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पंजाब चुनाव: सुखबीर बादल की बेटी ने संभाली पापा की पॉलिटिक्स, सिद्धू की बेटी विपक्ष को दे रही मुंहतोड़ जवाब
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चार-चार लोगों के दो दो घेरे। मजाल है, कोई पहले घेरे के नजदीक भी आ जाए। इस सुरक्षा घेरे के बीच में सुखबीर सिंह बादल की बेटी हरकिरत कौर। वह अपने पिता का चुनाव प्रचार कर रही है। स्पोर्टस शूज, पंजाबी सूट और सिर पर चुन्नी, यानी पारंपरिक पंजाबी लिबास में वह दिन भर पापा के विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के बीच प्रचार करती है। वह ज्यादा बोलती नहीं है। बस हाथ जोड़ती है। पापा के पक्ष में मतदान करने की अपील करती है और तुरंत आगे बढ़ जाती है। मीडिया से तो बिल्कुल बात नहीं करती। उनके साथ चल रहे सुरक्षाकर्मी ने बताया कि हरकिरत को मीडिया से बातचीत करने से मना किया गया है। वह किसी से राजनीति पर बात नहीं करती। क्यों? इस सवाल का हालांकि उसने जवाब नहीं दिया।
सुखबीर बादल जलालाबाद सीट से पार्टी के उम्मीदवार हैं। उनके प्रचार की कमान बेटी ने संभाल रखी है। सुखबीर बादल को पार्टी के प्रचार के लिए अपने विधानसभा क्षेत्र से बाहर रहना पड़ता है। उनकी अनुपस्थिति में उनकी बेटी चुनाव प्रचार कर पूरा कर रही है। सुबह से शाम तक वह चुनाव प्रचार करती हैं। लेकिन वह बेहद प्रोटेक्टिव जोन में रह कर चुनाव प्रचार कर रही है। उनके साथ 25 से 30 लोग चलते हैं। इसमें चार पांच महिलाएं भी शामिल है। इनके बीच में ही हरकिरत चलती है। वह तभी फ्रंट में आती है, जब मतदाता सामने हो। कई बार तो ऐसा लगता है कि चुनाव प्रचार में उन्हें केवल औपचारिकता भर के लिए रखा हुआ है।
इस बार चूंकि अकाली दल के स्टार प्रचारक पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल (Parkash Singh Badal) की तबीयत खराब है। उनके विधानसभा क्षेत्र लंबी में उनकी पुत्रवधू पूर्व मंत्री हरसिमरत कौर बादल (Harsimrat Kaur Badal) प्रचार की कमान संभाले हुए हैं। दूसरे बड़े लीडर बिक्रमजीत सिंह मजीठिया (Bikram Singh Majithia) इस बार अमृतसर ईस्ट में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के साथ कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं। इस बार वह भी पार्टी प्रचार के लिए ज्यादा नहीं निकल पा रहे हैं। इसलिए सुखबीर बादल के कंधों पर प्रचार की जिम्मेदारी ज्यादा आ गई है। उनके हलके में पापा की कमी को पूरा करने के लिए बेटी ने कमान संभाली है। लेकिन हरकिरत कौर मतदाताओं के पास नेता के तौर पर नहीं जा रही है। वह कोई भाषण नहीं देती। ज्यादा देर बात नहीं करती। बस हाथ जोड़ अपील करती है। हालांकि उन्हें मतदाताओं का समर्थन मिल रहा है।
दूसरी ओर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की बेटी राबिया भी पापा के विधानसभा क्षेत्र में प्रचार की कमान संभाले हुए हैं। सिद्धू क्योंकि अभी प्रचार को गति नहीं दे पा रहे हैं। इस कमी को उनकी बेटी पूरा कर रही है। राबिया एक दम खाटी राजनेता की तरह व्यवहार करती है। आक्रामक तेवर लिए वह बात करती है। बातचीत करने का उसका विशुद्ध राजनेता वाला स्टाइल मतदाता को पसंद आ रहा है। वह अपने पापा की तरह विपक्ष पर जमकर निशाना साधती हैं।
उसकी बातचीत भावुकता, आक्रामकता और जुमलेबाजी का मिश्रण होती है। पता है, कब क्या बोलना है। कितना बोलना है। कब इमोशनल होना है और कब आक्रमक। यहां तक की बिक्रमजीत सिंह मजीठिया पर भी वह सीधा हमला बोलने से नहीं चूकती। वह किसी तरह के प्रोटेक्टिव जोन में नहीं रहती। प्रचार टीम को लीड करती हैं। अपने पापा को जस्टिफाई करती हैं। यहां तक की मीडिया से भी खुल कर बात करती हैं।
अमृतसर के सीनियर पत्रकार सतीश सिंह ने बताया कि राबिया सिद्धू की तरह ही प्रचार करती है। उसमें अपने पिता की तरह मतदाता को जोड़ने की कला है। किस मुद्दे को किस तरह से और कितना उठाना है, बेहतर जानती है। बिक्रमजीत सिंह मजीठिया पर हमला करते हुए वह नशे की बात करती है। ऐसा लगता है राबिया का राजनीति का प्रशिक्षण अच्छे से हुआ है। तभी तो वह अकेली भी बोलने में सब पर भारी पड़ती है।