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मजदूरों को 1 लाख 20 हजार मुआवजा देगा श्रम मंत्रालय...धड़ाधड़ शेयर हो रहा है ये मैसेज, जानें सच

नई दिल्ली. कोरोना लॉकडाउन के बीच अर्थव्यवस्था और रोजगार के लिए पीएम मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपए का राहत पैकेज घोषित किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण हर दिन इसके बारे में नई जानकारियां दे रही हैं। वहीं लॉकडाउन में लाखों मजदूर और प्रवासी दिहाड़ी कामगार घरों को पैदल ही लौट रहे हैं। हर रोज मजदूरों से जुड़ी खबरें सामने आ रही हैं। इस बीच बीच सोशल मीडिया पर मजदूरों को मुआवजा मिलने की खबर वायरल हो रही है। एक लिंक के साथ मजदूरों को 1 लाख 20 हजार रू. मिलने का मैसेज वायरल हो रहा है। इस मैसेज को देखते ही देखते लोग शेयर कर रहे हैं। फैक्ट चेकिंग में आइए जानते हैं कि आखिर इसका सच क्या है?

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Asianet News Hindi
Published : May 18 2020, 09:14 PM IST| Updated : May 18 2020, 10:28 PM IST
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पूरे देश में हर राज्य से प्रवासी मजदूर घर लौट रहे हैं। कोई पैदल जा रहा है तो कोई अपने मालिक की साइकिल चुराकर। ऐसे ही सैकड़ों मजदूरों के पैदल भूखे-प्यासे लौटते हुए की खबरें और तस्वीरें सामने आ रही हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर मजदूरों को लेकर ये मुआवजा मिलने का दावा किया जा रहा है।

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वायरल मैसेज: 

 

13 और 14 मई को अंग्रेजी भाषा में वायरल मैसेज में लिखा है- ‘1990 से 2020 तक काम कर चुके श्रमिकों के पास श्रम व रोजगार मंत्रालय से 1,20,000 रुपये पाने का अधिकार है। वायरल मैसेज में एक लिंक दिया गया है। इस लिंक में उन लोगों की लिस्ट है जो यह फायदा फायदा उठा सकते हैं।

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क्या दावा किया जा रहा है? 

 

वॉट्सऐप और फेसबुक पर अंग्रेजी ऐसे एक वायरल मैसेज में दावा किया जा रहा है कि 1990 से 2020 के बीच काम कर चुके हर एक मजदूर-कर्मचारी को श्रम व रोजगार मंत्रालय 1.20 लाख रुपए दे रहा है।

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फैक्ट चेक पड़ताल: 

 

जब हमने इस मैसेज की पड़ताल की तो पता चला कि 13 और 14 मई को सरकार के किसी मंत्रालय की ओर से ऐसा कोई बयान नहीं दिया गया। इसके बाद हमने इस मैसेज के साथ दिए गए ऊपर दिए वेब लिंक पर क्लिक किया तो पता चला कि वह वेब एड्रेस तो भारत के श्रम मंत्रालय का है, लेकिन नीचे दिया गया https:II.IIIII.shop लिंक किसी फर्जी साइट का है जो अब बंद है। इसके अलावा इसी मैसेज के साथ एक और वेब लिंक labour.gov.za शेयर किया जा रहा जो दक्षिण अफ्रीका के रोजगार व श्रम मंत्रालय की साइट का है अैर इसका भारत से कोई लेना-देना नहीं है। 

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सच क्या है? 

 

इस मैसेज की पड़ताल में यह सच निकल कर आया कि ऐसा कोई प्रावधान न तो वित्त मंत्री ने बताया है और न ही श्रम व रोजगार मंत्रालय ने ऐसा कुछ कहा है। इस मैसेज के साथ दी जा रही वेबसाइट दक्षिण अफ्रीका के श्रम मंत्रालय की है।

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इसके साथ ही भारत की पीआईबी ने अपने फैक्ट चेक हैंडल पर भी इसे फेक मैसेज बताया है। PIB फैक्ट चेक के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ‍लिखा गया है- ‘दावा: व्हाट्सऐप मैसेज में दावा किया जा रहा है कि जो श्रमिक 1990 से 2020 के बीच काम कर चुके हैं, उन्हें श्रम मंत्रालय की ओर से 1 लाख 20,000 रुपये मिलेंगे। फैक्ट चेक: यह फेक खबर है। भारतीय सरकार द्वारा ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई है। इस तरह की फर्जी वेबसाइट्स से सतर्क रहें।’

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ये निकला नतीजा 

 

1990 से 2020 के दौरान काम करने वाले वर्कर्स को श्रम मंत्रालय की ओर से 1 लाख 20,000 रुपये  दिए जाने का मैसेज पूरी तरह से झूठा है। आपके पास भी ऐसा मैसेज आए तो उसे किसी अन्य को फॉरवर्ड न करें और उसके साथ दिए गए लिंक को ओपन न करें।       

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