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कोरोना होने पर कैसे कम हो जाता है ऑक्सीजन लेवल, कब हो जाना है अलर्ट? घर पर ही कर सकते हैं पता
हेल्थ डेस्क। कोरोना महामारी (Covid-19 Pandemic) की लहर पूरी दुनिया में दूसरी बार आई है। यह पहले से भी ज्यादा खतरनाक है। दुनिया के कई देशों के साथ भारत भी इस महामारी से जूझ रहा है। रोज-ब-रोज कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। वहीं, इससे होने वाली मौतों का सिलसिला भी तेज हो गया है। भारत में कोरोना संक्रमण से काफी मौतें हो रही हैं, जबकि टीकाकरण का अभियान भी तेजी से चलाया जा रहा है। यह देखने में आता है कि जो लोग कोरोना से संक्रमित होते हैं, उनके ब्लड में ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है। ऐसा तब भी होता है, जब लोग अपने को स्वस्थ महसूस करते हों। दरअसल, ब्लड में ऑक्सीजन लेवल का कम होना इस बात की चेतावनी होती है कि अब डॉक्टरी सहायता की जरूरत है। जानें इसके बारे में।
(फाइल फोटो)
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कैसे चलता है पता
किसी के ब्लड में ऑक्सीजन का लेवल क्या है, इसका पता ऑक्सीमीटर (Oximeter) से चलता है। ऑक्सीमीटर एक छोटा-सा डिवाइस होता है, जिसे उंगली या बॉडी के किसी दूसरे पार्ट पर लगा दिया जाता है। इसका इस्तेमाल अस्पतालों और क्लिनिक्स में काफी होता है। लोग इसे खरीद कर घरों में इस्तेमाल करने के लिए भी रखते हैं।
(फाइल फोटो)
पल्स ऑक्सीमीटर जरूरी
बहुत से लोग ब्लड में ऑक्सीजन के लेवल अच्छे स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण संकेत के रूप में देखते हैं। इससे इस बात का पता चलता है कि बॉडी का सिस्टम सही ढंग के काम कर रहा है या नहीं। यह ब्लड प्रेशर और टेम्परेचर को मापने की तरह ही होता है। जिन लोगों को फेफड़े या दिल से संबंधित बीमारियां हैं, उनके लिए पल्स ऑक्सीमीटर जरूरी है। इससे वे पता लगा सकते हैं कि उनकी स्थिति कैसी है। पल्स ऑक्सीमीटर को बिना किसी प्रिस्क्रिप्शन के भी फार्मेसी से खरीदा जा सकता है।
(फाइल फोटो)
क्या चल सकता है कोविड का पता
पल्स ऑक्सीमीटर से इस बात का पता नहीं लगाया जा सकता कि कोई कोविड से इन्फे्क्टेड है या नहीं। इसका पता कोरोनावायरस की जांच से ही चल सकता है। यह अलग बात है कि कोविड के मरीजों के यह काम आता है।
(फाइल फोटो)
किस हद तक जरूरी है ऑक्सीमीटर
अगर कोई कोविड-19 का मरीज है, तो ऑक्सीमीटर के जरिए उसकी स्थिति पर नजर रखी जा सकती है। इससे यह पता चल सकता है कि मेडिकल केयर की जरूरत है या नहीं। हालांकि, पल्स ऑक्सीमीटर से किसी के हेल्थ के बारे में काफी कुछ पता चल जाता है, लेकिन सिर्फ इससे ही बीमारी के बारे में सारी जानकारी नहीं मिल सकती।
(फाइल फोटो)
ऑक्सीजन लेवल ही सबकुछ नहीं
बता दें कि पल्स ऑक्सीमीटर के जरिए ऑक्सीजन लेवल का पता तो चल जाता है, लेकिन इससे यह नहीं जाना जा सकता कि कोई किस हद तक बीमार है। कुछ लोग अच्छा ऑक्सीजन लेवल होने के बावजूद बीमार महसूस कर सकते हैं, वहीं कुछ लोग खराब ऑक्सीजन लेवल होने पर स्वस्थ महसूस करते हैं।
(फाइल फोटो)
हमेशा सही नहीं होता रिजल्ट
पल्स ऑकसीमेटर का रिजल्ट हमेशा ठीक ही हो, यह जरूरी नहीं है। डार्क स्किन वाले लोगों के लिए यह ज्यादा कारगर नहीं है। कई बार पल्स ऑक्सीमीटर में ऑक्सीजन लेवल ज्यादा पाया गया, जितना वह वास्तव में था। इसलिए इस पर हमेशा पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता। अगर किसी को सांस से संबंधित दिक्कत हो रही हो और वह अपने सामान्य काम नहीं कर पा रहा हो, भले ही ऑक्सीजन लेवल नॉर्मल हो, तो ऐसी स्थिति में तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
(फाइल फोटो)
क्या है नॉर्मल रीडिंग
सामान्य ऑक्सीजन लेवल आम तौर पर 95 फीसदी या इससे ज्यादा होता है। ऐसे लोग जो फेफड़े की बीमारी से लंबे समय से पीड़ित रहे हैं, उनका ऑक्सीजन लेवल 90 फीसदी हो सकता है। पल्स ऑक्सीमीटर में 'SpO2' रीडिंग किसी के ब्लड में ऑक्सीजन के पर्सेंटेज को दिखाती है। अगर किसी की 'SpO2' 95 फीसदी से कम हो, तो उसे तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
(फाइल फोटो)