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अहमदाबाद की वो सीट जिस पर 2 बार से कांग्रेस का कब्जा था.. 10 फोटो में जानिए हार्दिक ने कैसे एक झटके में छीनी
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हार्दिक पटेल चुनाव जीत गए हैं। उन्हें 85 हजार 485 वोट मिले, जबकि आप प्रत्याशी अमर सिंह ठाकोर 44 हजार 742 वोट के साथ दूसरे नंबर पर रहे। कांग्रेस प्रत्याशी लाखाभाई भरवाड़ 34 हजार 760 वोट मिले।
करीब सात महीने पहले हार्दिक ने भाजपा ज्वाइन कर ली। पार्टी ने उन्हें वीरमगाम विधानसभा सीट से मैदान में उतारा। हालांकि, यह सीट भाजपा के लिए टफ मानी जाती रही है।
वीरमगाम सीट पर कांग्रेस दो बार से चुनाव जीत रही है। पार्टी ने हार्दिक को टक्कर देने के लिए तत्कालीन विधायक लाखाभाई भरवाड़ को टिकट दिया, जबकि आप ने अमर सिंह ठाकोर को मैदान में उतारा।
वीरमगाम सीट पर करीब दो लाख 98 हजार वोटर्स थे। इसमें पुरूष वोटर्स की संख्या एक लाख 54 हजार और महिला वोटर्स की संख्या एक लाख 44 हजार थी। करीब 11 प्रतिशत दलित वोटर हैं।
हार्दिक वीरमगाम के ही रहने वाले हैं। यहां ठाकोर समुदाय के 65 हजार वोटर, पाटीदार समुदाय के 50 हजार वोटर और दलित समुदाय के 35 हजार वोटर हैं। इसके अलावा, भरवाड़ रबारी, मुस्लिम, कोली कराड़िया और राजपूत वोटर्स हैं।
टिकट मिलने के बाद शुरुआत में हार्दिक पटेल से वीरमगाम क्षेत्र के बहुत से भाजपा नेता-कार्यकर्ता खुश नहीं थे और प्रचार में सहयोग नहीं कर रहे थे, मगर अमित शाह की फटकार के बाद सब एकजुट हो गए थे।
वीरमगाम अहमदाबाद जिले की 21 सीटों में से एक है। यहां दूसरे चरण में यानी 5 दिसंबर को वोटिंग हुई थी। हालांकि, वोटिंग का प्रतिशत पिछले बार से कम था।
वोटिंग वाले दिन हार्दिक की पत्नी किंजलबेन पटेल ने कहा था कि यहां हर कोई हार्दिक के साथ है। इस सीट पर कोई टक्कर नहीं है। ऐसे में हार्दिक जीत जाएंगे।
किंजल ने कहा था कि हम नतीजों का इंतजार कर रहे हं। हार्दिक को चुनौतियां पसंद हैं। वह इस चुनौती से भी पार पा लेंगे। इस चुनाव में भी जनता का आशीर्वाद मिलेगा।
हार्दिक पटेल ने आंदोलन के दौरान भूख हड़ताल भी की थी। उनसे मिलने के लिए कई बड़े नेता गुजरात पहुंचे थे। हार्दिक पटेल 2015 में शुरू हुए पाटीदार आंदोलन का प्रमुख चेहरा थे। 2019 में वे कांग्रेस में शामिल हो गए। पार्टी ने उन्हें राज्य इकाई का कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया, मगर हार्दिक को कांग्रेस रास नहीं आई।