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दुनिया की पहली इलेक्ट्रिफाइड रेल सुरंग हरियाणा में तैयार, आसान होंगी ये चीजें..जानें टनल की खासियत...
मेवात (हरियाणा). इंडियन रेलवे का सबसे बड़ा ड्रीम प्रोजेक्ट डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर महामारी के बावजूद तेजी से पूरा हो रहा है। इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी रुकावट शुक्रवार को खत्म हो गई। सोहना के पास अरावली की पहाड़ियों को चीरने के लिए टनल में एक विस्फोट किया गया। जिससे यह टनल दोनों ओर से खुल गई। बता दें कि इस पहाड़ी में सुरंग बनाने के लिए एक साल से काम चल रहा था, इसकी खासियत यह है कि यह दुनिया की पहली ऐसी इलेक्ट्रिफ़ाइड रेल सुरंग है जिसमें डबल स्टेक कंटेनर चल सकेंगी। मतलब डबल डेकर माल गाड़ियां 100 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ेंगी।
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1 किलोमीटर रखी गई है इस सुरंग की लंबाई
दरअसल, इस सुरंग की लंबाई करीब 1 किलोमीटर रखी गई है। अभी तक इन दोनों कॉरिडोर में 500 किलोमीटर का ट्रैक रेलवे पहले ही बिछा चुका है। ये प्रोजेक्ट अगले साल तक पूरा होने की उम्मीद है। भारतीय रेल मालगाड़ियों को चलाने के लिए इस खास रेल लाइन को बना रहा है।
क्या है डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर
बता दें कि अभी तक देश में माल गाड़ियां भी उन्हीं पटरियों पर चल रहीं हैं, जहां पर सवारी गाड़ियां भी चल रही हैं। जिसके चलते माल गाड़ियों को चलने में देरी हो जाती है। इसलिए अब अलग से डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर बनाया जा रहा है, जहां पर सिर्फ भारतीय रेल मालगाड़ियों को दौड़ाएगा।
कहां से कहां तक बन रहा यह प्रोजेक्ट
मालगाड़ियों के लिए बन रहा भारतीय रेलवे का यह प्रोजेक्ट देश में दो डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर बना रहा है। दोनों को नोएडा के दादरी में लिंक किया जाएगा, जहां का नाम वेस्टर्न डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर है जो नोएडा के दादरी से गुड़गांव और गुजरात होते हुए मुंबई तक जाएगा। वहीं दूसरा ईस्टर्न डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर जो पंजाब के लुधियाना से दादरी होते हुए कोलकाता तक जाएगा।
दस लाख साल पुरानी चट्टानों के अंदर बन रही सुरंग
इस कॉरिडोर के जीएम ऑपरेशंस वेद प्रकाश ने एक मीडिया चैनल को बताया कि यह प्रोजेक्ट दस लाख साल पुरानी चट्टानों के भीतर बनाया जा रहा है। यह सुरंग आधुनिक इंजीनियरिंग का अद्भुत उदाहरण बनेगी। इसकी खासियत है कि इसके अंदर 100 किलोमीटर की रफ़्तार से दो ट्रेने दौड़ेंगी।
5 राज्यों को होगा सबसे ज्यादा फायदा
बता दे कि 1506 किलोमीटर लंबाई वाली इस लाइन से पूरे एनसीआर, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र को बड़ा फायदा होगा। साल 2019 में शुरू हुआ प्रोजेक्ट 2021 तक पूरा होने की उम्मीद है। जब अरावली की पहाड़ियों को चीरने के लिए टनल में एक विस्फोट किया गया तो रेलवे के कर्मचारियों का खुशी का ठिकान नहीं था।