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कभी इस अंधविश्वास के शिकार हो गए थे विराट कोहली, फिर धोनी ने कुछ इस तरह बदली जिंदगी

स्पोर्ट्स डेस्क। इस बात को बहुत कम लोग जानते होंगे कि भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली एक समय अंधविश्वास के शिकार हो गए थे। आज विराट कोहली दुनिया के सबसे सफल बैट्समैन में शुमार किए जाते हैं। क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में उनकी उपलब्धियां शानदार रही हैं। 27 टेस्ट शतक, 43 वनडे शतक बनाने वाले विराट कोहली टी20 मैचों में भी बेहद सफल रहे हैं, लेकिन एक समय था जब वे अंधविश्वास से घिरे हुए थे और मैदान पर उतरने के पहले कुछ बातों को करना नहीं भूलते थे, जबकि उनके पीछे कोई लॉजिक नहीं था।

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Asianet News Hindi
Published : May 21 2020, 04:41 PM IST
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क्या था विराट का अंधविश्वास
देखने में आता है कि दुनिया के ज्यादातर खिलाड़ी अंधविश्वासी रहे हैं और वे किसी न किसी चीज को अपने लिए भाग्यशाली मानते रहे हैं। विराट के साथ भी ऐसी ही बात थी। विराट कोहली के मन में यह बात बैठ गई थी कि जिस ग्लव्ज को पहन कर पहली बार उन्होंने शतक बनाया था, वह उनके लिए भाग्यशाली है।
 

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हर मैच में पहनते थे वही ग्लव्ज
विराट कोहली हर मैच में उसी ग्लव्ज का इस्तेमाल करते थे, जिसे पहन कर खेलते हुए उन्होंने पहली बार शतक बनाया था। वे उस ग्लव्ज को कभी नहीं बदलते थे। उनके मन में यह बात बैठ गई थी कि इसी ग्लव्ज को पहन कर वे रन बनाने में कामयाब हो पाते हैं। इस बात को उन्होंने एक इंटरव्यू में भी स्वीकार किया था। 

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2011 में खत्म हुआ अंधविश्वास
विराट कोहली के इस अंधविश्वास को धोनी ने तोड़ा। साल 2011 में विराट कोहली वनडे सीरीज में खेलने के लिए इंग्लैंड में थे। यह सीरीज उनके लिए खास मायने रखती थी, क्योंकि चोट से उबरने के बाद इस सीरीज के जरिए ही वे वापसी कर रहे थे। इस सीरीज के पहल मैच में उन्होंने अर्द्धशतक लगाया, लेकिन बाद में वे कुछ खास नहीं कर सके। फ्लॉप होने की वजह से विराट काफी परेशान थे।

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धोनी ने तोड़ा उनका अंधविश्वास
टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को विराट की मानसिकता का अंदाज हो गया। वे उनके पास गए और उन्हें समझाया कि किसी तरह के अंधविश्ववास में पड़ने से कुछ भी हासिल होने वाला नही है, इसलिए अपना ध्यान सिर्फ खेल पर ही लगाना चाहिए। भाग्य और टोने-टोटके के भरोसे कोई खिलाड़ी आगे नहीं बढ़ सकता।

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अंधविश्वास छोड़ते ही टॉप पर पहुंचे विराट
कप्तान धोनी की बात विराट कोहली की समझ में आ गई। 16 सितंबर, 2011 को व नए पैड और ग्लव्ज के साथ मैदान में उतरे और उस मैच में शानदार शतक बनाया। उन्होंने 93 गेंदों पर 107 रनों की पारी खेली। यह मैच टीम इंडिया हार गई, लेकिन विराट के करियर को एक नई ऊंचाई यहीं से मिली। उनकी बल्लेबाजी पूरी तरह से बदल गई। 
 

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 बनाए कई रिकॉर्ड 
अंधविश्वास छोड़ते ही विराट कोहली के खेल में बदलाव आ गया। पहले जहां उन्होंने 60 पारियों में 42.26 की औसत से 2240 रन बनाए थे, जिसमें 5 शतक शामिल थे, वहीं बाद में उन्होंने 179 मैचों में 65.48 की औसत से 9627 रन बनाए जिनमें 38 शतक शामिल हैं। विराट कोहली ने 140 टेस्ट पारियों में 55.10 की औसत से 7164 रन बनाए और 27 शतक लगाए।  
  

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