क्या चिकन खाने से ब्लैक फंगस हो सकता है? जानें वायरल मैसेज का सच
कोरोना महामारी के बीच ब्लैक फंगस का आतंक फैला हुआ है। इसे लेकर कई मैसेज भी वायरल हो रहे हैं। एक वायरल मैसेज में दावा किया जा रहा है कि चिकन खाने से भी ब्लैक फंगस होता है। मैसेज में एक रिपोर्ट के स्क्रीनशॉट के साथ लिखा गया है कि पंजाब सरकार ने पोल्ट्री फार्म को संक्रमण फैलाने वाली जगहों में शामिल किया है।
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वायरल मैसेज का सच क्या है?
वायरल मैसेज की पड़ताल करने पर पता चला कि ये पूरी तरह से फेक है। मैसेज में एनडीटीवी की जिस रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट लगाया गया है वह झूठा है। मीडिया रिपोर्ट्स में कई मेडिकल एक्सपर्ट्स ने पुष्टि भी की है कि ब्लैक फंगस इंसानों या जानवरों के संपर्क से नहीं फैलता है। ये छूआछूट की बीमारी नहीं है। यूनाइटेड स्टेट्स सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, म्यूकोर्मिकोसिस एक गंभीर लेकिन दुर्लभ फंगल संक्रमण है, जो म्यूकोर्मिसेट्स नामक मोल्ड्स के समूह के कारण होता है।
सबसे ज्यादा किसे होता है ब्लैक फंगस?
Mucormycosis वातावरण में मौजूद रहता है। ये सबसे ज्यादा उन्हें संक्रमित करता है, जिन्हें पहले से कोई घातक बीमारी हो और वे लगातार दवाइयां ले रहे हों। एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने ब्लैक फंगस को लेकर कई बैठके की हैं। हालांकि उन्होंने या किसी अन्य एक्सपर्ट ने नहीं कहा है कि संक्रमण मुर्गियों से इंसानों में फैल सकता है।
क्या ब्लैक फंगस से मुर्गियां संक्रमित हो सकती हैं?
वायरल मैसेज पर डॉक्टर मुखर्जी ने कहा, म्यूकोर्मिकोसिस पूरे वातावरण में मौजूद है। यह शायद मुर्गियों को भी संक्रमित कर सकता है। हालांकि, म्यूकोर्मिकोसिस संक्रामक नहीं है, यानी यह इंसानों या जानवरों के बीच संपर्क से नहीं फैल सकता है।
चिकन को ब्लैक फंगस हुआ तो कैसे पहचानें?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, म्यूकोर्मिकोसिस कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे छिपाया जा सकता है। संक्रमित जानवर से बुरी तरह की गंध आएगी। कोई भी व्यक्ति संक्रमित चिकन को नहीं खा सकेगा। ऐसे में ब्लैक फंगस से संक्रमित चिकन को तो खाने का सवाल ही नहीं है।
फिर एनडीटीवी की रिपोर्ट का सच क्या है?
अब बात की वायरल पोस्ट में एनडीटीवी की वायरल रिपोर्ट का सच क्या है? पोस्ट से संबंधित कुछ की-वर्ड डालने पर कुछ लिंक खुले। एक रिपोर्ट पंजाब के लुधियाना में एक पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू को लेकर थी। आर्टिकल में ब्लैक फंगस और कोविड का कोई जिक्र नहीं था। यह स्पष्ट है कि वायरल पोस्ट और उसके साथ किया जा रहा दावा पूरी तरह से गलत है। ब्लैक फंगस छूने से फैलने वाली बीमारी नहीं है। पोस्ट में एनडीटीवी के जिस स्क्रीनशॉट को दिखाया गया है। वह भी एडिट है। मूल पोस्ट में बर्ड फ्लू का जिक्र था न की कोविड या ब्लैक फंगस का।
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