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इलाज कराने तक के नहीं थे इस शख्स के पास पैसे, पति की मौत के बाद पत्नी को गुजारा करने बेचना पड़ा घर का सामान
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4 सितंबर 1966 को मध्य प्रदेश के जबलपुर में हुआ था। आदेश के पिता रेलवे में सुपरिटेंडेंट और मां एक कॉलेज में लेक्चरर थीं।
बचपन से ही उन्हें संगीत में रुचि थी जिसकी वजह से उन्होंने संगीत की दुनिया में कदम रखा था। उन्हें स्कूल-कॉलेज में जब कभी संगीत प्रदर्शन और सीखने का कोई मौका मिलता तो वे वहां पहुंच जाते।
आदेश को पहला ब्रेक 1993 में रिलीज हुई फिल्म कन्यादान से मिला। 1994 में 'आओ प्यार करें' फिल्म में संगीत देकर बतौर संगीतकार उन्होंने कदम रखा। जल्द ही आदेश ने एक युवा संगीतकार और गायक के तौर पर अपनी पहचान बना ली।
उन्होंने बॉलीवुड के साथ-साथ हॉलीवुड हस्तियों के साथ भी गाने की शुरुआत की। फेमस हॉलीवुड पॉप सिंगर्स के साथ कई बार उन्होंने स्टेज शेयर भी किया है। शकीरा, एकॉन सहित कई सेलेब्स के साथ गाने गए।
आदेश को असली पहचान 2000 में आई फिल्म 'रिफ्यूजी' से मिली। इस फिल्म में संगीत देने के लिए उन्हें आइफा अवॉर्ड मिला। इसके बाद 'रहना है तेरे दिल में (2001)' 'कभी खुशी कभी गम (2001)', 'बागबान (2003)' और 'राजनीति (2010) ' में उनका तैयार किया गया संगीत खूब पॉपुलर हुआ।
आदेश को मल्टीपल माइलोमा कैंसर था जो 2010 में डायग्नोस हुआ था। लंबे समय तक उनका इलाज चला। कैंसर से पीड़ित होने के बावजूद वे काम में खुद को बिजी रखते थे। लेकिन अगस्त 2015 में उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई थी। कुछ दिन अस्पताल में एडमिट रहने के बाद उन्होंने 5 सितंबर को सुबह 5 बजे आखिरी सांस ली।
इलाज के दौरान पैसों की तंगी के चलते उन्हें बहुत परेशानी उठानी पड़ी। उन्हें अपनी कारें तक बेचनी पड़ीं।
उनके निधन के बाद परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। आर्थिक तंगी के चलते पत्नी विजयेता को आदेश का कमरा भी किराए पर देना पड़ा। आज भी विजेयता बुरे दौर से गुजर रही है। वे अपना और अपने दोनों बेटों का गुजारा बहुत मुश्किल से कर रही है।