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क्या बीजापुर में जान गंवाने वाले जवानों को नहीं मिलेगा शहीद का दर्जा? जानें क्या है इस वायरल पोस्ट का सच?
फेसबुक पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने कोबरा जवानों को शहीद का दर्जा देने से इनकार कर दिया है। इस वायरल पोस्ट का संबंध छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुए नक्सल हमले से है, जिसमें 23 जवान शहीद हो गए। ऐसे में बताते हैं कि आखिर वायरल पोस्ट का सच क्या है?
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फेसबुक यूजर्स ने आज तक की वेबसाइट पर पब्लिश आर्टिकल का स्क्रीनशॉट भी शेयर किया। आर्टिकल की हेडलाइन थी, केंद्र ने हाईकोर्ट से कहा कि अर्धसैनिकों को नहीं मिल सकता शहीद का दर्जा।
सोशल मीडिया यूजर्स ने कई तस्वीरों के साथ लिखा, क्या इस देश की सरकार CRPF के कोबरा कमांडो को शहीद का दर्जा नहीं दे सकती, जो बीजापुर में शहीद हुए थे? यह सरकार हमारे देश के शहीदों और सैनिकों का इस तरह अपमान नहीं कर सकती है।
वायरल तस्वीर का सच क्या है?
रक्षा और अर्धसैनिक सेवाओं में शहीद के रूप में कोई आधिकारिक नामकरण नहीं है। हालांकि, बीजापुर हमले में मारे गए जवानों के परिवार के लोगों को पेंशन, मुआवजा और अन्य अतिरिक्त लाभ दिए जाते हैं।
पहले बात आज तक के आर्टिकल की
आज तक का जो आर्टिकल सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है वह साल 2015 में प्रकाशित हुआ था। इसके अनुसार, एक जनहित याचिका के जवाब में केंद्र ने एक हलफनामे के माध्यम से दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया था कि शहीद शब्द किसी भी बल की सेवाओं में उपयोग नहीं किया जाता है।
सेना/नौसेना/वायु सेना, 'शहीद' शब्द का इस्तेमाल तीनों सेवाओं में नहीं किया गया है। 22 दिसंबर 2015 को तत्कालीन लोकसभा सांसद नीलम सोनकर ने गृह मंत्रालय से पूछा था कि क्या सरकार केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के उन जवानों को शहीद का दर्जा देने का प्रस्ताव रखती है जो आतंकवादियों और माओवादियों से लड़ते हुए अपनी जान गंवा चुके हैं। सीआरपीएफ और बीएसएफ सहित अर्धसैनिक बल सीएपीएफ के अंतर्गत आते हैं।
तब किरेन रिजिजू ने जवाब दिया था, रक्षा मंत्रालय ने सूचित किया है कि शहीद शब्द का इस्तेमाल भारतीय सशस्त्र बलों में किसी भी दुर्घटना के संदर्भ में नहीं किया जाता है। इसी तरह सीएपीएफ और असम राइफल्स (एआर) के कर्मियों के संदर्भ में इस तरह के शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, जो कार्रवाई में या किसी भी ऑपरेशन में मारे जाते हैं।
CAPF जवानों को क्या लाभ मिलता है?
एक्टिव ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने पर 35 लाख रुपए और ड्यूटी पर मृत्यु के लिए 25 लाख रुपए मिलते हैं।
केंद्रीय सिविल सेवा (अतिरिक्त साधारण पेंशन) नियम, 1939 और अन्य पेंशन लाभों के तहत पेंशन मिलता है।
अनुकंपा नियुक्तियों के लिए समूह ग में 5% का आरक्षण।
निष्कर्ष- यह पुष्टि की जाती है कि वायरल पोस्ट को गलत रिफरेंस में पोस्ट किया जा रहा है, जो पूरी तरह से गलत है।