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Krishna Janmashtami: सफलता चूमेगी कदम अगर कृष्णा की ये 5 बातें जीवन में कर लें शामिल
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श्रीकृष्ण का पूरा जीवन ही एक प्रबंधन की किताब है जिससे पढ़कर इंसान जीवन में आगे बढ़ सकता है। किसी भी परिस्थिति का मुकाबला कर सकते हैं।
1. कृष्ण ने संघर्ष करने का दिया मंत्र
श्रीकृष्ण की जिंदगी में संघर्ष उनके पैदा होते ही शुरु हो गया था। पैदा होते ही वो यमुना पार कर गोकुल पहुंचे। जब वो तीन दिन के थे तब उन्हें पूतना मारने आई। तब से लेकर जीवन के अंतिम पल तक वो संघर्ष करते रहें। अगर आप धरती पर आए हैं तो संघर्ष हमेशा जीवन में बना रहेगा। इससे घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि धैर्य के साथ हर परिस्थिति का मुकाबला करना चाहिए। श्रीकृष्ण कहते हैं कि मानव के जीवन का पहला कर्तव्य हैं कर्म करना। हम इससे ही हर मुश्किल का सामना कर सकते हैं।
2. जीवन में रचनात्मकता जरूरी
श्रीकृष्ण कहते हैं कि पढ़ाई सिर्फ किताबी नहीं होना चाहिए, बल्कि रचनात्मकता भी जूरूरी है। जो अलग-अलग अनुभव के जरिए प्राप्त किए जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण 64 दिन में 64 कलाओं में निपुण हो गए थे। उन्होंने संदीपनी ऋषि के आश्रम में रहकर अपनी शिक्षा पूरी की थी। लेकिन इसके अलावा भी उन्होंने कई और कलाएं सीखीं। वो कहते हैं कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो इंसान में रचनात्मक विकास करें।
3. श्रीकृष्ण की तरह बने बलशाली
श्रीकृष्ण अखाड़ा में उतकर कर कुश्ती करते थे। उन्होंने कुश्ती में अपने कंस मामा को पराजित कर दिया था। यानी वो शरीर से काफी फिट थे। वो बचपन में माखन-मिश्री खाते थे। दूध-दही का भरपूर इस्तेमाल करते थे। कहते हैं स्वस्थ्य शरीर में स्वस्थ्य मन का बसेरा होता है। जीवन में आगे बढ़ने के लिए हेल्दी रहना जरूरी है। इसलिए जंक फूड से नाता तोड़ हेल्दी फूड को जीवन में अपनाना चाहिए।
4. युद्ध से पहले कृष्ण ने दिया था शांति प्रस्ताव
कृष्ण कहते हैं कि शांति से बात बन जाए तो सबसे पहले उसपर ही आगे जाना चाहिए। कृष्ण कभी नहीं चाहते थे कि कौरव और पांडव के बीच युद्ध हो। इसलिए वो कौरव के पास शांति प्रस्ताव लेकर गए थे। जब बात नहीं बनी तब युद्ध करने के लिए उतरें। कृष्ण का मंत्र हैं कि शांति से ही समाज और देश आगे बढ़ सकता है। उन्होंने बताया कि अगर शांत नहीं रहोंगे तो कभी आगे नहीं बढ़ पाओंगे। युद्ध के मैदान में भी वो शांत भाव में ही नजर आए थे। वो कभी विचलित नहीं हुए। जीवन में सुख तभी पा सकते हैं जब आप शांत रहें।
5. रिश्तों का करें सम्मान
भगवान श्रीकृष्ण ने जीवन में कभी भी किसी का साथ नहीं छोड़ा। जिन्होंने उन्हें गाली दी उन्हें भी कृष्ण ने अपना माना। सुदामा और उद्धव से मित्रता निभाई। अर्जुन को अपना बनाया। कौरवों पर भी प्यार लुटाया था। प्रेमी और पति के रूप में हमेशा वो खरे उतरें। रिश्तों के लिए कृष्ण ने लड़ाइयां लड़ी और रिश्तों से ही उन्होंने कई लड़ाइयों पर विजय भी पाया। उन्होंने हर उस रिश्ते का सम्मान किया जिससे वो जुड़े थे।इसलिए इंसान को आगे बढ़ना है तो अपने रिश्ते के प्रति हमेशा इमानदार रहना चाहिए।
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