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देश के लिए 24 मेडल जीतने वाली ये बेटी मनरेगा में कर रही मजदूरी, माता-पिता के साथ जा रही धान लगाने

रोहतक (हरियाणा). कोरोना और लॉकडाउन का असर अमीर-गरीब हर वर्ग पर पड़ा है। लेकिन गरीबों के सपने जैसे टूट-से गए हैं। ऐसी ही एक बेबसी की कहानी हरियाणा से सामने आई है, जहां हरियाणा की पहचान इंटरनेशनल लेवल पर बनाने वाली वूशु गेम में देश के लिए 24 मेडल जीतने वाली शिक्षा नाम की अंतराष्टीय खिलाड़ी आज दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज है। लिहाजा इस बेटी को रोजी-रोटी की जुगाड़ करने के लिए मनरेगा में मजदूरी तक करनी पड़ रही है।

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Asianet News Hindi
Published : Jul 12 2020, 05:57 PM IST| Updated : Jul 12 2020, 06:04 PM IST
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अब तक 24 मेडल जीत चुकी है यह खिलाड़ी
दरअसल, शिक्षा रोहतक जिले के इंदरगढ़ गांव की रहने वाली है। वह वूशु गेम के 56 और 60 किलोग्राम भार वर्ग में  9 बार नेशनल, जबकि 24 बार स्टेट लेवल पर गोल्ड, सिल्वर और ब्रांज मेडल जीत चुकी है। शिक्षा को पिछले तीन साल से खेल विभाग से  पुरस्कार के रूप में मिलने वाले पैसे और एससी कैटेगरी में मिलने वाली स्कॉलरशिप का इंतजार है। शिक्षा का कहना है कि उसका नाम विभाग की सूची में है, लेकिन पैसा नहीं आया है। उसका परिवार इस समय आर्थिक तंगी से गुजर रहा है।

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आर्थिक तंगी से गुजर रहा परिवार
शिक्षा को पिछले तीन साल से खेल विभाग से पुरस्कार के रूप में मिलने वाले पैसे और एससी कैटेगरी में मिलने वाली स्कॉलरशिप का इंतजार है। शिक्षा का कहना है कि उसका नाम विभाग की सूची में है, लेकिन पैसा नहीं आया है। उसका परिवार इस समय आर्थिक तंगी से गुजर रहा है।

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दूसरों के खेतों में जा रही है मजदूरी करने
बता दें कि शिक्षा अपने माता-पिता के साथ मनरेगा में मजदूरी करने जाती है।  इस समय वह 200 और 300 रुपए में लोगों के खेतों में धान लगाने काम करके अपना पेट पाल रही है। आलम यह कि वह ना तो वूशु गेम की प्रैक्टिस कर पा रही है और ना ही उसका डाइट मनी का इंतजाम हो पा रहा है। 

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बेटी की बात करते रो पड़ी मां
शिक्षा की मां राजदेवी ने का कहना है कि हमने मजदूरी करके बेटी को दूसरे प्रदेशों में खेलने के लिए भेजते थे। जब बेटी मेडल जीतकर आती है तो खुशी होती है, सोचते थे कि चलो बेटिया की जिंदगी बन जाएगी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, सरकार ने कोई मदद नहीं की ,वह भी आज हमारे साथ मजदूरी कर रही है। 
 

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