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कैसी लापरवाही: दर्द से कराह रही गर्भवती की व्हीलचेयर पर डिलीवरी, लाइन में लग करा रही थी कोरोना जांच
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दरअसल, यह अमानवीय तस्वीर कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर की है। सोमवार को नकटीखार गांव की रहने वाली गर्भवती महिला गनेशिया बाई मंझवार (27) प्रसव पीड़ा होने के बाद पति देवानंद मंझवार साथ पहुंची हुई थी। जिसके बाद वहां पर तैनात नर्स और कर्मचारियों ने महिला को भर्ती करने की बजाय पहले कोरोना जांच कराने को कहा। पति मिन्नतें करता रहा, लेकिन उसकी एक नहीं सुनी।
पति काफी देर तक जांच केंद्र के बाहर गर्भवति महिला को व्हीलचेयर पर बैठाकर लाइन में खड़ा रहा। जहां पत्नी दर्द से तड़पती रही, लेकिन वह सरकारी सिस्टम के आगे बेबस नजर आया। आलम यह हुआ कि महिला ने अपनी बारी का इंतजार करते-करते ही बच्चे को जन्म दे दिया। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का ही नतीजा है कि महिला को परेशानियों का सामना करना पड़ा।
देवानंद ने बताया कि व्हीलचेयर पर डिलीवरी होने के बाद कतार में खड़े सभी लोग हैरान हो गए। सभी लोग अस्पताल के खिलाफ गुस्सा करने लगे। फिर कहीं जाकर नईस पत्नी को आनन-फानन में इमरजेंसी वार्ड में लेकर गए।
बाद में कोरोना जांच की गई, दोनों की रिपोर्ट निगेटिव आई है, मां और बच्चे दोनों स्वास्थ्य हैं। शादी के चार साल बाद पहले बच्चे का जन्म हुआ है। वहीं सिविल सर्जन डॉ.अरुण तिवारी का कहना है कि पहले भी गर्भवती महिला पॉजिटिव मिल चुकी हैं, इसलिए कोरोना की जांच जरूरी है।
पति देवनंद ने बताया कि किसी तरह में पत्नी को प्रसव के लिए जिला अस्पताल लाया था। जिसके बाद यहां की नर्स और डॉक्टरों ने कोरोना जांच कराने का बोल दिया। कोरोना जांच केंद्र सुबह बंद होनो के कारण दूसरी निजी अस्पताल लेकर गया। लेकिन वहां भी लंबी लाइन थी। दर्द से कराह रही पत्नी को लेकर घंटों भटकना पड़ा। आखिरकार लाइन में ही पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया। अगर जिला अस्पताल में ही जांच हो जाती तो मुझे भटकना नहीं पड़ता।