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मनोज तिवारी नहीं चाहते थे कैम्पेन में आएं मोदी शाह और हार पर विपक्ष ले मजे; क्या है चिट्ठी का सच?
| Published : Feb 12 2020, 07:07 PM IST / Updated: Feb 13 2020, 11:19 AM IST
मनोज तिवारी नहीं चाहते थे कैम्पेन में आएं मोदी शाह और हार पर विपक्ष ले मजे; क्या है चिट्ठी का सच?
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मतदान से पहले मनोज तिवारी की ओर से नड्डा को लिखी कथित चिट्ठी में आग्रह किया गया है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव कैम्पेन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसे दिग्गज नेताओं को नहीं उतारना चाहिए। इस बात की आशंका जताई गई कि पार्टी के आंतरिक सर्वे में हालत सुधरे हैं, मगर आम आदमी पार्टी अब भी बहुत बढ़त पर है। इसे देखते हुए शीर्ष नेतृत्व को कैम्पेन में नहीं उतारना चाहिए। ताकि चुनावी परिणाम पार्टी के खिलाफ जाने की स्थिति में विपक्ष के पास मोदी और शाह के नेतृत्व पर सवाल उठाने का कोई मौका न हो। चिट्ठी पर मनोज तिवारी के हस्ताक्षर भी हैं।
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पहली नजर में कोई भी चिट्ठी देखकर कह सकता है कि इसे मनोज तिवारी की ओर से ही लिखा गया है। मगर जब बारीकी से मुआयना किया जाए तो एक अलग ही कहानी नजर आती है। दरअसल, जिसे मनोज तिवारी की लिखी चिट्ठी बताकर वायरल किया जा रहा है वो पूरी तरह से फर्जी है। वायरल लेटरहेड और ओरिजिनल लेटरहेड में दो बड़ी असमनताएं हैं।
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27 दिसंबर को बीजेपी विधायक मनजिंदर एस सिरसा ने प्रधानमंत्री को मनोज तिवारी की ओर से लिखी एक चिट्ठी ट्वीट की थी। दिल्ली बीजेपी ने भी तिवारी की ओर से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लिखी एक चिट्ठी ट्वीट की थी। जब वायरल चिट्ठी और ट्वीट की गई चिट्ठी को जांचा गया तो अंतर साफ पता चला। दोनों चिट्ठी के नीचे जो पता दिया गया है वो अलग-अलग है। दिल्ली बीजेपी और विधायक की ओर से की गई चिट्ठी असली है जिसके नीचे पता दिया गया है- 14 पंडित पंत मार्ग, नई दिल्ली 110001। पंडित पंत मार्ग पर ही बीजेपी की दिल्ली यूनिट का ऑफिस है। जबकि वायरल हो रही चिट्ठी में पता पंडित दीन दयाल उपाध्याय मार्ग बताया गया है जो बीजेपी का केंद्रीय मुख्यालय है।
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दोनों चिट्ठियों के लेटर हेड में भी अंतर है। दोनों चिट्ठियों के लेटर हेड में नारंगी और हरे रंग की कलर स्ट्रिप में अंतर है। दोनों पर लिखे गए टेक्ट्स में भी फर्क है। असली लेटरहेड के मास्टहेड में हिन्दी और अङ्ग्रेज़ी दोनों भाषाओं में जानकारी दी है। मगर वायरल तस्वीर के मास्टहेड में सिर्फ हिन्दी में टेक्स्ट लिखा गया है। असली चिट्ठी के मास्टहेड पर दाएं से बाएं पूरे पेज पर नारंगी और हरे रंग की कलर स्ट्रिप है। बाईं ओर जहां पार्टी चुनाव निशान कमाल है वहां पेज ब्लैक है। नकली चिट्ठी में पूरे पेज पर नारंगी और हरे रंग की स्ट्रिप नहीं है। स्ट्रिप पार्टी निशान तक आकर खत्म हो जाती है। जाहीर सी बात है कि जो चिट्ठी मनोज तिवारी की बताई जा रही है वो पूरी तरह से फर्जी है।