। खुलासा होने के बाद उनके ऊपर 72 क्रिमिनल चार्ज लगाए गए और सिविल केस फाइल हुए। उनपर कई केस चले लेकिन इसी बीच उनका निधन हो गया।
आपको बता दें कि हर्षद मेहता बैंकिंग सिस्टम और उसकी कमजोरियों पर पैनी नजर रखते थे और इसी का फायदा उठाकर उन्होंने 4000 करोड़ के बड़े घोटाले को अंजाम दिया था। हर्षद के इस घोटाले से पत्रकार सुचिता दलाल ने पर्दा उठाया था। हर्षद का 31 दिसंबर, 2001 को निधन हो गया था।