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12 साल के बेटे को छाती से लगाकर हॉस्पिटल में भागता रहा पिता, लेकिन 'भगवान' निकले निष्ठुर
| Published : Jan 21 2020, 11:49 AM IST
12 साल के बेटे को छाती से लगाकर हॉस्पिटल में भागता रहा पिता, लेकिन 'भगवान' निकले निष्ठुर
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सागर के दिल में छेद था। आयुष्मान कार्ड के बावजूद बच्चे का इलाज नहीं हो सका। उसके इलाज के लिए परिजन जमशेदपुर से लेकन कोलकाता तक कई हॉस्पिटल गए। लेकिन किसी भी हॉस्पिटल ने आयुष्मान कार्ड स्वीकार नहीं किया। सागर को लेकर उसके पिता छत्तीसगढ़ तक के हॉस्पिटल के चक्कर लगा आए। कई हॉस्पिटल ने तो सीधे पैसों की मांग कर डाली।
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सागर के इलाज के लिए उसके अभिभावकों ने सिविल सर्जन से लेकर विधायक-मंत्री और पूर्व सीएम रघुवर दास तक के पास अपनी गुहार लगाई। लेकिन उनकी आवाज किसी के कानों तक नहीं पहुंची। या सुनकर अनसुनी कर दी गई।
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सिविल सर्जन डॉ. महेश्वर प्रसाद ने बताया कि सागर का मामला संज्ञान में आने के बाद उसे इलाज के लिए 28 दिसंबर को मेडिट्रिना हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। परिजनों ने कहा कि वहां इलाज के लिए पैसे मांगे गए। 13 दिन बाद सागर को डिस्चार्ज कर दिया। इसके बाद उसे घर में ही सुई लगवाने की सलाह दी गई।
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सागर को लेकर उसके पिता रोज सिविल हॉस्पिटल सुई लगवाने जाते थे। लेकिन रविवार रात अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई। सोमवार सुबह करीब 11.30 बजे उल्टी-दस्त होने पर उसे सदर हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। वहां से उसे MGM हॉस्पिटल रेफर किया गया। वहां उसने दम तोड़ दिया। सिविल सर्जन ने कहा कि अगर मेडिट्रिना हॉस्पिटल में ठीक से इलाज नहीं किया गया, तो इस बारे में उन्हें बताना था।
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सागर की मौत के बाद भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर भले न पिघले हों, लेकिन मुख्यमंत्री ने खासी नाराजगी दिखाई है। हेमंन सोरेन ने मंगलवार सुबह ट्वीट किया है। उन्होंने पश्चिम सिंहभूमि के उपायुक्त को इस मामले में कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड चिकित्सा सुविधा सुदृढ़ हो, यह उनकी प्राथमिकता होगी।
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उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़े स्तर पर आयुष्मान भारत योजना लांच की थी। इसे मोदी केयर भी कहते हैं। लेकिन इसे लेकर अब भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई हास्पिटल आयुष्मान कार्ड को मानने से मना कर देते हैं।