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जब यह लेडी मुस्कराती थी, तो तय हो जाता था कि कुछ खतरनाक होने को है...क्या SP और क्या नेता...सबसे लिया पंगा
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झारखंड की खूंटी पुलिस लंबे समय से बबीता को पकड़ने में लगी थी, लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी। इसके ऊपर विभिन्न थानों में कई जघन्य केस दर्ज हैं।
बबीता पर पत्थलगढ़ी आंदोलन के जरिये देशद्रोह सहित कई बड़े केस भी दर्ज हैं।
एक बार बबीता ने खूंटी जिले के भंडारा में एसपी सहित दर्जनों पुलिसवालों को बंधक बना लिया था।
बबीता ने गैरकानूनी तरीके से खुद का बैंक खोल लिया था।
इसने झारखंड के दिग्गज नेताओं में शुमार करिया मुंडा के आवास पर हमला बोलकर सिक्योरिटी गार्ड्स से हथियार लूट लिए थे।
बबीता आदिवासी गांवों में पत्थलगढ़ी आंदोलन के जरिये गांववालों को सरकार और संविधान के खिलाफ उकसाती थी। जो नहीं मानता था, उसे सजा देती थी।
खूंटी के एसपी आशुतोष शेखर ने बताया कि बबीता को यहां भी रिमांड पर लेने की कोशिश होगी।
झारखंड से शुरू हुए आदिवासियों के पत्थलगढ़ी आंदोलन ने छत्तीसगढ़ तक अपना विस्तार कर लिया है। बताते हैं कि आदिवासियों को जल-जंगल और जमीन पर अधिकार दिलाने पत्थलगढ़ी समर्थक गांववालों को संगठित कर रहे हैं। पत्थलगढ़ी समर्थक बैठकें आयोजित करके लोगों को अपने पक्ष में कर रहे हैं। गांव में पत्थर के बोर्ड लगाकर अपने आंदोलन का ऐलान कर दिया गया है।
पत्थलगढ़ी समर्थक ऐसे दुर्गम ग्रामीण इलाकों पर फोकस कर रहे हैं, जहां सरकारी महकमा आसान से नहीं नहीं पहुंच सकता। हालांकि जो लोग इस आंदोलन के समर्थक नहीं है, उनके बीच खूनी संघर्ष की स्थितियां बन रही हैं।
आदिवासियों में पत्थलगढ़ी एक पुरानी परंपरा है। इसमें गांववाले गांव की सरहद पर एक पत्थर गाढ़कर रखते थे। इसमें अवांछित लोगों को गांव में घुसने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी लिखी होती थी। हालांकि अब इन पत्थरों पर भारतीय संविधान की गलत व्याख्या करके गांववालों को उकसाया जा रहा है।
अपनी मां के साथ बबीता कच्छप। बबीता सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रही है।
अपने परिचितों के साथ बबीता कच्छप। बबीता सोशल मीडिया पर फोटो डालती रही है।
बबीता कच्छप का पुश्तैनी घर।
बबीता के साथ पकड़े गए दो नक्सली भाई सामू और बिरसा औरेया।
19 जनवरी में पत्थलगढ़ी आंदोलन का एक खूनी खेल सामने आया था। पश्चिम सिंहभूम जिले के अति नक्सल प्रभावित गुदड़ी थाना के बुरुगुलीकेरा गांव में पत्थलगढ़ी समर्थकों ने उपमुखिया जेम्स बुढ सहित 7 लोगों की हत्या कर दी थी। पत्थलगढ़ी समर्थक ऐसे दुर्गम ग्रामीण इलाकों पर फोकस कर रहे हैं, जहां सरकारी महकमा आसान से नहीं नहीं पहुंच सकता। हालांकि जो लोग इस आंदोलन के समर्थक नहीं है, उनके बीच खूनी संघर्ष की स्थितियां बन रही हैं।