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बेबस मां का दर्द: इतने पैसे नहीं कि वो बेटे का कर सके अंतिम संस्कार, बोली साहब शव का जो करना है करो...
रायपुर (छत्तीसगढ़). देश में लॉकाडाउन 5.0 लागू हो गया है, लेकिन अभी भी मजदूरों का दर्द कम नहीं हुआ है। अभी भी देश के कई हिस्सों से उनकी मार्मिक कहानियां सामने आ रही हैं। छत्तीसगढ़ से लॉकडाउन में आर्थिक तंगी और मजबूरी से जूझती एक तस्वीर सामने आई है। जिसका दर्द सुनकर आपकी आंखें नम हो जाएंगी। जहां एक मजदूर मां के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह अपने बेटे का अंतिम संस्कार कर सके।
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दरअसल, यह दुखद घटना अंबिकापुर जिले की है। जहां बीमारी के चलते एक 15 साल के बेटे की मौत हो गई। पति लॉकडाउन के चलते अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश फंसा हुआ है। जब डॉक्टरों ने शव घर ले जाने का कहा तो मां ने उसे लेने से इनकार कर दिया, क्योंकि उसके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह अपने बेटे का अंतिम संस्कार कर सके। नम आंखों से कहा-साहब आपको जो करना है करो, मैं इसका कुछ नहीं कर पाऊंगी। फिर कुछ नेक दिल इंसानों ने उसकी आर्थिक मदद की तो उसने अपने बेटे का अंतिम संस्कार किया।
दरअसल, यह दुखद घटना अंबिकापुर जिले की है। जहां बीमारी के चलते एक 15 साल के बेटे की मौत हो गई। पति लॉकडाउन के चलते अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश फंसा हुआ है। ऐसे में मां ने बेटे का शव लेने से इनकार कर दिया, क्योंकि उसके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह अपने बेटे का अंतिम संस्कार कर सके। फिर कुछ नेक दिल इंसानों ने उसकी आर्थिक मदद की तो उसने अपने बेटे का अंतिम संस्कार किया।
पुलिस ने बताया मृतक कमलेश का परिवार मूल रूप से उत्तर प्रदेश में सोनभद्र जिले के दुग्धी में जामपानी के रहने वाला है। कमलेश को अचानक 23 मई को तेज बुखार आ गया था, ऐसे में महिला ने उसको मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती किया था। घर का मुखिया यानि मृतक का पिता अभी यूपी गया हुआ है।
जानकारी के मुताबिक, महिला अब घर में अकेली बची है, पति यूपी में फंसा हुआ है और बेटा उसको छोड़कर दुनिया को अलविदा कह गया। ऐसे में उसको दो वक्त की रोटी कहां से नसीब होगी यह सबसे बड़ा सवाल है। ना तो कोई उसकी खबर लेने वाला बचा है और नहीं कोई उसको खाना खिलाने वाला। मां ने दिल पर पत्थर रखकर कांपते हाथों से अपने बेटे का अंतिम संस्कार किया।