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थम गईं इस महान शख्स की सांसे, पैर छूकर PM मोदी ने लिया था आशीर्वाद, ठुकरा दिया था मंत्री-राज्यपाल का पद
यमुनानगर (हरियाणा). सामाजिक कार्यों के लिए पद्मभूषण सम्मान पाने वाले समाजसेवी 94 वर्षीय दर्शन लाल जैन नहीं रहे। उन्होंने सोमवार दोपहर 12 बजे अपने निवास यमुननागर पर अंतिम सांस ली। उन्हें सरस्वती नदी को जीवित करने के लिए जाना जाता है। इतना ही नहीं 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी जब पहली बार यमुनानगर आए थे, तब उन्होंने सार्वजनिक मंच पर दर्शन लाल जैन के पैर छूकर आशीर्वाद लिया था।
| Published : Feb 08 2021, 07:10 PM IST / Updated: Feb 08 2021, 07:19 PM IST
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दरअसल, दर्शन लाल जैन को लड़कियों और आर्थिक रूप से परेशान बच्चों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए भी जाना जाता है। उन्हें सामाजिक कार्यों में योगदान के लिए साल 2019 में भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका था। जनसंघ के समय से राजनीति से जुड़े होने के बाद भी उन्होंने समाज सेवा को ही अपने जीवन का लक्षय माना था। इसलिए तो वह कभी भी सक्रिय राजनीति में शामिल नहीं हुए। ( दर्शन लाल जैन को पद्मभूषण सम्मान देते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, फाइल फोटो)
दर्शन लाल जैन ने समाज सेवा के लिए साल 1954 में जनसंघ द्वारा एमएलसी सुनिश्चित सीट के लिए मिले प्रस्ताव को उन्होंने अस्वीकार कर दिया था। इतना ही नहीं उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार ने जब उन्हें राज्यपाल के पद की पेशकश तो उसे लेने से मना कर दिया था।
बता दें कि हरियाणा की सरस्वती नदी एक समय पूरी तरह से लुप्त हो चुकी थी। लेकिन दर्शन लाल जैन के योगदान और अथक प्रयासों की बदौलत उन्होंने उसे फिर से जीवत किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती नदी की धारा को यमुनानगर के मुगलवली गांव एवं आदिबद्री से खोज निकला था। जिसके चलते 2014 में नदी की पहली धारा बही थी।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और प्रदेश बीजेपी ओपी धनखड़ समेत कई केंद्रीय और राज्य के मंत्री दर्शन लाल जैन के अंतिम संस्कार में पहुंचे हुए हैं। वहीं सीएम खट्टर ने ट्वीट कर शोक जताया है। सीएम ने लिखा-समाज सेवा में अपना जीवन समर्पित करने वाले, पूर्व मा. प्रांत संघचालक , हरियाणा, 'पद्म भूषण' आदरणीय दर्शन लाल जी जैन के निधन से दुःखी हूँ। उनकी यादें हम सबके दिलों में सदैव जीवित रहेंगी। ईश्वर से पुण्य आत्मा को शांति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूँ।
दर्शन लाल जैन का जन्म जगाधरी में 1927 में 12 दिसंबर को उद्योगपति जैन परिवार में हुआ था। युवा अवस्था में उन्हें बाबूजी के नाम से जाना जाता था। महज 15 साल की उम्र में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था। वह राजनीति में नहीं आकर सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं से जुड़ गए। अभी उनके परिवार में दो बेटे दो बेटियां और पोते-पोतिया हैं।
दर्शन लाल जैन ने ऐसे कई काम किए हैं जिनके लिए वह हमेश लोगों के दिलों में जीवित रहेंगे। उन्होंने सरस्वती विद्या मंदिर, जगाधरी (1954), डीएवी कॉलेज फॉर गर्ल्स, यमुनानगर, भारत विकास परिषद हरियाणा, विवेकानंद रॉक मैमोरियल सोसाइटी, वनवासी कल्याण आश्रम हरियाणा, हिंदू शिक्षा समिति हरियाणा, गीता निकेतन आवासीय विद्यालय, कुरुक्षेत्र, और नंद लाल गीता विद्या मंदिर, अंबाला (1997) सहित हरियाणा के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना की है।