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FACT CHECK: गर्भवती हथिनी की दर्दनाक मौत से उठा पर्दा, सच्चाई जान आपको लग सकता है गहरा सदमा
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हथिनी की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आ गई, जिसमें हथिनी की मौत का कारण फेफड़े में पानी भरना बताया गया है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्र ने केरल सरकार से रिपोर्ट मांगी है। दरअसल केरल का वन विभाग हथिनी की दर्दनाक मौत पर लीपा-पोती कर रहा है। वो एक भयानक अमानवीय हत्या को मामूली बता रहा है।
प्राथमिक खबरें क्या थीं?
दरअसल हथिनी की मौत को लेकर मीडिया में प्राथमिक खबरें ये आई कि पलक्कड़ जिले में गर्भवती हथिनी भूखी थी और भोजन की तलाश में निकली तो कुछ शरारतीं लोगों ने उसे जानबूझकर विस्फोटक यानि पटाखों से भरा एक अन्नानास खिला दिया। मुंह में पटाखे फटने से हथिनी का जबड़ा पूरा टूट गया और वो बुरी तरह घायल हो गई। हथिनी पानी में जाकर खड़ी हो गई तीन दिन तक वो खड़ी रही और फेफड़ों में पानी भरने के कारण उसकी और उसके बच्चे की मौत हो गई।
क्या दावा किया गया था?
सोशल मीडिया पर हथिनी की मौत को लेकर लोगों में गुस्सा फूट पड़ा। लोग जिम्मेदार को लेकर फांसी तक की मांग करने लगे। फिल्मी स्टार्स ने भी इसमें अपनी सहमती जताई। इधर एक कहानी वायरल होने लगी कि हथिनी को जानबूझकर पटाखों से भरा अन्नानास खिलाया गया था जिसकी वजह से उसकी मौत हुई।
फैक्ट चेक
एक दिन बाद ही केरल वन विभाग के अधिकारियों ने इस खबर की सच्चाई सामने रखी है। हथिनी की मौत मामले में वन विभाग ने कहा है कि जांच में महत्वपूर्ण कामयाबी मिली है। हथिनी की मौत की छानबीन के लिए बनी स्पेशल जांच टीम ने कई संदिग्धों से पूछताछ की है। साइलेंट वैली जंगल में हथिनी ने पटाखा भरा हुआ अन्नानास खा लिया था। यह उसके मुंह में फट गया और एक सप्ताह बाद 27 मई को उसकी मौत हो गई।
अनानास या मीट में हल्के विस्फोटक पैक करके जानवरों को खेतों में आने से रोकना केरल के स्थानीय इलाक़ों में काफ़ी प्रचलित है। इसे मलयालम में 'पन्नी पड़कम' कहा जाता है जिसका मतलब है ''पिग क्रैकर।'' दरअसल वन विभान का कहना है कि, जानवरों को पकड़ने या भगाने के लिए केरल में पटाखे भरकर फल या मांस के पैकेट रखना एक साधारण तरकीब है। यहां के लोग इसे जानवरों से फसलें बचाने में आजमाते हैं। ये विस्फोटक स्थानीय स्तर पर ही बनाई गई सामग्री या त्योहारों में इस्तेमाल होने वाले पटाख़ों से तैयार किया जाता है।
वाइल्डलाइफ़ एक्सपर्ट्स का मानना है कि विस्फोटक और अलग-अलग तरह के जाल का इस्तेमाल सिर्फ़ केरल में ही नहीं पूरे भारत में किया जाता है। वाइल्डलाइफ़ साइंस कॉलेज ऑफ़ फॉरेस्ट्री के पूर्व प्रोफ़ेसर डॉ. जैकब चीरन ने बीबीसी हिन्दी को बताया, ''यह हाथियों के लिए नहीं होता, ये मुख्यरूप से जंगली सुअरों के लिए होता है जो खेतों में घुसकर फ़सलें तबाह कर देते हैं, यह कोई नई बात नहीं है।''
आमतौर पर हाथी कॉफ़ी या दूसरे पौधों को नुक़सान नहीं पहुंचाते, वो सिर्फ़ धान और केले की फ़सलों का रुख़ करते हैं।'' इस पूरे मामले में ये सच भी सामने आया कि बीते दिनों जिन हाथियों की मौत हुई है उसमें स्थानीय लोगों ने खतरनाक विस्फोटक का इस्तेमाल करके ये तरकीब अपनाई थी।
ये निकला नतीजा
विस्फोटक से भरा अनानास खाने की वजह से गर्भवती हथिनी की मौत से पूरे देश में लोग ग़ुस्से में हैं। इसमें वन विभाग का यही कहना है कि स्थानीय लोगों ने जंगल के अंदर जाकर जंगली हाथी को जिंदा पटाखों से भरा फल नहीं खिलाया होगा क्योंकि यह बहुत खतरनाक होगा। मीडिया और सोशल मीडिया का ये दावा गलता है क्योंकि हथिनी ने स्थानीय गांव में नहीं जंगल में कहीं रखा हुआ फल खुद से खा लिया होगा। हालांकि ये कम भयानक नहीं है कि जानवरों को भगाने स्थानीय लोग ऐसे खतरनाक और वीभत्स तरीके अपनाते हैं। केरल में हाथियों की मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
इस घटना पर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने गुरुवार को ट्वीट करके बताया कि मामले में जांच जारी है और इसका फोकस 'तीन संदिग्धों' पर है।