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प्याज के काले रंग या फ्रिज के अंदर मौजूद है ब्लैक फंगस? जानें क्या है वायरल मैसेज का सच
ब्लैक फंगस क्यों फैलता है? इसे लेकर डॉक्टर्स और वैज्ञानिकों ने तमाम तर्क दिए हैं। लेकिन इस बीच सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें बताया गया है कि घर की वस्तुओं से भी ब्लैक फंगस या कहें म्यूकोर्मिकोसिस का खतरा रहता है। पोस्ट में बताया गया है कि ब्लैक फंगस खाए जाने वाली सब्जियों में और रेफ्रिजरेटर में रखी प्याज से भी फैलता है।
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वायरल पोस्ट में क्या लिखा है?
वायरल पोस्ट में लिखा है, घरेलू ब्लैक फंगस से सावधान रहें। कई बार जब आप प्याज खरीदते हैं, तो आपने उन पर एक काली परत देखी होगी। दरअसल, यह ब्लैक फंगस है। रेफ्रीजिरेटर के अंदर के रबर पर भी ब्लैक फंगस होता है, जो म्यूकोर्मिकोसिस का कारण बनता है। अगर इसे नजरअंदाज किया जाता है, तो यह ब्लैक फंगस आसानी से रेफ्रिजरेटर के अंदर रखे सामानों के जरिए आपके शरीर के अंदर चला जाता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि रेफ्रिजरेटर के अंदर का ब्लैक फंगस और प्याज पर दिखने वाला फंगस बिल्कुल अलग है। ये म्यूकोर्मिकोसिस का कारण नहीं बनता है।
रेफ्रिजरेटर के अंदर ब्लैक फंगस
इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक नसीम गौर ने बताया कि रेफ्रिजरेटर के अंदर और जहां नमी होती है वहां कुछ बैक्टीरिया, यीस्ट और कई मोल्ड बढ़ सकते हैं। मोल्ड कवक का एक समूह है। मोल्ड एडवाइजर नाम की वेबसाइट के अनुसार रेफ्रिजरेटर के अंदर पाया जाने वाला ब्लैक फंगस, स्टैचीबोट्रीस चार्टरम है। अगर फ्रिज में स्टैचीबोट्रीस चार्टरया अन्य मोल्ड पाए जाते हैं, तो उन्हें हटा दिया जाना चाहिए।
प्याज के ऊपर दिखने वाला ब्लैक फंगस
अमेरिकी कृषि विभाग के अनुसार, प्याज पर काला स्ट्रक्चर एस्परगिलस नाइजर के कारण होता है, जो मिट्टी में पाया जाने वाला एक सामान्य कवक है। जबलपुर में सेंटर फॉर मेडिकल माइकोलॉजी फंगल डिजीज डायग्नोस्टिक एंड रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक डॉक्टर शेष आर नवंगे ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा, इस तरह के कवक दुर्लभ मामलों में संक्रमण का कारण बनते हैं। हालांकि प्याज को खाने से पहले हमेशा अच्छी तरह से धोना चाहिए।
म्यूकोर्मिकोसिस के लिए कौन से कवक जिम्मेदार हैं
म्यूकोर्मिकोसिस को पहले जाइगोमाइकोसिस के नाम से जाना जाता था। यह एक गंभीर लेकिन दुर्लभ फंगल संक्रमण है। यूएस सीडीसी के अनुसार ये म्यूकोर्माइसेट्स नाम के मोल्ड्स ग्रुप के कारण होता है। ये ग्रुप पूरे वातावरण में रहते हैं। ये उन लोगों को प्रभावित करता है जिन्हें पहले से ही हेल्थ प्रॉब्लम होती है। या जो दवाएं खा रहे होते हैं। उनमें बीमारी से लड़ने की क्षमता कम होती है।
पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ में मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉक्टर अरुणलोक चक्रवर्ती ने कहा, म्यूकोर्मिकोसिस का कारण बनने वाला कवक रेफ्रिजरेटर में जीवित नहीं रह सकता है।
निष्कर्ष
यह स्पष्ट है कि रेफ्रिजरेटर में ब्लैक लेयर बनाने वाले कवक और प्याज पर काले रंग के दिखने वाले कवकों से म्यूकोर्मिकोसिस नहीं होता है। यानी तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा पूरी तरह से झूठ है।