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क्या 36 सीटों पर 2000 वोटों के अंतर से हार गई BJP? ऐसा होता तो अलग होते दिल्ली के नतीजे, मगर...
| Published : Feb 13 2020, 06:19 PM IST / Updated: Feb 13 2020, 06:23 PM IST
क्या 36 सीटों पर 2000 वोटों के अंतर से हार गई BJP? ऐसा होता तो अलग होते दिल्ली के नतीजे, मगर...
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दरअसल 11 फरवरी को दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर नतीजे घोषित हुए है। इसमें अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को 62 सीटें मिली, बीजेपी को 8 सीटें मिलीं और कांग्रेस ने साल 2015 की तरह इस बार भी खाता भी नहीं खोला। इस बीच भाजपा नेता और समर्थक बौखलाए हुए हैं। सोशल मीडिया पर कई तरह के दावे कर वो इस हार को पचाने की कोशिशों में लगे हैं।
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12 फरवरी को, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद सत्यदेव पचौरी ने आरोप लगाया कि उनकी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में 2000 से कम मतों के अंतर से 36 सीटें खो दीं। उन्होंने ट्वीट किया, "जीती गई 8 सीटों में जोड़ा जाए तो ये 44 हो जाता और 3 फीसदी अधिक मतदान पूरे खेल को बदल सकता था।"
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बीजेपी नेता सहित कई लोगों ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि, दिल्ली चुनाव में भाजपा की जीत ज्यादा बड़ी जीत नहीं थी बल्कि ये एक मामूली अंतर था। चुनावों में अगर 3 फीसदी मतदान और हो जाता तो भाजपा ने जो मात्र 2000 से कम मतों के अंतर से 36 सीटें खो दी थीं वो मिल जाती और जीत भाजपा की होती। हालांकि इस दावे को लेकर हमने इसकी सत्यता जानने की कोशिश की। क्या वाकई दिल्ली चुनाव में मतदान का खेल इतना सा ही था?
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अब बात आती है कि ये दावा क्यों और किसके द्वारा किया जा रहा है। तो हम आपको बता दें कि, ट्विटर पर सुदर्शन न्यूज के आधिकारिक हैंडल से एक ट्वीट किया गया था। इसमें टीवी चैनल ने 11 फरवरी को सुबह इसी तरह की जानकारी पोस्ट की थी जिसमें कहा गया कि, दिल्ली चुनाव में भाजपा को 36 सीटों पर 2000 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, ये बात शुरुआती रूझानों में कही गई थी न कि नतीजे घोषित होने के बाद।
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फिर हमने भारत के चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर आंकड़ों की जांच की और क्रॉस-चेक किया। वहां रिपोर्ट में घोषित नतीजे दर्ज थे जिसमें ऐसा कोई दावा हमें नहीं मिला। बल्कि चुनाव में दो विधानसभा सीटों पर आम और बीजेपी के दो उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर दिखाई गई। जिसमें 2000 वोटों के अंतर से आप प्रत्याशी ने बीजेपी नेता को हराया था न कि 36 सीटों पर। ऐसे में बीजेपी नेता का ये दावा पूरी तरह फर्जी साबित होता है।