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इस गांव में जहरीले सांपों को गले में डालकर नाचते हैं लोग, खुद को कटवाने की लगती होड़, नहीं चढ़ता जहर
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300 सालों से चली आ रही है ये परंपरा...कई राज्यों से आते हैं लोग
घाटशिला के धालभूमगढ़ प्रखण्ड के मोहलीसोल गांव में यह परंपरा लगभग 300 सालों से चली आ रही है। रोहिणी नक्षत्र के समय गांव के लोग पूजा पाठ करते हैं। इसके बाद ग्रामीण खेतों और जंगलों में विषैले सांपों की खोज करने में लग जाते हैं। बता दें कि इस पूजा में शामिल होने के लिए झारखंड,पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और बिहार के कई जिलों से लोग आते हैं।
घरों में महीनों तक सांपों को पालते हैं ग्रामीण
300 साल पुरानी परंपरा के अनुसार गांव के लोग पूजा पाठ के बाद जंगलों से विषैले सांपों को पकड़ कर घर में लाते हैं। महीनो तक इन सांपों को खिलाया पिलाया जाता है और उनकी सेवा की जाती है। जिसके बाद गांव में आयोजित होने वाले मनसा पूजा के अवसर पर दर्जनों विषैले सांपो को अपने हाथों में लेकर ग्रामीण उस्ताद लकड़ी के बनाये रथ पर सवार होकर खुले बदन इन सांपो को अपने ऊपर छोड़ देते हैं। घाटशिला के मोहली शोल गांव में आयोजित होने वाले इस मनसा पूजा में काफी भीड़ जुटती है।
जहरीले सांपों से खुद को कटवाकर नाचते हैं भक्त
इन लोगों को यह विषैले सांप इनके शरीर को डंसते रहते हैं। लेकिन उनके शरीर पर कोई जहर असर नहीं करता है। यहां तक की छोटे बच्चे इनको अपने गले में डालकर नाचते रहते हैं। उन पर भी इसका कोई असर नहीं होता। ये लोग खुद सांप के फन को पकड़कर अपने सीने या या पेट में कटवाते हं।
नाग देवता और मां मनसा की करते हैं पूजा, निकालते हैं झापन यात्रा
जानकारी के अनुसार, गांव में होने वाले इस पूजा में झारखंड,पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और बिहार के कई जिलों से लोग आते हैं। मां मनसा की पूजा धूमधाम के साथ की जाती है। गांव के भक्त मनसा मंदिर में पारंपरिक विधि-विधान के साथ नाग देवता और मां मनसा की पूजा अर्चना करते हैं।
विषैले सांपों को गले में लपेट प्रदर्शन करते हैं ग्रामीण
इस गांव में आयोजित इस अनूठे पूजा कार्यक्रम झापान में विषधर सांपो को लेकर गले में डालकर यह प्रदर्शन किया जाता है, और यह संदेश दिया जाता है कि सांप भी हमारे जीवन का ही हिस्सा है। इसके साथ जैसा व्यवहार किया जाएगा यह भी उसी तरह का व्यवहार करता है। आज भी जड़ी बूटी से सांप के विष से बचा जा सकता है। जड़ी बूटी से ही दवा बनती है और जड़ी बूटी के गुणी ही सांपों को लेकर प्रदर्शन करते हैं।
विषैले सांपों की निकाली जाती है रथ यात्रा
इतना ही नहीं इन विषैले सांपों को लेकर झापान यात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा में रथ की परिक्रमा की जाती है। वहां ग्रामीण उस्ताद को चुनते हैं, जिनके हाथों में रथ की परिक्रमा के बाद विषैले सांपों को सौंपा जाता है।