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- 100 साल की मां को चरपाई पर लेटाकर बैंक पहुंची 60 साल की बेटी..यह होती है गरीबों की मजबूरी
100 साल की मां को चरपाई पर लेटाकर बैंक पहुंची 60 साल की बेटी..यह होती है गरीबों की मजबूरी
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इस मामले को लेकर जब बैंक की फजीहत हुई, तो उत्कल ग्राम्य बैंक के मैनेजर अजित प्रधान ने तर्क दिया कि बिना वेरिफिकेशन के खाते से पैसे नहीं निकाले जा सकते। बैंक में भीड़ अधिक होने से फिजिकल वेरिफिकेशन संभव नहीं था। एक दिन बाद बैंक घर जाकर वेरिफिकेशन करता। आगे देखिए ऐसी ही बेबस महिलाओं की कुछ अन्य कहानियां..
यह मामला झारखंड के सिंहभूम का है। यह हैं सुकुरमनी देवी। ये लॉक डाउन से पहले अपनी बच्ची को लेकर सोनुवा थाना क्षेत्र के महुलडीहा गांव में अपने मायके आई थीं। इसी बीच लॉक डाउन के चलते सारे साधन बंद हो गए। सुकुरमनी ने सोचा, चलो कुछ दिन और मायके रुक लेते हैं। तभी खबर मिली कि उनके पति की तबीयत खराब है। सुकुरमनी की ससुराल चाईबासा मुफ्फसिल थाना के पासाहातु गांव में है। दोनों गांवों की दूरी करीब 50 किमी है। जैसे ही पति की बीमारी की खबर पता चली। सुकुरमनी सुबह करीब 6 बजे साइकिल उठाकर ससुराल के लिए निकल पड़ीं। उन्होंने बच्ची को साड़ी से कमर पर बांध लिया। करीब 11.30 बजे वे अपनी ससुराल पहुंच गईं। पति से मिलकर सुकुरमनी को राहत मिली। यह तस्वीर कुछ दिनों पहले सामने आई थी। आगे पढ़िए खाट पर गर्भवती...
यह शर्मनाक तस्वीर झारखंड के पश्चिम सिंहभूम की है। यह मामला बिशुनपुर प्रखंड के गढ़ा हाडुप गांव का है। यहां रहने वाले बलदेव ब्रिजिया के पत्नी ललिता को प्रसव पीड़ा हुई। उस हॉस्पिटल तक ले जाने का जब कोई दूसरा साधन नहीं दिखा, तो खटिया को लोगों ने 'एम्बुलेंस' बना लिया। यह तस्वीर कुछ दिनों पहले सामने आई थी। आगे पढ़िए पति की जान बचाने सबकुछ बेचा...
यह मामला झारखंड के लातेहार में कुछ दिनों पहले सामने आया था। देवीचरण सिंह नामक शख्स पर जंगल में लकड़बग्घे ने हमला कर दिया था। उसे रांची के रिम्स में भर्ती कराया गया था। लेकिन उसकी मौत हो गई। मृतक की पत्नी चरकी देवी ने रोते हुए बताया कि अगर वन विभाग मदद कर देता और हॉस्पिटल में सही इलाज मिल जाता, तो उसके पति को बचाया जा सकता था। वे गरीब हैं, इसलिए इतना पैसा भीं नहीं था कि किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज करा सकते। पति की लाश घर तक ले जाने के लिए एम्बुलेंस मांगी, तो हॉस्पिटल ने अनाकानी कर दी। विवश होकर उन्हें अपनी आखिरी बकरी भी बेचकर पैसों का इंतजाम करना पड़ा। यह परिवार तरवाडीह पंचायत में रहता था।
यह मामला मप्र के बड़वानी में एमपी-महाराष्ट्र के बिजासन बॉर्डर पर देखने को मिला। शकुंतला नाम की यह महिला अपने घर आ रही थी, रास्ते में उसने मुंबई-आगरा हाइवे पर बच्चे को जन्म दिया। इसके बाद भी उसे कोई सहायता नहीं मिली। वो पैदल ही बच्चे को लेकर चल पड़ी।