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ससुर का सपना था गैराज खोलूं तो बहू बन गई मैकेनिक, मिनटों में खोल डालती है गाड़ियों के पुर्जे
रांची. भारत के अधिकांश गांवों में पुरुषों को परिवार चलाने जैसी बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी जाती हैं। यहां तक की भारी-भरकम काम भी वही करते हैं। गांवों में महिलाएं घर संभालती है और घर पर बैठकर घर का काम करने को मजबूर होती हैं। पर छत्तीसगढ़ की इस लड़की को शादी के बाद घर बैठना मंजूर नहीं था। इसलिए उसने काम करने की ठानी और काम भी ऐसा कि लोग सुनकर दंग रह जाएं। जी हां वो बन गई लेडी मैकेनिक। छत्तीसगढ़ की मात्र 23 साल की इस लेडी मैकेनिक की कहानी आपको रोमांच से भर देगी।
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हम बात कर रहे हैं 23 वर्षीय सतरूपा अनंत की। वे हजारों लोगों की सोच को मुंह चिढ़ा रही है कि औरतों शारीरिक मशक्कत और कोई हैवी व्हेट उठाने वाला काम नहीं कर सकतीं। भांडी गाव की एक स्थानीय निवासी सतरूपा एक लेडी मैकेनिक हैं। वो अपने गैराज पर आने वाली गाड़ियों की मरम्मत करती हैं। साइकिल, मोटरसाइकिल सभी तरह के दो पहिया वाहनों को खोलना-बांधना इनका काम है।
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सतरूपा बताती हैं कि वो गरीबी में पली-बढ़ी हैं। उन्होंने 12वीं तक बड़ी मुश्किल से पढ़ाई की। काफी कम उम्र में सतरूपा की शादी कर दी गई। पर उनके सपने बड़े थे। अपने पैरों पर खड़े होने के। सतरूपा जब ससुराल आई तो कुछ समय बाद ही ससुर चल बसे। उनका सपना था कि वो खुद का गैराज खोलें। (फाइल फोटो)
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ये बात सतरूपा को याद रही और उन्होंने मैकेनिक बनने की सोची। उन्होंने सोचा कि वो अपने ससुराल वालों की आर्थिक मदद करेंगी। अपने परिवार की आर्थिक मदद और पैरों पर खड़े होने की ललक ने सतरूपा को मैकेनिक बना दिया।
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उन्होंने इसके लिए ऑटोमोबाइल का कोर्स किया। सभी जरूरी चीजें सीखी, ट्रेनिंग और अनुभव लिया। फिर सतरूपा ने एक गैरेज खोला था, जहां वह पड़ोसी गांवों के युवाओं को गाड़ियां ठीक करने की ट्रेनिंग भी देती हैं। (फाइल फोटो)
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सतरूपा का कहना है कि, उन्हें कम पढ़ी-लिखी होने की वजह से नौकरी नहीं मिलेगी इसलिए उन्होंने मैकेनिक का काम सीखा था। (फाइल फोटो)
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