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कहीं बेटा बेटी तो कहीं पत्नी, दिल्ली में चुनाव लड़ रहे कांग्रेस नेताओं के वारिस जीते या हारे, कितना वोट मिला?

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस खोए जनाधार को वापस लाने की कोशिश कर रही थी। दिल्ली के मुश्किल सियासी समीकरण में कांग्रेस ने नेताओं के बेटे-बेटियां और रिश्तेदारों को जमकर टिकट दिया। आइए आपको बताते हैं कि कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले नेताओं के वारिसों का क्या हुआ। 

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Asianet News Hindi
Published : Feb 11 2020, 06:08 PM IST| Updated : Feb 11 2020, 06:20 PM IST
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प्रियंका सिंह- आरके पुरम विधानसभा सीट पर कांग्रेस से चुनाव लड़ी प्रियंका सिंह पार्टी के दिग्गज नेता योगानंद शास्त्री की बेटी हैं। उनके पिता मालवीय नगर सीट से तीन बार विधायक रहे और शीला सरकार में मंत्री रहे हैं। शीला सरकार में योगानंद शास्त्री स्पीकर रह चुके हैं। यहां आप की प्रमिला टोकस ने चुनाव जीता। प्रियंका को सिर्फ 3216 वोट मिले। जमानत जब्त हो गई।
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अनविंक्षा त्रिपाठी जैन- बाबरपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस से अनविंक्षा त्रिपाठी जैन चुनावी मैदान में उतरी। अनविंक्षा कांग्रेस के दिग्गज नेता और बाबरपुर के जिला अध्यक्ष कैलाश जैन की बहू हैं। कैलाश जैन का पूर्वी दिल्ली में तूती बोलती है। यहां से आप के गोपाल राय ने चुनाव जीता। अनवीक्षा को सिर्फ 4224 वोट मिले। जमानत जब्त हो गई।
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आकांक्षा ओला- मॉडल टाउन सीट से कांग्रेस के तीन बार विधायक रहे कुंवर करण सिंह की बेटी आकांक्षा ओला चुनाव मैदान में उतरीं। आकांक्षा कुंवर करण सिंह बेटी होने के साथ-साथ पूर्व सांसद शीशराम ओला के पोते अमित ओला की पत्नी भी हैं। लेकिन मतगणना में आकांक्षा तीसरे नंबर पर रहीं। यहां से आप के अखिलेश पति त्रिपाठी चुनाव जीते हैं। आकांक्षा को सिर्फ 4068 वोट मिले।
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शिवानी चोपड़ा- कालकाजी विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदावर शिवानी चोपड़ा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा की बेटी हैं। इस सीट से उनके पिता चार बार के विधायक रहे हैं, अब अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मदेरी शिवानी के कंधों पर थी लेकिन आम आदमी पार्टी की आतिशी से चुनाव हार गईं। सिर्फ 4 हजार से ज्यादा वोट मिले और तीसरे नंबर पर रहीं।
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अली मेंहदी- मुस्तफाबाद विधानसभा सीट पर कांग्रेस से चुनावी मैदान में उतरे अली मेंहदी पूर्व विधायक हसन अहमद के बेटे हैं। इस सीट से हसन अहमद दो बार विधायक रहे हैं। अली मेंहदी दिल्ली में कांग्रेस अल्पसंख्यक कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। अली मेंहदी मुस्तफाबाद तीसरे नंबर पर रहे। सिर्फ 5 हजार से कुछ ज्यादा ही वोट मिले। यहां से आप के हाजी यूनुस ने चुनाव जीता।
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पूनम आजाद- दिल्ली के संगम विहार सीट से कांग्रेस से चुनाव लड़ी पूनम आजाद पार्टी के दिल्ली चुनाव समिति के अध्यक्ष कीर्ति आजाद पत्नी हैं। यह सीट पूर्वांचली मतदाता बहुल मानी जाती है। मगर पूनम आजाद की जमानत जब्त हो गई। सिर्फ 2601 वोट मिले। यहां से आप के दिनेश मोहनिया ने चुनाव जीता।
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अरविंदर सिंह- दिल्ली की देवली विधानसभा सीट पर कांग्रेस से अरविंदर सिंह ने चुनावी ताल ठोकी। अरविंदर कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व गृहमंत्री बूटा सिंह के बेट हैं, इससे पहले भी वो इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन जीत दर्ज नहीं कर सके हैं। देवली से प्रकाश जरवाल ने चुनाव जीता। अरविंदर सिंह को सिर्फ 2700 वोट मिले। जमानत जब्त हो गई।
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विपिन शर्मा- दिल्ली के रोहताश नगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी विपिन शर्मा किस्मत आजमाने मैदान में उतरे। विपिन शर्मा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामबाबू शर्मा के बेटे हैं। दिल्ली की सियासत में रामबाबू शर्मा की तूती बोलती थी। विपिन शर्मा को बुरी तरह हार मिली है।
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मानदीप सिंह- नांगलोई विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर मानदीप सिंह ने चुनाव लड़ा। मनदीप सिंह के पिता डा विजेंद्र सिंह कांग्रेस के टिकट पर दो बार यहां से विधायक चुने गए हैं। मनदीप का मुकाबला आम आदमी पार्टी के रघुविंदर शौकीन से था। मगर शौकीन के हाथों बुरी तरह हार मिली। मानदीप सिंह को सिर्फ 9718 वोट मिले। बीजेपी उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहा।
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यदुराज चौधरी- अंबेडकर नगर सीट पर कांग्रेस से यदुराज चौधरी मैदान में उतरे। यदुराज कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व विधायक चौधरी प्रेम सिंह के बेटे हैं। एक दौर में चाधरी प्रेम सिंह की तूती बोलती थी और इस सीट से वो लगातार तीन बार विधायक रहें हैं। मगर आप के अजय दत्त ने उन्हें हरा दिया। यदुराज चौधरी को सिर्फ 2127 वोट हासिल किए।

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