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ये कहानी करगिल युद्ध में सबसे कम उम्र के शहीद की, जिसने जाते-जाते दुश्मनों के छुड़ा दिए थे छक्के
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दरअसल, हम बात कर रहे हैं, जवान मनजीत सिंह की, जो शहीद होने वाले जवानों में सबसे कम उम्र का था। मनजीत 1998 में रेजिमेंट अल्फ़ा कम्पनी में भर्ती हुआ था। सेना ज्वाइन किए हुए कुछ ही महीने हुए थे कि बार्डर पर कारगिल युद्ध छिड़ गया और मनजीत को सीमा पर भेज दिया गया। जहां 7 जून 1999 में टाइगर हिल में दुश्मनों के छक्के छुड़ाते हुए मनजीत 18000 फीट की ऊंचाई पर देश के लिए कुर्बान हो गया।
बता दें कि शहीद मनजीत सिंह के पिता गुरचरण सिंह किसान हैं। मनजीत अपने दो भाइयों हरजीत सिंह और दलजीत सिंह में सबसे छोटा था। घरवालों ने बताया कि मनजीत का बचपन से ही सेना में जाने और देश के कुर्बान होने का सपना था, जिसको उसने पूरा भी किया।
शहीद की मां सुरजीत कौर ने मीडिया को बताया था कि हम लोग एक साल बाद मनजीत की शादी करने वाले थे। उसके विवाह के सपने देख रहे थे, लेकिन देश के दुशमनों से उनको कांच की तरह तोड़ दिए।
बता दें कि शहीद के सम्मान में उस वक्त फरीदाबाद के सांसद रत्नलाल ने जवान के गांव बराड़ के मुख्य द्वार का नाम मनजीत सिंह के नाम पर रखा गया है।