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कहीं धान से तो कहीं माचिस से बनाई गई मूर्तियां, गणेश चतुर्थी में देखें इको फ्रेंडली प्रतिमाएं
रायपुर. देशभर में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi ) के त्योहार शुरू हो गया है। जगह-जगह पंडाल लगाए जा रहे हैं तो कुछ लोग अपने घर में गणपति की स्थापना कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में भी ये पर्व बड़े-धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। राज्य की राजधानी रायपुर में गणेश चतुर्थी के त्योहार के लिए भगवान गणेश की इको फ्रेंडली मूर्तियां तैयार की गई हैं। इन मूर्तियों को देखने के लिए भक्त भी पहुंच रहे हैं। इको फ्रेंडली मूर्तियां की विशेषता होती है कि वो पानी में आसानी से घुल जाती हैं और इसके पर्यावरण प्रदूषित नहीं होता है। इस गणेशोत्स मे इको फ्रेंडली मूर्तियां की काफी डिमांड है। आइए देखते हैं रायपुर में किस तरह की मूर्तियां बनाई गई हैं।
| Published : Aug 31 2022, 07:40 AM IST
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बता दें कि गणेश चतुर्थी 10 दिनों तक मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 31 अगस्त को हो रही है। हिंदू कैलेंडर के हिसाब से इसकी शुरुआत भाद्रपद महीने के चौथे दिन से शुरू होती है।
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कारीगर राशि यादव ने यह भी कहा कि उन्होंने पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का उपयोग करके बीस मूर्तियां बनाई हैं। इन मूर्तियों की बाजार में काफी डिमांड है।
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एक कारीगर ने बताया कि हमने अपने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए कई मूर्तियां बनाईं। इन पर्यावरण के अनुकूल मूर्तियों को पास्ता, माचिस और अन्य वस्तुओं सहित विभिन्न सामग्रियों का उपयोग करके बनाया गया था।
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एक मूर्ति कारीगर रवि यादव ने कहा, "इस बार मूर्तियों की मांग अच्छी है। हमने पांच अलग-अलग प्रकार की मूर्तियां बनाई हैं जिनमें पास्ता, माचिस और अगरबत्ती की मूर्तियां शामिल हैं।
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मूर्ति बनाने वाली कारीगर राशि ने बताया कि हमने छोटी और बड़ी दोनों आकार की 20 मूर्तियां बनाई हैं। इन मूर्तियों को बनाने के लिए माचिस, चावल और धान का उपयोग किया जाता है।
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