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18 दिन पहले एम्बुलेंस में अकेला बैठा 8 साल का बच्चा गुमसुम था, लेकिन लौटा..तो पैर जमीं पर नहीं टिक रहे थे
जबलपुर, मध्य प्रदेश. कोरोना संक्रमण ने सारी दुनिया हिला दी है। लेकिन लोगों के हौसलों और सजगता से इस बीमारी पर नियंत्रण भी पाया जाने लगा है। मध्य प्रदेश में भोपाल, इंदौर और उज्जैन के अलावा जबलपुर की स्थिति शुरू से ही खराब रही। हालांकि पहले की अपेक्षा अब स्थिति ठीक है। मिलिए, यह हैं 8 साल के आकर्षण सोनी। 18 दिन पहले जब इनका टेस्ट पॉजिटिव निकला, तो परिजनों का तो बुरा हाल हो गया। बच्चे को अकेला ही हॉस्पिटल ले जाना पड़ा। जब उसे एम्बुलेंस में बिठाया गया, तो उसकी आंखों में मायूसी थी। यह दु:ख कोरोना से ज्यादा अपनों से दूर रहने का था। लेकिन अब यह बच्चा कोरोना को हराकर घर लौट आया है।
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आकर्षण सोनी को इसी गुरुवार को डिस्चार्ज किया गया। जब दोपहर 12 बजे उसे सुपर स्पेशिलटी अस्पताल से छुट्टी मिली, तो वो खुशी से चहक उठा। रास्तेभर वो मस्ती करता हुआ आया।
आकर्षण सोनी जब अपने मोहल्ले पहुंचा, तो परिजनों और दूसरे लोगों ने थाली बजाकर उसका स्वागत किया। मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डीन डॉ. प्रदीप कसार ने बताया कि आकषर्ण को 14 दिनों तक होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी गई है।
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पिता ने कहा, बेटा अभी वहीं रहो: यह मामला शिमला के जाखू के रहने वाले सिद्धार्थ शर्मा से जुड़ा है। सिद्धार्थ मर्चेंट नेवी में है। वो एक पेपर के सिलसिले में साउथ हैम्पटन (लंदन) गया था। लेकिन वहां न तो एग्जाम हो पाया और न वो वापस लौट सका। बावजूद परिजनों ने सिद्धार्थ से कहा है कि अभी वो वहीं रहे। दरअसल, वे नहीं चाहते कि उनके बेटे की वजह से दूसरे लोगों पर मुसीबत आए।
यह कहानी गुजरात के राजकोट की है। यहां मां-बाप सहित परिवार के अन्य सदस्यों के पॉजिटिव होने के बाद घर में 14 माह की बच्ची को खिलाने वाला भी कोई नहीं बचा है। फिरोज चूड़ासमा नाम के शख्स की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भले उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। लेकिन चाहकर भी 14 महीने की बेटी को छू नहीं सके। वहीं, अब फिरोज की पत्नी और मां की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। दोनों को अस्पताल में भर्ती कर दिया गया है।
यह कहानी गुजरात के वडोदरा की है। यह हैं गुजरात की सबसे छोटी कोरोना वॉरियर्स 2 साल की आयशा। बोडेली की रहने वाली आयशा को कोरोना पॉजिटिव होने पर वडोदरा के गोत्री मेडिकल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। आयशा ने कोरोना को हरा दिया है। लिहाजा, उसे हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई। जब अपनी बेटी को पिता ने गोद में लिया, तो वो भावुक होकर रो पड़ा। आयशा का इलाज करने वालीं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नईनीवाले के मुताबिक, उसके दादा और बाकी सदस्य भी कोरोना पॉजिटिव निकले थे। हालांकि दादा भी स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। आयशा के पिता अहमदउल्ला ने बताया कि उसका 13 दिनों तक इलाज चला। अपनी बेटी को ठीक देखकर वो बहुत खुश है।
यह कहानी केरल की है। यहां 4 महीने के बच्चे की संक्रमण के चलते मौत हो गई। इस दर्दनाक तस्वीर को अस्पताल में जिस डॉक्टर ने देखी उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े। वहीं जब मासूम के शव को स्वास्थ्यकर्मियों ने दफनाया तो वह भी फूट-फूटकर रो पड़े।