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मौत से पहले ऐसी हो गई थी इस सुपरस्टार की हालत, पहचानना भी था मुश्किल, जिसने भी देखा रह गया शॉक्ड
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बंटवारे के बाद विनोद खन्ना का परिवार मुंबई में बस गया। पिता टेक्सटाइल बिजनेसमैन थे, लेकिन विनोद साइंस के स्टूडेंट रहे और पढाई के बाद इंजीनियर बनने का सपना देखा करते थे। पिता चाहते थे कि वे कॉमर्स लें और पढ़ाई के बाद घर के बिजनेस से जुड़ें। स्कूलिंग के बाद पिता ने उनका एडमिशन एक कॉमर्स कॉलेज में भी करा दिया था, लेकिन विनोद का पढ़ाई में मन नहीं लगा।
विनोद की सुनील दत्त से एक पार्टी में मुलाकात हुई थी। उस वक्त सुनील के छोटे भाई सोम दत्त अपने होम प्रोडक्शन में मन का मीत बना रहे थे। इसमें सुनील दत्त को अपने भाई के किरदार के लिए किसी नए एक्टर की तलाश थी। विनोद की पर्सनैलिटी, ऊंची कद-काठी को देखकर सुनील दत्त ने उन्हें वह रोल ऑफर किया। यह फिल्म 1968 में रिलीज हुई और बॉलीवुड में विनोद की एंट्री हुई।
जब विनोद खन्ना ने सुनील दत्त का ऑफर कबूल किया तो उनके पिता नाराज हो गए। उन्होंने विनोद पर बंदूक तान दी और कहा कि यदि वे फिल्मों में गए तो वो उन्हें गोली मार देंगे। हालांकि, विनोद की मां ने उनके पिता को इसके लिए राजी कर लिया। पिता ने कहा कि अगर विनोद दो साल तक कुछ ना कर पाए तो उन्हें फैमिली बिजनेस ज्वाइन करना होगा।
विनोद के करियर में टर्निंग प्वाइंट 1971 में आया। उसी साल में उन्होंने सुनील दत्त और अमिताभ बच्चन स्टारर रेशमा और शेरा की। गुलजार की मेरे अपने में उनकी एक्टिंग की तारीफ हुई। इस साल उन्होंने करीब 10 फिल्में कीं। 1973 में गुलजार के डायरेक्शन में बनी अचानक से उन्होंने बॉलीवुड में अपने पैर मजबूती से जमा लिए।
विनोद ने एक बार बताया था कि कॉलेज लाइफ में उन्होंने थिएटर में काम करना शुरू किया था। वहां उनकी कई गर्लफ्रेंड्स थीं। यहीं उनकी मुलाकात गीतांजलि से हुई। दोनों ने 1971 में शादी की। विनोद और गीतांजलि के दो बेटे अक्षय और राहुल खन्ना हैं।
विनोद की पहली फिल्म 'मन का मीत' को दर्शकों का मिला-जुला रिस्पॉन्स मिला। लेकिन इसके बाद एक हफ्ते में ही विनोद ने करीब 15 फिल्में साइन कीं। उन्होंने अपने करियर में 144 फिल्में की हैं।
एक वक्त था जब फैमिली के लिए विनोद संडे को काम नहीं करते थे। लेकिन बाद में वे ओशो से प्रभावित हो गए। इसके बाद उनकी पर्सनल लाइफ बदल गई। दिसंबर 1975 में विनोद ने जब फिल्मों से अचानक ब्रेक ले लिया।
दरअसल, ओशो यूएस के ओरैगन शिफ्ट हो गए थे। विनोद भी वहीं चले गए। ओशो के साथ उनके रजनीशपुरम आश्रम में करीब 5 साल गुजारे। वे वहां माली का काम करते थे। यहीं से विनोद खन्ना की फैमिली लाइफ बिखरने लगी।
5 साल तक यूएस में रहे विनोद का परिवार टूट गया था। 1985 में पत्नी गीतांजलि ने उन्हें तलाक देने का फैसला किया। फैमिली बिखरने के बाद 1987 में विनोद ने डिंपल कपाड़िया के साथ फिल्म 'इंसाफ' से बॉलीवुड में फिर से एंट्री की। दोबारा फिल्मी करियर शुरू करने के बाद विनोद ने 1990 में कविता से शादी की। दोनों का एक बेटा साक्षी और एक बेटी श्रद्धा खन्ना है।