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उठने लगा है 'भगवान' से भरोसा, ये तस्वीरें कोरोना वॉरियर्स के प्रोफेशन पर एक दाग हैं

भोपाल, मध्य प्रदेश. कोरोना(Corona infection) ने सारी दुनिया का हिलाकर रख दिया है। इस बीच लोग एक-दूसरे की मदद को आगे आए। शुरुआत में अस्पतालों और डॉक्टरों ने भी अच्छी ड्यूटी निभाई, लेकिन अब तमाम ऐसी शिकायतें सामने आ रही हैं, जो इनकी कार्यशैली पर सवाल खड़े करने लगी हैं। इस बेटी की पीड़ा सुनकर कथित भगवानों के आगे घुटने टेक चुकी सरकार की शर्मनाक तस्वीर सामने आती हैं। यहां के कोलार स्थित सर्वधर्म कालोनी की रहने वालीं 43 साल की संतोष रजक इसी अराजक सिस्टम का शिकार हो गई थीं। इससे आहत होकर उनकी 27 वर्षीय बेटी प्रियंका ने एक वीडियो वायरल करके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) से इच्छा मृत्यु (Euthanasia ) मांगी है। प्रियंका ने भावुक होकर कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मामा भांजी के नाम को बहुत प्रसिद्ध किया, लेकिन उनकी यह भांजी भटक रही है। उनकी मां ही पूरे परिवार का अंतिम सहारा थीं। प्रियंका ने सिस्टम पर कई सवाल खड़े किए हैं। पढ़ें पूरी कहानी...

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Asianet News Hindi
Published : Oct 12 2020, 10:30 AM IST
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बता दें कि भोपाल के कोलार स्थित सर्वधर्म कालोनी की रहने वालीं 43 साल की संतोष रजक की 24 सितंबर की शाम को सरकारी जेपी अस्पताल में मौत हो गई थी। इससे पहले उनकी बेटी प्रियंका और बेटा हर्ष बीमार मां को लेकर तीन अस्पतालों में भटकते रहे। एक ने एक दिन भर्ती करके मोटी रकम वसूल ली और अगले दिन कोविड (Corona infection) आईसीयू बेड नहीं होने पर सरकारी अस्पताल (government hospital) भेज दिया। वहां बेड न होने पर तीसरे प्राइवेट अस्पताल रवाना किया। यहां इलाज के नाम पर 5 दिनों के लिए 50000 रुपए जमा करा लिए। इसके बावजूद सिर्फ खानापूर्ति की। कलेक्टर के आदेश पर मरीज को फिर सरकारी अस्पताल में बेड मिला, लेकिन बचाया नहीं जा सका। आगे पढ़ें इसी घटना के बारे में...

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प्रियंका ने वीडिया में कहा कि उनकी मां चार भाई-बहनों का सहारा थीं। प्रशासन ने उनकी मौत की जांच की बात कही थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। प्राइवेट अस्पतालों में उन्हें लूटा गया और सरकार अस्पताल में उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था। ठीक से ऑक्सीजन तक नहीं दी गई। आगे पढ़ें इसी तरह की कुछ अन्य घटनाएं...
 

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धनबाद, झारखंड.  यह हैं कोलहर टुंडी की रहने वालीं विजय लक्ष्मी। ये 9 महीने की गर्भवती थीं। उन्हें डिलीवरी के लिए एक प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया। वहां ऑपरेशन की तैयारियां होने लगीं। लेकिन जब मालूम चला कि विजय कोरोना पॉजिटिव हैं, तो अस्पताल ने हाथ खड़े कर लिए। इसके बाद उन्हें पीएमसीएच भेज दिया गया। वहां से एसएसएलएनटी अस्पताल रेफर कर दिया गया। यहां उन्हें कैदियों की तरह रहना पड़ा। बाद में कष्ट में बच्चे को जन्म दिया। आगे पढ़ें एक अन्य घटना..

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बिलासपुर, छत्तीसगढ़. कोटा ब्लॉक के बहेरामुड़ा गांव की रहने वाली 22 वर्षीय शारदा रोहिणी को पिछले दिनों प्रसव पीड़ा उठी थी। परिजन उसे महतारी एक्सप्रेस से लेकर बेलगहना स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे थे। यहां महिला की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर इलाज से मना कर दिया था। इसके बाद वे सिम्स पहुंचे। यहां से भी भगा दिया गया। गर्भवती इसके बाद करगीरोड कोटा स्वास्थ्य केंद्र पहुंची। जब यहां भर्ती करने से मना किया, तो वो फिर से सिम्स पहुंची। यहां दूसरी बार में महिला को भर्ती किया गया। आगे पढ़ें एक अन्य घटना..

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पेंड्रा, छत्तीसगढ़.  यह हैं गौरेला जनपद के ग्राम पडवनिया की रहने वालीं पुनिया बाई पत्नी श्रवण। प्रसव पीड़ा होने पर इन्हें जिला अस्पताल लाया गया था। लेकिन यहां स्टाफ ने गर्भ में ही बच्चे की मौत होने का बताकर बिलासपुर सिम्स (Chhattisgarh Institute of Medical Sciences) रेफर कर दिया। वहां कोरोना के बहाने उसे भर्ती करने से मना कर दिया गया। अपनी पत्नी की जान खतरे में देखकर पति घबरा गया और वो उसे  एम्बुलेंस से गौरेला के एक प्राइवेट अस्पताल ले गया। वहां 20000 रुपए खर्च करने पड़े।

आगे पढ़ें...सारी रिसर्च एक तरफ... यह नर्स, उसका फ्रेंड और इनकी कोरोना वैक्सीन सबसे अलग, जानिए कैसे किया फ्रॉड

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रायपुर, छत्तीसगढ़.  यह मामला कोरोना वैक्सीन (COVID-19 vaccine) के बहाने एक परिवार को ठगने की कोशिश करने का है। सिविल लाइंस थाना क्षेत्र की एक महिला की रिपोर्ट कुछ समय पहले पॉजिटिव आई थी। वो होम आइसोलेशन में थी। इसी दौरान अंबेडकर अस्पताल की नर्स ने उसके परिजनों को कॉल किया कि उसकी टीम घर पर आकर इलाज कर सकती है। इसके बाद शुरू हुआ धोखाधड़ी का खेल। नर्स दीपा दास और उसका सहयोगी राकेश चंद्र सिंह महिला के घर पहुंचे। उन्होंने इलाज का खर्चा 3 हजार बताया। हालांकि वे महिला मरीज को वही दवाएं लाकर दे गए, जो स्वास्थ्य विभाग अन्य मरीजों को मुफ्त दे रहा है। नर्स दीपा ने महिला मरीज को दो इंजेक्शन लगाए। इन्हें नर्स ने कोरोना वैक्सीन बताया। जब महिला ठीक हो गई, तो राकेश उसके घर पहुंचकर 10000 रुपए मांगने लगा। वो इस बात पर अड़ गया कि जो इंजेक्शन लगाया गया था, वो महंगा था। मामला बिगड़ा, तो पुलिस बुला ली गई।

आगे पढ़ें-कफन हटाते ही खड़ा हो गया हंगामा, एक चूहे ने खोल दी सरकारी व्यवस्थाओं की सारी पोल

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इंदौर, मध्य प्रदेश. यह शर्मनाक तस्वीर इंदौर के यूनिक अस्पताल की है। यहां अस्पताल के स्टाफ की लापरवाही से 87 वर्षीय नवीनचंद्र जैन की लाश को चूहे कुतर गए। कोरोना से इनकी मौत हुई थी। अस्पताल में मर्च्यूरी नहीं है। लिहाजा, लाश को बेसमेंट में रख दिया गया। रात को चूहे लाश की आंख और पैरों की उंगुलियां कुतर गए। 

आगे पढ़ें...9 दिन पहले मर चुका था पिता, बेटे को लगा कि अस्पताल में उसका डॉक्टर अच्छे से ख्याल रख रहे हैं

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इंदौर, मध्य प्रदेश. यहां के एमवाय अस्पताल (Indore MY Hospital) में 54 वर्षीय शख्स की लाश 9 दिन तक मर्च्यूरी में पड़ी रही। उसका बेटा यही समझता रहा कि अस्पताल में उसके पिता का बेहतर इलाज चल रहा है। बता दें कि बोर्ड कॉलोनी, पीथमपुर निवासी तानाजी पिता केशव को कोरोना पॉजिटिव होने पर 6 सितंबर को शाम 4.30 अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 9 सितंबर को उनकी मौत हो गई। लेकिन कर्मचारियों ने शव को पॉलिथीन में लपेटकर मर्च्यूरी में रख दिया। 18 सितंबर को परिजनों को इसकी जानकारी दी गई। आगे पढ़ें...बेड रखे-रखे सड़ गई लाश...

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यह मामला भी कुछ दिन पहले इंदौर के ही एमवाय अस्पताल में सामने आया था। यहां मर्च्युरी रूम में 20 दिन शव पड़ा-पड़ा सड़ गया, लेकिन प्रबंधन ने उसके अंतिम संस्कार की सुध नहीं ली। मामला सामने आने के बाद हड़कंप मचा..तब प्रबंधन जागा। आगे पढ़ें...पति की मौत का सदमा: उन्हें तीन दिन से खाना नहीं दिया और न ही कोई इलाज किया

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इंदौर, मध्य प्रदेश.  इंदौर के एमटीएच अस्पताल में कुलकर्णी का भट्टा निवासी 32 वर्षीय संदीप कामले की मौत के बाद उनकी पत्नी ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। पत्नी ने कहा कि अस्पताल ने उनसे साढ़े 15 हजार रुपए के तीन इंजेक्शन मंगवाए, लेकिन उन्हें लगाया तक नहीं। मृतक के दोस्त राजेश ने मीडिया को बताया कि इस बारे में पूछने पर डॉक्टरों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। 

आगे पढें...मृतक की पत्नी ने वायरल किया वीडियो...

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जबलपुर, मध्य प्रदेश.  यहां कुछ दिन पहले एक शख्स की कोरोना से मौत हो गई थी। उसकी पत्नी ने एक वीडियो वायरल करके अस्पताल की लापरवाही उजागर की है। महिला ने पति की मौत के लिए डॉक्टरों को जिम्मेदार ठहराया है। वीडियो में रोते हुए पत्नी ने स्वास्थ्य सुविधाओं और सरकार के दावों पर कई सवाल खड़े कर दिए। कोरोना के कारण अपनी जान गंवाने वाले आशीष तिवारी की पत्नी ने वीडियो में कहा कि वो पति की मौत के 10 दिन बाद हिम्मत जुटाकर अपनी बात कह रही है। नेहा तिवारी ने बताया कि उनके पति को नॉर्मल फ्लू था। लेकिन समय पर उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिली। 

आगे पढ़ें..पापा दरवाजा पीट रहे थे, लेकिन कोई डॉक्टर उन्हें देखने नहीं पहुंचा और वो तड़प-तड़पकर मर गए

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रायपुर, छत्तीसगढ़. अपने पिता की मौत के बाद एक शख्स ने वीडियो वायरल करके एम्स के स्टाफ पर गंभीर आरोप लगाए। अजय जॉन के पिता को तबीयत बिगड़ने पर 9 सितंबर को एम्स में भर्ती कराया गया था। जांच के बाद उन्हें आइसोलेशन (isolation) वार्ड में रखा गया था। बेटे ने कहा कि उनका कमरा बाहर से बंद रखा गया था। जब उनकी तबीयत फिर बिगड़ी, तो वो दरवाजा पीटते रहे, लेकिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली। बेटे ने कहा कि उनके पिता ने सोमवार तड़के 4 बजे कॉल किया था। उन्होंने बताया था कि यहां मरीजों को देखने वाला कोई नहीं है। अजय के अनुसार, यह सुनकर वो खुद एम्स पहुंचे। इसके बाद नर्सिंग स्टाफ उनके पिता को देखने पहुंचा। तब उनकी हार्ट रेट बढ़ी हुई थी। ऑक्सीजन लेवल भी बहुत कम था। इसके बावजूद उन्हें आईसीयू में भर्ती नहीं किया गया।

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