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- 81 की उम्र में 'रावण' को पहचानना भी हुआ मुश्किल, रियल लाइफ में हैं भगवान राम के बड़े भक्त
81 की उम्र में 'रावण' को पहचानना भी हुआ मुश्किल, रियल लाइफ में हैं भगवान राम के बड़े भक्त
मुंबई। कोरोना वायरस की दहशत के बीच चल रहे लॉकडाउन में इन दिनों दूरदर्शन पर सीरियल 'रामायण' बेहद पॉपुलर हो चुका है। वैसे तो रामानंद सागर की रामायण का हर एक किरदार आज भी यादगार है लेकिन रावण का रोल करने वाले अरविंद त्रिवेदी को उनकी दमदार आवाज और हंसी की वजह से खूब पसंद किया गया था। 81 साल के हो चुके अरविंद त्रिवेदी ने रामायण में भले ही रावण का किरदार निभाया हो, लेकिन रियल लाइफ में वो भगवान राम के बड़े भक्त हैं। इस पैकेज में हम बता रहे हैं रामायण में रावण का रोल करने वाले एक्टर अरविंद त्रिवेदी के बारे में।
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8 नवंबर, 1938 को मध्यप्रदेश के उज्जैन में जन्मे अरविंद त्रिवेदी अब मुंबई में रहते हैं। उन्होंने पास के ही एक गांव में राम मंदिर बनवाया है और वो यहां पूजा भी करते हैं।
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अरविंद त्रिवेदी अब काफी बुजुर्ग हो चुके हैं और ज्यादातर समय घर पर ही रहते हैं। उनके चेहरे में इतना बदलाव आ चुका है कि कई बार उन्हें पहचानना भी मुश्किल होता है।
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अरविंद त्रिवेदी ने जब से रामायण में रावण की भूमिका निभाई, तब से वे राम के अनन्य भक्त बन गए। इस धारावाहिक में लंकेश को देखकर डर जाने वाले लोग शायद यह नहीं जानते कि वे स्वभाव से बिलकुल नरम हैं।
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टीवी के रावण यानी अरविंद त्रिवेदी गुजरात के साबरकांठा से सांसद भी रह चुके हैं। 1991 से 1996 के बीच वो बीजेपी से सांसद रहे।
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एक बार अपने एक लेख में खुद अरविंद त्रिवेदी ने लिखा था कि मुझे इसी भूमिका की वजह से लोकसभा का सदस्य बनने का मौका भी मिला और मेरे लोकसभा सदस्य बनने पर मेरे मित्र राजेश खन्ना ने बड़ी मजेदार टिप्पणी की थी कि भारतीय जनता पार्टी ने राम के नाम पर चुनाव लड़ा और रावण को लोकसभा का टिकट दिया।
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अरविंद त्रिवेदी ने करियर की शुरुआत गुजराती रंगमंच से की। उनके भाई उपेंद्र त्रिवेदी गुजराती सिनेमा के चर्चित नाम हैं और गुजराती फिल्मों में एक्टिंग कर चुके हैं। खुद अरविंद ने 300 फिल्मों में काम किया।
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गुजरात सरकार से लेकर देश भर के और दुनिया भर के कई संस्थानों ने उन्हें पुरस्कृत और सम्मानित किया है। गुजराती व हिंदी फिल्मी में सफल पारी खेल चुको अरविंद अब कई सामाजिक कार्य करने वाली संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं।
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अरविंद ने 'देश रे जोया दादा' 'परदेस जोया', 'ढोली', 'मणियारो', 'संतु रंगीली' जैसी गुजराती फिल्मों में काम किया। अरविंद के गुजराती सिनेमा में किए गए काम और हिंदी सिनेमा के योगदान को देखते हुए ही रामानंद सागर ने उन्हें रामायण में रावण के किरदार के लिए चुना था।
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