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क्या वाकई यूपी के लौंडे ने बनाया Signal एप? 6 महीने में बंद होने जा रहे WhatsApp वाली न्यूज़ का ये है पूरा सच
फेक चेक: इन दिनों हर तरफ WhatsApp की चर्चा है। दुनिया का सबसे लोकप्रिय मैसेजिंग एप देखते ही देखते अनइंस्टॉल होने लगा। कारण बना इसके द्वारा लागू नया प्राइवेसी पॉलिसी वाला मैसेज। WhatsApp पर आरोप लगाया जा रहा है कि इस नए पॉलिसी के जरिये वो लोगों की पर्सनल बातें लीक कर सकता है और उसका एक्सेस लोगों की पर्सनल बातों पर हो जाएगी। इस बीच सिग्नल एप को भारत में लोकप्रियता मिली। लोग तेजी से WhatsApp अनइंस्टॉल कर सिग्नल एप को डाउनलोड कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के एक लड़के ने सिग्नल एप बनाया है। लोगों से भारतीय द्वारा बनाए गए इस एप को डाउनलोड करने को कहा जा रहा है। साथ ही एक और मैसेज जो तेजी से वायरल हो रहा है, वो ये कि 6 महीने में WhatsApp बंद हो जाएगा। आइये आपको दोनों खबरों का सच बताते हैं...
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इन दिनों सोशल मीडिया पर WhatsApp और सिग्नल एप की सबसे ज्यादा चर्चा है। इन दो ऐप्स को लेकर जबरदस्त न्यूज सामने आ रही है और दोनों के बीच की प्रतिस्पर्धा का फायदा उठा रहे हैं फेक न्यूज फ़ैलाने वाले।
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से शेयर किया जा रहा है। इसमें लिखा है कि WhatsApp को डिलीट कर लोगों को सिग्नल एप डाउनलोड करना चाहिए। ये एप इंडिया में बना है और इसे बनाने वाला यूपी में एक गरीब किसान का बेटा है।
पोस्ट में लिखा है कि ये लड़का गरीब परिवार से है। साथ ही इसने आईआईटी से ग्रेजुएशन किया है। इसके बनाए ऐप को नासा और यूनेस्को ने 2021 का बेस्ट एप बताया। साथ ही मैसेज में इस ऐप की कोडिंग संस्कृत में बताई गई है।
साथ ही इसमें लिखा है कि अगले 6 महीने में WhatsApp बंद हो जाएगा। साथ ही लोगों से अपील की गई कि इस पोस्ट को 10 लोगों को फॉरवर्ड करने पर आपको फ्लिपकार्ट का 500 का वाउचर मिलेगा।
लेकिन जब जांच की गई तो ये पोस्ट पूरी तरह फेक निकला। सबसे पहले बात करते हैं WhatsApp का यूपी के बेटे द्वारा बनाए जाने की खबर की। सिग्नल ऐप की ऑफिशियल साइट पर देखने से पता चला कि इसके फाउंडर मेंबर में किसी इंडियन का नाम नहीं है। इसे ब्रायन एक्टन ने मोक्सी मारलिंस्पाइक के साथ शुरू किया था। इससे कंफर्म होता है कि ये एप यूपी के किसी लड़के ने नहीं बनाया।
अब आते हैं इसे नासा और यूनेस्को द्वारा बेस्ट ऐप घोषित करने की खबर पर। दोनों ही संस्थान जब किसी को अवार्ड देती है तो उसका जिक्र अपने साइट पर करती है। लेकिन ना तो नासा के ना ही यूनेस्को के साइट पर ऐसे किसी अवार्ड का जिक्र है।
संस्कृत भाषा में कोडिंग के जरिये लोगों से एप डाउनलोड करवाने वाली बात भी फेक है। सिग्नल के ऑफिशियल साइट पर इसकी सॉफ्टवेयर लाइब्रेरी है। उसने कई भाषा का जिक्र है लेकिन संस्कृत का नाम इसमें मेंशन नहीं है। ट्रांसलेशन लिस्ट में कई भारतीय भाषाएँ हैं लेकिन इसमें कहीं भी संस्कृत नहीं है। ऐसे दावा भी झूठ है।
आखिर में आते हैं 6 महीने में WhatsApp बंद होने के दावे पर। इस दावे को खुद WhatsApp ने सिरे से नकार दिया है। उन्होंने साफ किया है कि ऐसा कोई प्लान नहीं है। WhatsApp लोगों को उनके दोस्तों और घरवालों से जुड़े रहने में हमेशा तत्पर रहेगा।