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इस महिला विधायक ने सैकड़ों लोगों की जान खतरे में डाली, सरेआम उड़ाईं लॉकडाउन की धज्जियां
हजारीबाग. झारखंड की सबसे कम उम्र की कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद इस समय चर्चा में हैं। उन्होंने कोरोना के कहर में लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए एक जनसभा की। जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए थे। बताया जाता है कि इस बैठक में आए लोगों के चहेरे पर ना तो मास्क था और ना ही हाथ में किसी ने ग्लब्स पहना हुआ था। इतना ही नहीं बैठक में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां भी उड़ाई गईं।
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दरअसल, महिला MLA अंबा प्रसाद ने रविवार को केरेडारी एनटीपीसी कोयला खनन परियोजना क्षेत्र के विस्थपितों के साथ बैठक की थी। जहां उन्होंने कहा था एनटीपीसी कोई भी काम शुरू करने के पहले त्रिपक्षीय वार्ता करे। बिना बात किए और समस्या का समाधान किए कोई काम नहीं होगा। हालांकि, इसमें कंपनी की तरफ से कोई अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं था। बता दें कि, एनटीपीसी ने केरेडारी के पांडू और तरहेसा गांव में कनवेयर बेल्ट के लिए रास्ता बनाने का काम शुरू किया है। इस काम को रोकने के लिए अंबा प्रसाद ग्रामीणों के साथ बैठक की थी।
जानकारी के मुताबिक, विधायक ने इस बैठक के लिए जिला प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली थी। ना ही इस बारे में प्रशासन को कोई जानकारी दी गई थी।
जब मामले ने तूल पकड़ा तो महिला विधायक ने सफाई देते हुए कहा-वह ग्रामीणों के बुलावे पर ही वहां गईं थी। जहां उनकी समस्या को लेकर मीटिंग की गई थी। लोगों की भीड़ को देखकर मैं सड़क किनारे दूर खड़ी हो गई थी और वहीं से उनकी परेशानियों को सुनती रही। जब मुझको लगने लगा कि अब सोशल डिस्टेंसिंग के नियम टूट सकते हैं तो ऐसे में उनको समझाकर वापस आ गई थी।
बता दें कि अंबा हजारीबाग जिले की बड़कागांव विधानसभा सीट से 27 साल की अंबा ने चुनाव जीतकर 2019 में सबसे कम उम्र की विधायक बनने का इतिहास रचा है। जहां उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आजसू पार्टी के प्रत्याशी रोशनलाल चौधरी को 30,140 वोटो से हराया था।
जानकारी के मुताबिक, अंबा प्रसाद आईएएस बनना चाहती थीं जिसके लिए उन्होंने कोचिंग भी की है। साल 2014 में आईएएस की तैयारी करने के लिए अम्बा दिल्ली चली गई थीं। अम्बा ने कुछ महीने ही कोचिंग ली लेकिन उनके पिता पर लगे गंभीर राजनीतिक आरोपों के कारण उन्हें वापस लौटन पड़ा। यहीं से उनका राजनीतिक करियर शुरू हो गया।
जानकारी के मुताबिक, अंबा प्रसाद आईएएस बनना चाहती थीं जिसके लिए उन्होंने कोचिंग भी की है। साल 2014 में आईएएस की तैयारी करने के लिए अम्बा दिल्ली चली गई थीं। अम्बा ने कुछ महीने ही कोचिंग ली लेकिन उनके पिता पर लगे गंभीर राजनीतिक आरोपों के कारण उन्हें वापस लौटन पड़ा। यहीं से उनका राजनीतिक करियर शुरू हो गया।
इसी सीट से अंबा के पिता योगेंद्र प्रसाद साव वर्ष 2009 में विधायक का चुनाव जीते थे और 2013 में हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री बने थे। नक्सलियों से संबंध का खुलासा होने के बाद उन्हें 2014 में अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद से एनटीपीसी प्रोजेक्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के कारण उनके पिता अभी तक जेल में हैं, और मां राज्य से बाहर हैं।
वहीं अंबा की मां निर्मला देवी भी 2014 में कांग्रेस से विधायक चुनी गईं थीं। इस बीच अम्बा को भाई को भी जेल में डाल दिया गया था जिसके लिए वह कोर्ट-कचहरी के टक्कर काटती रहीं। उन्होंने अपने भाई को जेल से निकाला और फिर राजनीति में उतरने की ठान ली।
अंब चतरा, हजारीबाग और रामगढ़ जिले में विकास को लेकर होने वाली बैठकों में काग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसलिए राहुल गांधी खुद अंबा के लिए चुनाव में रैली करने आए थे।